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गुरु गोविन्द सिंह जी ने आत्म बलिदान का जो उदाहरण प्रस्तुत किया, वह सभी के लिए प्रेरणा का स्रोत: मुख्यमंत्री

उत्तर प्रदेश

लखनऊउत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी ने गुरुद्वारा नाका हिण्डोला पहुंचकर बैसाखी पर्व के उपलक्ष्य में आयोजित कार्यक्रम को सम्बोधित किया। उन्होंने सिख धर्म के अनुयायियों सहित सभी को बैसाखी की बधाई देते हुए कहा कि आज ही के दिन गुरु गोविन्द सिंह जी ने देश एवं धर्म की रक्षा के लिए खालसा पंथ की स्थापना की थी। श्री गुरु गोविन्द सिंह जी अवतारी महापुरुष थे। राज्य सरकार समाज के सभी वर्गाें के हितों की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध है।

मुख्यमंत्री जी ने कहा कि गुरु गोविन्द सिंह जी ने विदेशी आक्रमणकारियों से ध्वस्त हो चुकी देश की प्रतिष्ठा को फिर से स्थापित किया और नौजवानों में स्वाभिमान के संचार के लिए खालसा पंथ की स्थापना करते हुए आत्म बलिदान का जो उदाहरण प्रस्तुत किया, वह सभी के लिए प्रेरणा का स्रोत है। उन्होंने सनातन धर्म में बैसाखी के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि देश और धर्म की रक्षा करने का उद्देश्य आज भी उतना ही ज्वलन्त और प्रासंगिक है, जितना गुरु गोविन्द सिंह जी के समय में था।

योगी जी ने कहा कि स्वतन्त्र भारत के लिए बाबा साहब डाॅ0 बी0आर0 आंबेडकर ने जो अलख जगाई थी वही राह गुरु गोविन्द सिंह जी ने भी अपने समय में समाज को दिखाई थी। गुरु गोविन्द सिंह जी सहित अन्य संतों ने भी देश की स्वतन्त्रता के लिए अपनी कुर्बानी दी। आज गुरु गोविन्द सिंह जी के विचारों को अपनाते हुए उनके दिखाए रास्ते पर चलने की आवश्यकता है। गुरु गोविन्द सिंह जी ने विपरीत परिस्थितियों में खालसा पन्थ की स्थापना की। आज इस पन्थ के पवित्र भावों को आत्मसात करने की जरूरत है।

मुख्यमंत्री जी ने विदेशी आक्रान्ताओं द्वारा देश के विभिन्न धर्म स्थलों को तोड़ने एवं नागरिकों, विशेष रूप से महिलाओं के साथ किए गए दुव्र्यवहार का उल्लेख करते हुए कहा कि समाज की रक्षा के लिए गुरु गोविन्द सिंह जी एवं उनके चार पुत्रों के साथ जो हुआ, वह सर्वविदित है। उन्होंने देश और धर्म के लिए अपने पुत्रों को समर्पित करते हुए दुःखी न होकर पूरे उत्साह के साथ कहा कि ‘चार नहीं तो क्या हुआ, जीवित कई हजार’। मुख्यमंत्री जी ने गुरु गोविन्द सिंह जी के बलिदान और त्याग से प्रेरणा लेने का सभी से आग्रह किया।

योगी जी ने उस समय समाज में हो रहे भेदभाव एवं यातना की चर्चा करते हुए कहा कि जब कश्मीरी पण्डितों का एक प्रतिनिधिमण्डल गुरु तेग बहादुर जी से मिला एवं उनसे धर्म को बचाने का आग्रह किया तो इसी धर्म की रक्षा करते हुए गुरु तेग बहादुर जी ने अपने प्राणों का बलिदान कर दिया। उन्होंने खालसा पंथ की महान परम्परा का उल्लेख करते हुए कहा कि जब भी देश और धर्म पर संकट आएगा तो सिख गुरुओं के त्याग एवं बलिदान से प्रेरणा लेकर आज का नौजवान आगे बढ़ेगा। उन्होंने बल देते हुए कहा कि इन महान गुरुओं के त्याग-बलिदान से प्रेरणा ग्रहण करनी चाहिए ताकि जात-पांत और छुआछूत से रहित समाज की स्थापना की जा सके।

श्री हरमंदिर जी पटना साहिब की ऐतिहासिकता का उल्लेख करते हुए मुख्यमंत्री जी ने कहा कि जब वे पहली बार पटना गए तो सबसे पहले उन्होंने तखत श्री पटना साहिब जाकर मत्था टेका, क्योंकि यह वह पवित्र स्थान है, जहां विपरीत परिस्थितियों में सिख धर्म को इस बुलन्दियों तक पहुंचाने वाले दसवें गुरु, गुरु गोविन्द सिंह जी का जन्म हुआ था।

योगी जी ने कहा कि गुरु गोविन्द सिंह जी ने खालसा पंथ की स्थापना के समय जिन पंच प्यारों को अमृत छकाया था, वे सभी छुआछूत से पीड़ित हिन्दू मतावलम्बी ही थे। इस प्रकार उन्होंने छुआछूत की कुप्रथा को समाज से समाप्त करने का संदेश भी दिया। इस अवसर पर लोगों से समाज में व्याप्त कुरीतियों को समाप्त करने के लिए संकल्पित होने का आग्रह करते हुए उन्होंने कहा कि आपसी भाईचारे एवं समभाव से ही समरस समाज की स्थापना हो सकती है। इस मौके पर मुख्यमंत्री जी को अंगवस्त्र, कृपाण व सम्मान चिन्ह भेंट किए गये।

खालसा दिवस कार्यक्रम में समग्र ग्राम विकास राज्य मंत्री (स्वतन्त्र प्रभार) डाॅ0 महेन्द्र सिंह, अल्पसंख्यक कल्याण राज्य मंत्री श्री बलदेव ओलख तथा गुरुद्वारा प्रबन्ध समिति के पदाधिकारियों सहित बड़ी संख्या में लोग उपस्थित थे।

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