नई दिल्लीः पहली किस्त की धन राशि के उपयोग के बाद कई शहरों द्वारा दूसरी किस्त के लिए उपयोग प्रमाण पत्र प्रस्तुत किया है। हालांकि कई शहरों ने जमीनी स्तर पर परियोजना का कार्यान्वयन शुरू कर दिया है, फिर भी उपयोग प्रमाणपत्र का अभी तक नहीं मिला है। इसलिए, इस मिशन की प्रगति का आकलन करने के लिए उपयोग प्रमाण पत्र उपयुक्त मानदंड नहीं हो सकता है।
इसके अलावा, विकास (प्रगति) स्मार्ट सिटी के चयन की तारीख पर निर्भर करता है। चयन के बाद, विशेष उद्देश्य वाहन (एसपीवी) की स्थापना में, परियोजना प्रबंधन सलाहकार (पीएमसी) फर्म उपलब्ध कराना, मानव संसाधन की नियुक्ति करना, विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) तैयार करने और फिर निविदाओं के आमंत्रण करने—इन सबमें करीब 18 महीने का समय लग जाता है। प्रथम चरण (जनवरी 2016) में जिन शहरों को चयनित किया गया था, जिनमें से लगभग 51 प्रतिशत परियोजनाओं को या तो प्रस्तुत किया गया है या कार्यान्वयन के अभी भी अधीन हैं, जबकि करीब 18 महीने का समय बीतने ही वाला है। दूसरे और तीसरे चरण में लगभग सभी शहरों ने एसपीवी स्थापित कर लिए हैं।
स्मार्ट सिटीज मिशन के शुभारंभ के समय भारत सरकार द्वारा 9939 करोड़ रुपये इन स्मार्ट शहरों के लिए जारी किए गए हैं। इस में से अबतक 24511 करोड़ रूपये की लागत से 753 परियोजनाओं का कार्य या तो पूरा हो चुका है या फिर जमीनी स्तर पर कार्य की शुरूआत हो चुकी है। इसके अलावा, 14296 करोड़ की लागत से करीब 287 परियोजनाएं निविदा के चरण में हैं या फिर जल्द ही कार्य शुरू होने की उम्मीद है। इस मिशन के तहत शहरी क्षेत्रों का तेजी से विकास संभव हो पा रहा है।
स्मार्ट शहरों मिशन के तहत परियोजनाओं के कार्यान्वयन की स्थिति
स्थिति | परियोजनाओं की संख्या | कीमत (करोड़ में) |
कार्य संपन्न | 243 | 4,583 |
कार्यादेश जारी | 510 | 19,928 |
निविदा जारी | 287 | 14,296 |
डीपीआर स्वीकृत | 60 | 3,659 |
डीपीआर तैयार हो रहा है | 1,908 | 96,518 |
इसके अलावा, स्मार्ट सिटीज आंतरिक राजस्व स्रोतों, सार्वजनिक-निजी साझेदारी, मूल्य वित्तपोषण, अभिसरण आदि के जरिये पैसा (निधि) एकत्रित कर रहे हैं।इन अतिरिक्त श्रोतों से प्राप्त निधि (पैसे) से परियोजनाओं के वित्तपोषण की आवश्यकताओं को पूरा करने में भी शहरों को मदद मिल रहा है।