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उत्तर प्रदेश पर्यटन की दृष्टि से अत्यन्त समृद्ध राज्य है: मुख्यमंत्री

उत्तर प्रदेश पर्यटन की दृष्टि से अत्यन्त समृद्ध राज्य है: मुख्यमंत्री
उत्तर प्रदेश

लखनऊ: मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी ने कहा कि उत्तर प्रदेश पर्यटन की दृष्टि से अत्यन्त समृद्ध राज्य है, परन्तु अभी तक इसकी पूर्ण क्षमता का दोहन नहीं हो पाया है। उन्होंने कहा कि वर्तमान राज्य सरकार उत्तर प्रदेश को पर्यटन के क्षेत्र में देश में प्रथम स्थान दिलाने के लिए कार्य कर रही है और भविष्य में यह राज्य यह मुकाम हासिल कर लेगा। आधारभूत सुविधओं और अर्थव्यवस्था के विकास से पर्यटन की गतिविधियां बहुत तेजी से बढ़ रही हैं, जो पर्यटन के विस्तार में महत्वपूर्ण योगदान दे सकती हैं। पर्यटन को उद्योग के रूप में विकसित करने पर बड़े पैमाने पर लोगों को रोजगार मुहैया कराया जा सकता है। राज्य सरकार इस दिशा में कार्य कर रही है।

मुख्यमंत्री जी ने यह विचार आज यहां होटल रेनेसां में पर्यटन विकास पर आयोजित सेमिनार को सम्बोधित करते हुए व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि प्राचीनकाल से ही भारतवर्ष में तीर्थाटन पर्यटन का अभिन्न अंग रहा है। अयोध्या, काशी, मथुरा, विंध्याचल, चित्रकूट, नैमिषारण्य इत्यादि धार्मिक स्थलों पर लोग तीर्थाटन के लिए निरन्तर आते-जाते रहते हैं। इसी प्रकार शारदीय और ग्रीष्म नवरात्रि के दौरान लोग बड़ी सख्या में विंध्याचल पहुंचते हैं। चित्रकूट का अपना एक अलग स्थान है। उन्होंने कहा कि चित्रकूट का इतिहास लगभग आठ हजार वर्ष पुराना है। धर्म में आस्था रखने वाले तमाम लोग चित्रकूट की यात्रा करते हैं। स्पष्ट है कि धार्मिक पर्यटन इस क्षेत्र की एक महत्वपूर्ण गतिविधि है, जिसे और प्रोत्साहन दिए जाने की आवश्यकता है। राज्य सरकार द्वारा प्रदेश के प्रमुख धार्मिक स्थलों को 24 घण्टे बिजली आपूर्ति की पहल सत्ता में आते ही कर दी गई थी, ताकि तीर्थाटन के लिए आने वाले पर्यटकों को कोई असुविधा न हो। साथ ही, इन स्थलों पर साफ-सफाई सुनिश्चित करने तथा जनसुविधाएं विकसित करने के भी निर्देश दिए गये हैं।

योगी जी ने कहा कि भारतीय संस्कृति विश्व की प्राचीनतम संस्कृति है। ऐसे में, भारत को विश्व पर्यटन मानचित्र में प्रमुखता के साथ स्थापित करना होगा, जिसमें उत्तर प्रदेश की प्रमुख भूमिका होगी। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश में प्राकृतिक, ऐतिहासिक, धार्मिक तथा सांस्कृतिक महत्व के अनेक आकर्षक पर्यटन स्थल हैं, जहां पर पर्यटकों का आना-जाना लगातार बना रहता है। प्रदेश में अनेक वन्य जीव अभ्यारण्य मौजूद हैं, जहां बड़ी संख्या में पर्यटक आते हैं। उन्हांेने कहा कि पर्यटकों की सुविधा के लिए इनका और अधिक विकास किया जाना चाहिए। इसी प्रकार ऐतिहासिक स्थलों पर जनसुविधाओं इत्यादि के विकास पर भी कार्य किया जाना चाहिए।

मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार ने पर्यटन के विकास के लिए कई योजनाएं प्रस्तावित की हैं। नई योजनाओं में केन्द्रीय योजना के अन्तर्गत प्रासाद स्कीम तथा स्वदेश दर्शन स्कीम के अलावा अन्य चालू योजनाएं शामिल हैं। उन्होंने कहा कि लोक कल्याण संकल्प पत्र के अनुरूप अयोध्या, गोरखपुर, इलाहाबाद, नैमिषारण्य, वाराणसी आदि स्थलों के लिए वृहद योजना तैयार की जा रही है। पर्यटक स्थलों पर विभिन्न जन सुविधाओं का विकास कराया जा रहा है, ताकि पर्यटकों को कोई असुविधा न हो।

योगी जी ने कहा कि राज्य सरकार द्वारा विभिन्न सांस्कृतिक पर्यटन सर्किटों जैसे राम सर्किट, कृष्ण सर्किट, बुद्ध सर्किट आदि का विकास करके इनकी अवस्थापना सुविधाएं और बेहतर की जाएंगी। इसके अलावा पर्यटकों की सुविधा के लिए मथुरा, वृंदावन, अयोध्या, प्रयाग, विंध्याचल, नैमिषारण्य, चित्रकूट, कुशीनगर और वाराणसी आदि में पर्यटन सुविधाओं का विकास किया जाएगा। उन्होंने कहा कि प्रदेश में बड़ी संख्या में मौजूद बौद्ध धर्म स्थलों का विकास किया जाएगा, ताकि बौद्ध अनुयायियों के अलावा अन्य पर्यटक भी इन स्थलों की ओर आकर्षित हो सकें।

