नई दिल्ली: प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने नागरिक व व्यावसायिक मामलों में भारत और मोरक्को के बीच परस्पर कानूनी सहायता पर समझौते को मंजूरी दी है।
विशेषताएं-
- सम्मन और अन्य न्यायिक दस्तावेजों या प्रक्रियाओं की तामील
- सिविल मामलों में साक्ष्य प्राप्त करना
- दस्तावेजों, रिकार्डिंग की प्रस्तुति, पहचान या परीक्षण
- सिविल मामलों में साक्ष्य प्राप्त करने के लिए अनुनय-प्रपत्र का कार्यान्वयन, और
- मध्यस्थता फैसलों की पहचान और इनका कार्यान्वयन
लाभ :
यह समझौता दोनों ही देशों के नागरिकों के लिए फायदेमंद साबित होगा। यह समझौता परस्पर मित्रता और सिविल व व्यावसायिक मामलों में प्रभावी सहयोग से संबंधित दोनों देशों की आकांक्षाओं को पूरा करेगा और यही इस समझौते की भावना, मूलभाव और भाषा है। भारत और मोरक्को के बीच यह समझौता सम्मन, न्यायिक दस्तावेज, अनुनय-प्रपत्र तथा मध्यस्थता फैसलों एवं न्यायिक फैसलों के कार्यान्वयन की तामील में आपसी सहयोग को बढ़ाएगा।
पृष्ठभूमि :
स्वतंत्रतापूर्व के समय से भारत और अफ्रीकी देशों के बीच संबंध रहे हैं। भारत और मोरक्को के बीच सौहार्दपूर्ण और मैत्रीपूर्ण संबंध रहे हैं। समय के साथ परस्पर संबंध और भी मजबूत हुए हैं। दोनों देश गुटनिरपेक्ष आंदोलन के हिस्सा रहे हैं। संयुक्त राष्ट्र में भारत ने मोरक्को की आजादी तथा मोरक्को स्वतंत्रता आंदोलन का समर्थन किया था। भारत ने 20 जून, 1956 को मोरक्को को मान्यता दी थी और 1957 में संबंध स्थापित किये थे। भारत मोरक्को के साथ परस्पर सहयोग बढ़ाने की आवश्यकता में विश्वास रखता है और सिविल तथा व्यावसायिक मामलों में दोनों देशों के बीच आपसी संबंधों को विस्तार देने पर बल देता है।