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गर्भावस्था में योगासन से शिशु के विकास पर पड़ता है सकारात्मक प्रभाव

उत्तराखंड

जननी शिशु सुरक्षा कार्यक्रम के तहत निरामया योगम रिसर्च फाउंडेशन हरिद्वार और नीलकंठ मल्टी स्पेशिएलिटी हास्पिटल हल्द्वानी ने संयुक्त रूप से प्रसूताओं के लिए  गर्भायोगासन विषय पर ऑनलाइन वर्कशाप का आयोजन कराया। इसका प्रमुख उद्देश्य प्रसव काल को सरल बनाकर शिशु के विकास पर सकारात्मक असर लाना था।
कार्यक्रम की सचिव और संचालक डॉ0 प्रेक्षा ने बताया की कोविड-19 की परिस्थितियों में गर्भवती महिलाएं योगाभ्यास के माध्यम से इस दौरान आने वाली जटिलताओं और मुश्किलों को बेहद कम कर सकती है। इसका प्रभाव यह होगा कि गर्भावस्था के दौरान उन्हें कम दवाई का उपयोग करना पड़ेगा। जो जननी और शिशु दोनों की सुरक्षा रहेगी। संरक्षक डॉ0 स्वाति सिंघल ने बताया कि गर्भावस्था की चुनौतियों को आसान बनाने में योगाभ्यास महिलाओं के लिए काफी मददगार साबित हो रहा है। इससे सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
उन्होंने कहा कि महाकुंभ के दौरान भी योगाभ्यास की महत्ता और कोविड काल में लोगों को तनावमुक्त कराने के लिए मीडिया सेंटर में प्रतिदिन योगाभ्यास कराया गया जो एक सराहनीय और प्रेरणादायक पहल है। इससे देश विदेश में योग को और ख्याति मिली है।
कार्यशाला की रिसोर्स पर्सन डॉ0 उर्मिला ने बताया कि योगाभ्यास श्वास-प्रश्वास पर आधारित क्रियात्मक चिंतन है। इसके प्रभाव से हमारे अंर्तमन और बाहरी वातावरण के साथ बेहतर समन्वय स्थापित होता है। जिससे माँ एवं शिशु के शारीरिक मानसिक विकास पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
डा. पांडे ने ऑनलाइन दो सत्र में अपने विचार रखे। जिसमे योगाभ्यास के साथ ही कास्मिक हीलिंग के माध्यम से डिस्टेंस थेरेपी भी किया गया। उन्होंने  प्रसूताओं को कोविड -19 के प्रभाव को समाप्त करने के लिए योगाभ्यास कराया। जिसमें विष्णुशयन मुद्रासन एवं नीलकंठासन-प्राणायाम विशेष रूप से शामिल रहा।
कार्यशाला में 100 प्रतिभागियों के साथ विभिन्न स्त्री एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञ डाॅक्टर के साथ ही डाॅ0 स्वाति, डाॅ0 भूपेंद्र, डाॅ0 अक्षय, डाॅ0 वैशाली, डाॅ0 दीक्षा, तनु आदि ने भी सहभागिता की।

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