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अभाविप की राष्ट्रीय कार्यकारी परिषद में विचार विमर्श

अभाविप की राष्ट्रीय कार्यकारी परिषद में विचार विमर्श
उत्तर प्रदेश

लखनऊ: अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद ने पश्चिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस सरकार की उदासीनता से जिहादी तत्वों का मनोबल बढ़ा है। तुष्टीकरण की नीति को बढ़ावा दिया जा रहा है। इसे रोकने के लिए केन्द्र सरकार सीधे हस्तक्षेप करे। साथ ही युवाओं से जल संरक्षण हेतु संकल्पित होने का आवह्ान किया। बुधवार को बीकेटी के एसआर कालेज में अभाविप की राष्ट्रीय कार्यकारी परिषद की बैठक में ये दो प्रस्ताव रखे गये।
लखनऊ विश्वविद्यालय में आयोजित प्रेस वार्ता में अभाविप की राष्ट्रीय कार्यकारिण सदस्य गार्गी मण्डल ने बताया कि पश्चिम बंगाल हिंदुओं का उत्पीड़न किया जा रहा है। उन पर हमले हो रहे हैं। इसके अलावा मादक पदार्थों,गोवंश की तस्करी खूब चल रही है। नकली नोटों का व्यापार तेजी से बढ़ रहा है। बांग्लादेश के जमातउल मुज्जहिद्दीन जैसे आतंकी संगठन यंहा पैर जमा रहे हैं। पिछले दिनों खगड़ागढ़, पिंगला सहित अनेक स्थानों पर हुए बमविस्फोट में इसी संगठन का हाँथ साबित हुआ।
उन्होंने कहा कि जिहादी दबाव में सरकार पाठ्îक्रम में बदलाव कर रही है। इससे बच्चों पर राष्ट्रविरोधी व् मजहबी भेदभाव बढ़ाने वाले विचार थोपे जा रहे हैं। हिन्दू विद्यार्थियों व् शिक्षकों को मुस्लिम त्यौहार पर कार्यक्रम में शामिल होने दबाव बनाया जा रहा है। हिंदुओं के धार्मिक जुलूसों सार्वजनिक पूजा पर प्रशासन प्रतिबन्ध लगा रहा है। मूल बांग्ला शब्दों में मजहबी वा भाषाई भेदभाव से बदलाव किये जा रहे हैं।
गार्गी मण्डल ने कहा कि मदरसा शिक्षा बजट में 2815 करोड़ रूपये का प्रावधान किया गया। जबकि उद्योगों के लिए बजट धनराशि इससे कम है। जबकि 2010-11 में मदरसा शिक्षा हेतु 472 करोड़ रूपये तय किये गए थे। कई इमाम राष्ट्रविरोधी बयान देतें रहें हैं। लेकिन सरकार उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई से बचती है। कार्यकारी परिषद् ने इन पर देशद्रोह का मुकदमा चलाने की मांग की है। इसी के साथ आव्हान किया कि रवीन्द्रनाथ टैगोर, श्यामा प्रसाद मुखर्जी आदि लोगों ने जैसे बेग भंग के खिलाफ आंदोलन किया था। आज भी वैसा ही आंदोलन तुष्टिकरण व राष्ट्रविरोधी गतिविधियों के खिलाफ होना चाहिए। साथ ही केंद्र सरकार को भी इसमें हस्तक्षेप करना चाहिए।
जल संरक्षण का संकल्प
राष्ट्रीय मंत्री संजय खुशराम ने बताया कि परिषद् ने युवाओं से जल संरक्षण हेतु संकल्पित होने का आवह्ान किया। भारत मंे प्राचीन काल से जल संरक्षण की परंपरा रही है। गंगा जैसी नदियों को माँ माना गया है। उत्तराखंड न्यायलय ने गंगा को जीवित प्राणी मना है।
उन्होंने बताया की देश के अनेक क्षेत्र जल समस्या की एक सीमा तक समाधान किया जा सकता है। लेकिन यह कार्य समाज की सहभागिता के बिना नहीं हो सकता।
खासतौर पर युवा वर्ग को इसके लिए अलख जगानी होगी। इसके लिए अभियान चलाने पर बल दिया गया। इसके लिए अभियान चलाने पर बल दिया गया। इसके अंतरगत तालाबों का निर्माण , उनको पुनर्जीवित करने नदी को संरक्षित करने,वृहद स्तर पर वृक्षरोपण आदि प्रयासों की आवश्कता है।
इलाहाबाद विश्वविद्यालय के छात्रसंघ अध्यक्ष रोहित मिश्रा ने कहा कि कुलपति ने छात्रावास की फीस में तीन गुना की वृद्धि की है। उन पर भ्रष्टाचार के आरोप हैं। जो जांच की मांग करता उसका विवि प्रशासन द्वारा उत्पीड़न होने लगता है।
छात्रसंघ अध्यक्ष ने कहा कि कुलपति की तानाशाही के खिलाफ आवाज उठाने की उन्हे सजा मिली। उन पर कैम्पस में आने का प्रतिबन्ध लगा दिया गया। जबकि कश्मीर की आजादी व अलगाव-वादियों के पक्ष में आवाज उठाने वालों पर कोई प्रतिबन्ध नहीं है। उन्होंने कुलपति को कही दूर न भेजकर नैनी भेजने की मांग की है। रोहित ने कहा कि कुलपति ने असमाजिक तत्वों को सुनियोजित ढंग से प्रवेश दिया है। इससे समस्या बढ़ी है।

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