योगी जी ने कहा कि उड़ान योजना के तहत जेवर में स्थापित किए जा रहे हवाई अड्डे से पर्यटकों को बहुत सुविधा होगी और पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा। इसके अलावा कुशीनगर हवाई अड्डे को भी अपग्रेड किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि पर्यटकों की सुविधा के लिए प्रदेश के प्रमुख शहरों को हवाई सेवाओं से जोड़ने की दिशा में भी कार्य चल रहा है। इसके अलावा हेलीकाॅप्टर सेवा शुरू करने के भी प्रयास हो रहे हैं। केन्द्र सरकार तथा राज्य सरकार द्वारा यह प्रयास किया जा रहा है कि वर्ष 2019 में प्रयाग में होने वाले अर्द्धकुम्भ से पहले हुगली से प्रयाग तक पानी के जहाज से आवागमन की सुविधा उपलब्ध कराई जाए। उन्होंने कहा कि प्रयाग मंे एक अच्छे होटल की आवश्यकता महसूस की गई है। राज्य सरकार यह कोशिश करेगी कि यह अर्द्धकुम्भ से पहले निर्मित हो जाए।

मुख्यमंत्री जी ने कहा कि पर्यटन विभाग को राज्य में पर्यटन के विकास के लिए और योजनाएं बनाने के लिए कहा। उन्हांेने पर्यटन पर केन्द्रित ऐसे ही सेमिनार अन्य शहरों में भी आयोजित करने के भी निर्देश दिए।

कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए पर्यटन मंत्री श्रीमती रीता बहुगुणा जोशी ने कहा कि भारत की संस्कृति विश्व की सबसे प्राचीनतम है। प्रदेश में पर्यटन की बड़ी सम्पदा और सम्भावनाएं मौजूद हैं, जिनके माध्यम से प्रदेश का आर्थिक विकास किया जा सकता है। विगत सरकारों ने पर्यटन के विकास के लिए कोई कार्य नहीं किया। वर्तमान सरकार प्रदेश का पर्यटन के क्षेत्र में शीर्ष पर स्थापित करने के लिए कटिबद्ध है। पर्यटन विकास के लिए सरकार और निजी क्षेत्र की भागीदारी आवश्यक है। उन्होंने राज्य में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए अच्छे टूर पैकेजों की आवश्यकता पर बल दिया। प्रयाग में आयोजित होने वाले अर्द्धकुम्भ 2019 को अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर कैसे स्थान दिलाया जाए इस पर काम करना होगा। उन्होंने कहा कि भविष्य में बुन्देलखण्ड पर्यटन का उभरता हुआ क्षेत्र बनेगा। उन्होंने आशा व्यक्त की कि पर्यटन के विस्तार और विकास से 10 लाख रोजगार निर्मित होंगे।

इससे पूर्व प्रमुख सचिव पर्यटन श्री अवनीश अवस्थी ने सेमिनार को सम्बोधित करते हुए पर्यटन विभाग द्वारा इसके विकास और विस्तार के लिए किए जा रहे कार्यों के विषय में जानकारी दी। उन्होंने कहा कि आज का यह सेमिनार राज्य सरकार के 100 दिन पूरे होने के उपलक्ष्य में आयोजित किया गया है। पर्यटन के क्षेत्र मंे उत्तर प्रदेश देश में इस समय दूसरे स्थान पर है। इसके अलावा विदेशी पर्यटकों द्वारा उत्तर प्रदेश आने के सम्बन्ध में उत्तर प्रदेश देश में तीसरे स्थान पर है। रामायण सर्किट, बद्धिस्ट सर्किट, नैमिषारण्य, वन्य जीव स्थल इत्यादि पर्यटकों के प्रिय गन्तव्य हैं। राज्य का पर्यटन विभाग प्रदेश में पर्यटन के विकास और विस्तार के लिए कार्य कर रहा है और नई योजनाओं पर भी काम चल रहा है। उन्होंने कहा कि राज्य में पर्यटन के विकास में सरकार के अलावा पर्यटन से जुड़ी निजी संस्थाओं जैसे, टूर आॅपरेटर्स इत्यादि की महत्वपूर्ण भूमिका होगी। कार्यक्रम को पर्यटन निगम के प्रबन्ध निदेशक ने भी सम्बोधित किया। इससे पूर्व सेमिनार का शुभारम्भ मुख्यमंत्री ने दीप प्रज्ज्वलित कर किया। कार्यक्रम के दौरान मुख्यमंत्री ने ‘वन स्टाॅप ट्रैवेल साॅल्यूशन पोर्टल’ का भी शुभारम्भ किया। पर्यटकों के लिए यह पोर्टल आठ भाषाआंे में उपलब्ध होगा। कार्यक्रम के दौरान शासन-प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारी, बड़ी संख्या में पर्यटन से जुड़े निजी क्षेत्र के लोग तथा गणमान्य नागरिक मौजूद थे।

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