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अन्तर्राष्ट्रीय कछुआ तस्कर गैंग के सरगना सहित 02 गिरफ्तार

कछुआ तस्कर गैंग के सरगना सहित 02 गिरफ्तार
उत्तर प्रदेश

लखनऊ: एस0टी0एफ0, उत्तर प्रदेश एवं वन विभाग, लखनऊ के संयुक्त अभियान में अन्र्तराष्ट्रीय कछुआ तस्करगिरोह के सरगना अजय सिंह को उसके एक साथी सहित जनपद-आगरासे गिरफ्तार करने तथा अत्यन्त दुर्लभ एवं संरक्षित कछुओं की बरामदगी करने में उल्लेखनीय सफलता प्राप्त हुई।

गिरफ्तार अभियुक्त का विवरणः-
1. अजय सिंह पुत्र कृपाल सिंह नि0 31, पुरूषोत्तमबाग काॅलोनी, दयालबाग, थाना-न्यू आगरा, जिला-आगरा हाल पता-60 नई आबादी, जायसवालकुंज, नंगला मोहन लाल, मौजा नराइच, यमुना ब्रिज, कुबेरपुर, आगरा।
2. दीपेन्द्र सिंह पुत्र पुष्पेन्द्र सिंह नि0-गिहार काॅलोनी, थाना-भोगाॅव, जनपद-मैनपुरी।
बरामदगीः-
1. 23अदद कछुए (Red Crowned Roof Turtle-लाल तिलक कछुए)
2. 03 अदद मोबाइल फोन
3. एक अदद ट्रेन टिकट आगरा से चैन्नई तक
4. एक अदद होण्डा मोबिलियो गाड़ी नं0-यूपी-80-डीआर-9101

एस0टी0एफ0, उत्तर प्रदेश ने विगत वर्षाे में वन्य जीव अपराधियों के विरूद्ध अभियान चलाकर बड़ी संख्या में विभिन्न प्रजाति के वन्य जीवों को संरक्षित किया है। इसके अतिरिक्त अनेक प्रकरणों में प्रतिबन्धित वन्य जीवांे की खाल व हडडी इत्यादि बरामद करते हुए वन्य जीव अपराधियों के विरूद्ध प्रभावी कार्यवाही की है। विगत कुछ वर्षाे से एस0टी0एफ0 में वन्य जीव अपराधो के विरूद्ध कार्यवाही करने वाली टीम ने कई महत्वपूर्ण सफलतायें अर्जित की हैं, जिसमें कछुओं की बरामदगी भी उल्लेखनीय रही है।

माह जनवरी,2017 में ‘‘पुलिस सप्ताह’’ के दौरान वन्य जीव अपराध नियन्त्रण ब्यूरो (WCCB) की एडीशनल डायरेक्टर श्रीमती तिलोत्तमा वर्मा ने वरिष्ठ पुलिस अधिकारी सम्मेलन में टर्टल पोचिंग के सम्बन्ध में एक प्रस्तुतीकरण भी दिया था। इसी क्रम में उन्होने पुलिस महानिदेशक, उत्तर प्रदेश से भेंट कर एस0टी0एफ0 में Zero Turtle poaching Cell स्थापित करने का अनुरोध भी किया था, जिस पर पुलिस महानिदेशक, उत्तर प्रदेश ने सहमति व्यक्त की थी।

श्री अमित पाठक, वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक,एस0टी0एफ0, उ0प्र0 लखनऊ ने एस0टी0एफ0 में वाइल्ड लाइफ सेल का नेतृत्व कर रहे डा0 अरविन्द चतुर्वेदी, अपर पुलिस अधीक्षक को कछुओं के सम्बन्ध में अभिसूचना संकलन हेतु निर्देशित किया था। इसी क्रम में डा0 चतुर्वेदी ने गंगा नदी के किनारे बसे जनपदों-फर्रूखाबाद, कानपुर तथा फतेहपुर में अभिसूचना तन्त्र विकसित किया। इसके अतिरिक्त यह सूचना भी प्राप्त हुई कि घाघरा नदी और उसकी सहायक नदियों के कैैचमेन्ट एरिया में भी बड़ी संख्या में कछुओं की तस्करी हो रही है। इस सूचना को विकसित करते हुए दिनंाकः10-01-2017 को एस0टी0एफ0 टीम ने जनपद-अमेठी में 6430 कछुए ;440 कुन्तल) बरामद किये गये थे, जो अभी तक की देश की सबसे बड़ी बरामदगी है।

