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इतिहास रचने से चूकीं सिंधु, बोली- आखिरी क्षण में सब कुछ बदल गया

खेल समाचार

विश्व चैंपियनशिप के फाइनल में गोल्ड से चूकने वाली भारतीय बैडमिंटन स्टार पी वी सिंधु अपने प्रदर्शन के बाद काफी दुखी हैं। रोमांचक फाइनल मुकाबले में उन्हें नोजोमी ओकुहारा के हाथों हार कर सिल्वर से संतोष करना पड़ा।

सिंधु और ओकुहारा ने एक दूसरे को फाइनल मुकाबले में कड़ी चुनौती दी जिसे कई विशेषज्ञों ने महिला सिंग्लस के सर्वश्रेष्ठ मैचों में से एक करार दिया। जापानी खिलाड़ी हालांकि आखिर में रोमांच की पराकाष्ठा तक पहुंचे मैच में 21-19, 20-22, 22-20 से जीत दर्ज करने में सफल रही।

निर्णायक गेम में जब दोनों खिलाड़ी 20-20 से बराबरी पर थी तब सिंधु ने अपनी गलती से एक अंक गंवाया जो उन्हें बहुत महंगा पड़ा। उन्होंने मैच के बाद इस गलती का जिक्र करते हुए कहा, ‘‘मैं दुखी हूं। तीसरे गेम में जब स्कोर 20-20 से बराबरी पर था तब कोई भी जीत दर्ज कर सकता था। हर कोई गोल्ड को लक्ष्य मानकर चैंपियनशिप में उतरता है और मैं इसके बेहद करीब पहुंच गयी थी लेकिन अंतिम क्षणों में सारी कहानी बदल गयी।’’ उन्होंने कहा, ‘‘उसे (ओकुहारा) हराना आसान नहीं है। जब भी हम एक दूसरे के खिलाफ खेले तो मुकाबला आसान नहीं रहा। बेहद लंबी और कड़ी रैलियां चली। मैंने कभी उसे हल्के में नहीं लिया। हमने कभी कोई शटल नहीं छोड़ी। मैं मैच के लंबे समय तक खिंचने के लिए तैयार थी लेकिन मुझे लगता है कि यह मेरा दिन नहीं था।’’ यह मैच एक घंटे 49 मिनट तक चला जो टूर्नामेंट का सबसे लंबा मैच भी था। सिंधु ने भी माना कि यह काफी थका देने वाला मैच था।

उन्होंने कहा, ‘‘यह मानसिक और शारीरिक तौर पर काफी कड़ा मैच था। प्रत्येक रैली लंबी खिंची और हम दोनों में से किसी ने भी ढिलायी नहीं बरती और कड़ी चुनौती पेश की। यह काफी करीबी रहा। हम 14-14, 18-18 जैसे स्कोर पर आगे बढ़ रहे थे और 20-20 के स्कोर पर कोई भी विजेता बन सकता था। यह बड़ा मैच था। एक अच्छा मैच था लेकिन दुर्भाग्य से मैं नहीं जीत सकी। ’’

सिंधु ने कहा कि कुल मिलाकर विश्व चैंपियनशिप में भारतीयों का प्रदर्शन संतोषजनक रहा। उन्होंने कहा, ‘‘हम भारतीय बहुत गौरवान्वित हैं कि हमने दो पदक जीते। साइना ने भी अच्छा प्रदर्शन किया। मुझे बहुत गर्व है कि मैं देश के लिए रजत पदक जीतने में सफल रही। इससे मुझे काफी आत्मविश्वास मिला है तथा मैं भविष्य में और खिताब जीतूंगी।’’ विश्व चैंपियनिशप में अब कुल तीन पदक जीतने वाली इस भारतीय खिलाड़ी ने कहा कि प्रारूप और स्कोरिंग प्रणाली में बदलाव की कोई जरूरत नहीं है।

सिंधु ने कहा, ‘‘मुझे लगता है कि 21 अंक की प्रणाली अच्छी है। इसमें लंबी रैलियां देखने को मिलेंगी तथा इसे 30-40 मिनट तक सीमित रखना संभव नहीं होगा क्योंकि यह विश्व चैंपियनशिप है और प्रत्येक विश्वस्तरीय खिलाड़ी इसमें हिस्सा लेता है। ’’ ओकुहारा पिछले साल रियो डि जनेरियो में ओलंपिक खेलों के सेमीफाइनल में सिंधु से हार गयी थी और जापानी खिलाड़ी ने कहा कि उन्होंने उस मैच से काफी कुछ सीखा था।

उन्होंने कहा, ‘‘मुझे उस मैच से काफी सीख मिली थी। यहां फाइनल में मैंने अपनी रणनीति बदली और उसे कोर्ट पर अधिक दौड़ाने का प्रयास किया। ’’ ओकुहारा ने कहा, ‘‘तीसरा गेम काफी करीबी रहा और मैं काफी थक चुकी थी। लेकिन मैंने प्रयास जारी रखे और इसका पूरा लुत्फ उठाया और मैं देख रही थी कि वह भी थक गयी हैं और संघर्ष कर रही है। मैं अपने जज्बे के दम पर जीतने में सफल रही। ’’ ओकुहारा जापान की पहली खिलाड़ी हैं जिन्होंने विश्व चैंपियनिशप में एकल का गोल्ड मेडल जीता।

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