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‘‘महिला स्वयं सहायता समूह सशक्तिकरण कार्यक्रम’’ को सम्बोधित करते हुएः मुख्यमंत्री हरीश रावत

उत्तराखंड

देहरादून: मुख्यमंत्री हरीश रावत ने प्रदेश में महिला स्वयं सहायता समूहों को आर्थिक रूप से सशक्त बनाने के लिये ‘‘महिला स्वयं सहायता समूह सशक्तिकरण कार्यक्रम‘‘ संचालित करने को कहा है। उन्होंने इसका प्रस्ताव शीघ्र कैबिनेट के समक्ष रखने के निर्देश प्रमुख सचिव गाम्य विकास के दिये है। मुख्यमंत्री श्री रावत ने मनरेगा के अन्तर्गत कन्वरजेंस(केन्द्राभिसरण) से सम्बन्धित विभागवार कार्ययोजना को भी शीघ्र अन्तिम रूप देने के निर्देश दिये है।
शनिवार को बीजापुर अतिथि गृह में ग्राम्य विकास एवं युवा कल्याण विभाग की समीक्षा करते हुए मुख्यमंत्री श्री रावत ने कहा कि इस वर्ष की 273.21 करोड़ रूपये के कन्वरजेंस प्लान के सम्बंध में सम्बन्धित विभागों से समन्वय कर इसके क्रियान्वयन में तेजी लाने के प्रयास किये जाय। कृषि, भूमि संरक्षण, पशुधन, चाय, डेरी व चारा विकास, उद्यान रेशम, मत्स्य, पंचायतीराज, वन, मेरा गांव मेरी सड़क से सम्बन्धित योजनाओं को आगे बढ़ाने में इससे मदद मिल सकेगी।
मुख्यमंत्री श्री रावत ने कहा कि इन योजनाओं में महिला स्वयं सहायता समूहो का सहायोग लिया जाये। इससे इनके आर्थिक संसाधनों में भी वृद्धि हो सकेगी। उन्होंने कहा कि इंदिरा अम्मा कैन्टीन संचालन के लिये जो भी महिला स्वयं सहायता समूह आगे आते है, उनके प्रस्ताव मांगे जाय। इसके लिये सब्सिडी व स्थान की व्यवस्था राज्य सरकार करेगी।
मुख्यमंत्री श्री रावत ने महिला मंगल दलों को ओर अधिक सक्रिय करने पर भी बल दिया। ग्रामीण विकास से सम्बंधित गतिविधियों में इन्हें सहभागी बनाने के निर्देश देते हुए उन्होंने छोटे निर्माण कार्यां में इनकी भागीदारी सुनिश्चित करने को कहा। महिला मंगल दल सक्रियता से कार्य कर सके इसके लिये जिलाधिकारी की देखरेख में इनके सेमिनार आयेजित हो नियमित रूप से बैठके हो। प्रत्येक गांव में इनका गठन हो। तथा सभी के अलग अलग बैंक खाते खोल जाय।
उन्होंने कहा कि युवा मंगल दलों को खेलों से जोड़ा जाय, इससे ग्रामीणों क्षेत्रों में खेलों के विकास में मदद मिलेगी। मुख्यमंत्री श्री रावत ने कहा कि पीआरडी स्वयं सेवकों को वर्षभर रोजगार मिल सके, इसके लिये उनके प्रशिक्षण व कार्यां को परिभाषित किया जाय। कानून व्यवस्था के अलावा, इन्हें आपदा व वनाग्नि रोकने जैसे कार्यां से भी जोडा जाय। इसके लिये भी प्रशिक्षण आदि की जरूरत हो तो इन्हें दी जाय। आपदा एवं बचाव के कार्यां से इन्हें जोड़ने से भारत सरकार द्वारा मिलने वाली धनराशि का लाभ भी इन्हें मिल सकेगा तथा रोजगार से भी ये जुड़े रहेंगे।

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