डा0 चतुर्वेदी ने WCCB उ0प्र0 वन विभाग के प्रमुख डा0 रूपक TSA(Turtle Survival Alliance) के श्री शैलेन्द्र सिंह से कछुओं के अवैध व्यापार के सम्बन्ध में महत्वपूर्ण जानकारी प्राप्त की। इस दौरान यह अभिसूचना प्राप्त हुई कि आगरा को केन्द्र बनाकर कुछ तस्कर अत्यन्त दुर्लभ प्रजाति के कछुओं की तस्करी कर रहे हैं, जो चम्बल नदी में पाये जाते हैं। इनमें से एक Red Crowned RoofTurtle जिसका सामान्य नाम लाल तिलकधारी है। इसकी माॅग विदेशों में होने की जानकारी मिली।

डा0 अरविन्द चतुर्वेदी ने पुलिस उपाधीक्षक श्री पी0के0 मिश्र के नेतृत्व में एक टीम गठित की। निरीक्षक श्री राजेश चन्द्र त्रिपाठी ने टीम सहयोगियों के साथ आसूचना एकत्र करने का कार्य आरम्भ किया। आगरा में कैम्प करते हुए टीम ने अत्यन्त परिश्रमपूर्वक ग्वालियर-आगरा-मैनपुरी-मथुरा तथा आसपास के कैचमेन्ट एरिया में दुर्लभ प्रजातियों के कछुओं के शिकारियों और तस्करों की पहचान की और डी0एफ0ओ0, आगरा श्री डी0के0 सिंह से सहयोग मांगा।

इसी क्रम में दिनंाकः 20-03-2017 को एस0टी0एफ0 टीम ने स्थानीय वन विभाग की टीम के साथ अन्तर्राष्ट्रीय कछुआ तस्कर अजय सिंह और दीपेन्द्र उपरोक्त को उस समय गिरफ्तार कर लिया जबवे उक्त 23 लाल तिलकधारी कछुए लेकर चैन्नई जा रहे थे।

पूछताछ पर अजय उपरोक्त ने बताया कि वह पिछले 5-6 वर्षाे से यमुना और चम्बल में पाये जाने वाले कछुओं का अवैध व्यापार कर रहा है। उसने अपना सम्बन्ध चैन्नई और कोलकता के बड़े तस्करों से होना स्वीकार किया है। अजय ने बताया कि वह मुख्य रूप से लालतिलकधारी(जूलोजीकल नाम & Batagur Kachuga) और चित्रा इंडिका प्रजाति के कछुए पकड़वाता है और ऊॅचे दामों पर उन्हें चैन्नई के रास्ते सिंगापुर, थाइलेैण्ड और अन्य देशों में भेजता है। लाल तिलक कछुए का मूल्य चम्बल के किनारे लगभग रू0 4000/-, सिंगापुर में 2000 डाॅलर अर्थात लगभग डेढ लाख प्रति कछुआ है। इसी प्रकार चित्रा की भी बहुत अधिक माॅग है। पूछताछ पर प्राप्त महत्वपूर्ण सूचनाओं को विकसित किया जा रहा है।

उल्लेखनीय है कि TSA संयोजक श्री शैलेन्द्र सिंह के अनुसार लाल तिलकधारी प्रजाति का कछुआ न केवल वन्यजीव अपराध अधिनियम-1972 की शिड्यूल-1 में सम्मिलित है बल्कि TSA की गणना के अनुसार अब केवल 500 ही ऐसे कछुए चम्बल नदी में शेष रह गये हैं।

अभियुक्तगण के विरूद्ध धारा-9/39/48ए/49/51वन्यजीव संरक्षण अधि0-1972 एवं धारा-41/42/52/52ए भारतीय वन अधि0-1988 सपठित उ0प्र0 अभिवहन नियमावली की धारा-28 के अन्तर्गत अभियोग पंजीकृत किया गया है।गिरफ्तार अभियुक्तो को वन विभाग के विवेचक द्वारा सक्षम न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत किया जायेगा तथा न्यायालय से आदेश प्राप्त कर बरामद कछुओं को उनके नेचुरल हेबिटाट में छोड़ा जायेगा।

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