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विश्व होम्योपैथी दिवस: हर दौर में भरोसेमंद

देश-विदेश

विश्व होम्योपैथी दिवस (10 अप्रैल) पर होम्योपैथी के जनक डॉ. हैनिमैन के जन्मदिवस पर शत् शत् नमन। होम्योपैथी को एक चिकित्सा पद्धति के रूप में स्थापित करने का श्रेय डॉक्टर सैमुअल हैनिमैन को जाता है जिन्होंने जर्मनी में अठारहवीं सदी में होम्योपैथी को स्थापित किया। भारत में होम्योपैथी बहुत तेजी से लोकप्रिय हुआ और दूसरी चिकित्सा पद्धतियों के साथ रोगियों के रोगों के उन्मूलन में अग्रणी भूमिका निभाने लगा।

भारत में होम्योपैथी के प्रसार का एक बहुत बड़ा कारण “होलिस्टिक मेडिकल फिलॉसफी एंड प्रिंसिपल” हैं। डब्ल्यूएचओ के अनुसार होम्योपैशी विश्व में सभी चिकित्सा पद्धतियों में दूसरे स्थान पर आता है। होम्योपैथी ज्यादातर अपने अच्छे परिणाम आरथ्राइटिस, त्वचा, सांस सम्बन्धी रोगों, गैस की समस्याओं तथा विभिन्न प्रकार की एलर्जी जैसे रोगों में देता है। होम्योपैथी से इलाज का खर्च, एलोपैथी की तुलना में 1/5वाँ हिस्सा ही है। होम्योपैथी किसी भी दूसरे चिकित्सा पद्धति के मुकाबला ज्यादा कारगर चिकित्सा पद्धति है जो कि निस्संदेह सुरक्षित है, बहुत ही सस्ती चिकित्सा पद्धति है और साथ ही साथ यह सम्पूर्ण चिकित्सा पद्धति है। ऐसा स्वयं महात्मा गांधी ने कहा था।

होम्योपैथी आज के समय में बहुत तेजी से प्रसारित होने वाली पद्धति है जो कि ना सिर्फ भारत वर्ष में बल्कि पूरे विश्व में सेवा प्रदान कर रही है। भारत वर्ष में यह चिकित्सा पद्धति अपने बहुत ही कम या ना के बराबर विपरीत प्रभाव के कारण प्रचलित है। इसमें किसी भी बिमारी का इलाज लक्षणों के मिलान के आधार पर किया जाता है।

इसका सिद्धांत है “समः समं समयति” मतलब समान लक्षणों के द्वारा वैसे ही लक्षणों को स्वस्थ व्यक्ति में उत्पन्न करके चिकित्सा को पूर्ण किया जाता है। जब जब किसी महामारी का प्रसार हुआ है तब तब होम्योपैथी ने उसके उन्मूलन में अपना पूर्ण योगदान प्रदान किया है। कोरोना काल भी इससे अछूता नहीं है। 28 जनवरी 2020 को साइंटिफिक बोर्ड ऑफ होम्योपैथी काउंसिल की मीटिंग में जीनस एपिडेमिकस के तौर पर “आर्सेनिकम् एल्बम” का चुनाव किया गया।

आयुष मंत्रालय ने कोरोना से बचाव के लिए इस दवा के प्रयोग को पूर्ण स्वीकृत दी। इस दवा के प्रयोग के साथ-साथ कोरोना से बचने के सरकार द्वारा दिए गए सभी उपायों का पालन करने की अनिवार्यता भी निश्चित की। “आर्सेनिकम् एल्बम” ऐसी दवा है जिसका इस्तेमाल श्वसन तंत्र की बीमारियों में किया जाता है। इस दवा में वह गुण है जो एचटी 29 सेल्स और ह्यूमन मैक्रोफेजेज को प्रभावित करती है।

डब्ल्यूएचओ के अनुसार प्रति 1,000 व्यक्ति पर एक डॉक्टर की अनिवार्यता निश्चित की गई है। परन्तु भारत में यह अनुपात 1:1668 है। भारत में कुल 195 होम्योपैथिक मेडिकल कॉलेज, 43 पोस्ट ग्रेजुएट होम्योपैथिक मेडिकल कॉलेज हैं। जिसमें बहुत से कॉलेजों में उच्च स्तरीय गुणवत्तायुक्त शिक्षा की व्यवस्था है। आटोनोमस रिसर्च काउंसिल के लिए 22 इन्स्टिट्यूट्स और यूनिट्स हैं। 2,83,840 रजिस्टर्ड होम्योपैथिक प्रैक्टिसनर है। 403 ड्रग मैन्यूफैक्चरिंग यूनिट है। जिसमें ड्रग सेफ्टी रेग्युलेशन को शामिल किया जाता है। होम्योपैथिक की चिकित्सा उपलब्ध कराने के लिए हमारे देश में 235 अस्पताल हैं। 8,117 डिस्पेन्सरीज हैं। जो कि राज्य स्तरीय, म्युनिसिपल बॉडीज, सेन्ट्रल गवर्नमेंट हेल्थ स्कीम, लेबर मिनिस्ट्री और रेलवे मिनिस्ट्री के द्वारा संचालित की जाती हैं।

भारत सरकार ने एनआरएचएम (नेशनल रूरल हेल्थ मिशन)लांच किया जिसका मुख्य उद्देश्य हमारे देश में बेसिक हेल्थ केयर डिलिवरी सिस्टम में सुधार करने की है। एनआरएचएम के अंतर्गत आयुष विभाग होम्योपैथी के क्षेत्र में देश भर में 512 जिला अस्पतालों, 2739 कम्युनिटी हेल्थ सेंटर और 9112 प्राइमरी हेल्थ सेंटर में अपना योगदान दे रहा है।

डॉ. किरण राय
होम्योपैथी सलाहकार, पूर्व लेक्चरर एसएचएमसी, जमशेदपुर

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