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कामर्शियल इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए जरूरी नहीं होगा परमिट

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नागपुर: कामर्शियल जरूरतों के लिए इस्तेमाल की जाने वाली टैक्सी, ऑटो-रिक्शा और बसों के लिए परमिट की जरूरत नहीं होगी। आयातित क्रूड ऑइल और वायु प्रदूषण पर रोक लगाने के मकसद से सड़क परिवहन मंत्रालय इस प्रस्ताव पर विचार कर रहा है। ई-रिक्शा के मामले में सरकार ने इस तरह के मॉडल को लागू किया है। हालांकि इन्हें चलाने के लिए रजिस्ट्रेशन और न्यूनतम सुरक्षा उपायों की जरूरत है। सूत्रों ने कहा कि इनके लिए परमिट की जरूरत को खत्म करने से करप्शन पर लगाम कसी जा सकेगी। हालांकि सरकार जीपीएस, पैनिक बटन, सीसीटीवी कैमरे और इंश्योरेंस जैसा सुरक्षा उपायों पर कतई समझौता नहीं करेगी।

यात्रियों को लाने ले जाने के लिए इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा देने के लिए केंद्रीय परिवहन मंत्री नितिन गडकरी और महाराष्ट्र के सीएम देवेंद्र फडणवीस ने शुक्रवार को नागपुर में मल्टी-मोडल इलेक्ट्रिक वीकल प्रॉजेक्ट को लॉन्च किया। इसके तहत 200 इलेक्ट्रिक वीकल्स का काफिला सौंपा गया है। इन वाहनों में ऑटो रिक्शा, बसें और टैक्सी शामिल हैं। इनमें से ज्यादातर वाहनों की सप्लाइ महिंद्रा ऐंड महिंद्रा ने की है।

गडकरी ने कहा, ‘इलेक्ट्रिक भविष्य है। हम दो लाख इलेक्ट्रिक बसों की लॉन्चिंग का भी सपना देख रहे हैं। हम इसे योजना के लिए जापान के सॉफ्ट बैंक जैसे ग्रुप से सस्ते रेट पर लोन हासिल करने की संभावनाओं पर भी विचार कर रहे हैं। उनके पास ग्रीन फंड मौजूद है।’ महिंद्रा ऐंड महिंद्रा के सीईओ पवन गोयनका ने कहा कि उनकी कंपनी फिलहाल हर महीने 400 से 500 इलेक्ट्रिक वीकल्स तैयार कर रही है। अगले कुछ महीनों में इस लक्ष्य को 800 गाड़ियों तक बढ़ाने की तैयारी है। यही नहीं कंपनी अगले दो सालों में हर महीने 5,000 इलेक्ट्रिक वाहन तैयार करने की रणनीति पर भी काम कर रही है।

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