नई दिल्लीः भारत के उप राष्ट्रपति और राज्यसभा के अध्यक्ष, श्री एम.वेंकैया नायडू ने कहा कि हम जिन लोगों की सेवा करते हैं उनके साथ हमारा एक सम्बन्ध है इसे बनाये रखना है और हर गुजरते साल के साथ इसे मजबूत बनाना है। उन्होंने आगे कहा कि निरंतरता का सिद्धांत राज्यसभा की पहचान है और हम बदलाव के साथ निरंतरता के इस मेल की मजबूती पर गर्व करते हैं। वे आज संसद में राज्यसभा के सेवानिवृत्त सदस्यों को संबोधित कर रहे थे।
राज्य सभा हमारी राजनीति में परिवर्तन और निरंतरता के सिद्धांत की मिसाल है। उप राष्ट्रपति ने सभी राजनीतिक दलों से अपील की कि विधायिका में महिलाओं को उचित प्रतिनिधित्व दें क्योंकि राज्यसभा की कार्यवाही में महिला सदस्यों की भागीदारी बहुत महत्वपूर्ण है। उन्होंने आगे कहा कि यह चिंता का विषय है कि कई महिला सदस्यों द्वारा उत्कृष्ट योगदान देने के बावजूद भी सदन की कुल सदस्यता में उनका प्रतिशत मात्र 11.7 है।
जिस तरह से पिछले कुछ दिनों से राज्यसभा में काम-काज हो रहा है उस पर उपराष्ट्रपति ने अपनी वेदना व्यक्त करते हुए कहा कि हंगामा दुर्भाग्य से राजनीतिक रणनीति का हिस्सा बन गया है और सदन प्रायः विरोध की राजनीति का मंच बन गया है।
उपराष्ट्रपति ने सेवानिवृत्त सदस्यों से लोगों के कल्याण को बढ़ावा देने के एक अवसर के रूप में देखने का आग्रह किया। इसे सार्वजनिक जीवन से सेवानिवृत्ति के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि राजनेताओं के एक बार सार्वजनिक जीवन में प्रवेश के बाद कोई सेवानिवृत्ति नहीं हैं।
इस अवसर पर उप राष्ट्रपति ने प्रो. कुरियन के मूल्यवान निर्देशन और सहयोग के लिए प्रशंसा की। उप राष्ट्रपति ने कहा कि उनकी पेशेवर सलाह ने मुझे अपने कर्तव्यों और जिम्मेदारियों के निर्वहन करने में मदद की है। उन्होंने कहा कि प्रत्येक सदस्य द्वारा किए गए योगदान से सदन में बहस समृद्ध और जीवंत हो जाती है।