27 C
Lucknow
Online Latest News Hindi News , Bollywood News

महिलाओं के जींस पहनने पर बवाल क्यों, जीन्स को लेकर समाज की राय….. संकीर्णता …..

सम्पादकीय

मेरी एक मित्र ने पूछा कि संकीर्णता क्या हैं ? किसी सरल घटना से समझाओ जिससे मुझे समझ आ जाये|हमने कहा,” सुनो, ये दो सहेलियों का वार्तालाप से समझो |

सहेली रेखा,” सुनो सोनल की माँ,कल तुम कहाँ गयीं थी? मैं आयी और वापस लौट गयी|

सोनल की माँ,” वो मैं अपनी पुरानी सहेली के घर गयी थी |
सहेली रेखा,”कोई खास काम था क्या?
सोनल की माँ,” सोचा उसकी लड़की शादी लायक हो गयी है काफी पढ़ी एम.बी.ए तो सोचा अपने गौरव के लिये देख लूँ,गौरव भी उसको पसंद करता है| ये बात मैं जानती हूँ|

सहेली रेखा,” हाँ,तो परेशानी क्या है कर डालो शादी बच्चों की खुशी में अपनी खुशी|”

तभी अचानक सोनल चश्मा लगाये बाल खोले पटियाला सलवार पहने अपनी माँ और आंटी(रेखा) को नज़रअंदाज करती हुई ऊपर अपने कमरे में चली गयी|
सहेली रेखा को सोनल का यह व्यवहार बिल्कुल अच्छा न लगा|

तभी सोनल की माँ पानी और पेठा लेकर आयी और बोली लो पानी पी लो,गरमी आजकल बहुत हो रही है|

सहेली रेखा पानी पीकर बोली,”चलो,फिर गौरव की शादी कब है?

सोनल की माँ,”मुझे वो लड़की ही पसंद नहीं आयी जब आयी|जब दूसरी अच्छी लड़की देखूंगी तब करूगीं अपने गौरव की शादी लड़की ऐसी हो जो घर लेके चले
संस्कारी हो |

सहेली रेखा,” अच्छा,ये बताओ तुम्हारी उस सहेली की बेटी का नाम क्या है|

सोनल की माँ,” शिवानी|”

रेखा,”तो,शिवानी ने तुमको देख कर नमस्ते की ?

सोनल की माँ,”हाँ,नमस्ते की ,उसने तुरन्त मेरे लिये चाय बनायी और गरमागरम पकोड़े भी बनाये पास बैठी हंसती रही बतियाती भी रही|

रेखा,”तो,कमी क्या लगी उसमें ?

सोनल की माँ,”वो जीन्स टी-शर्ट पहने थी|

ऐसी लड़कियाँ क्या घर परिवार समभालेंगी बोलो?
मैने गौरव से कह दिया अब उसकी बात ना करे|

सहेली रेखा,” पहनावा से क्या,उसका स्वभाव तो अच्छा है |अतिथि का सम्मान करना जानती है |बृद्धाआस्रम में जितने भी बुजुर्ग हैं उन सभी को क्या जीन्सवाली बहुओं ने उन्हें वहाँ पहुँचाया ? तुम्हारी बड़ी बेटी को ससुराली जनों ने घर से निकाल दिया क्या वो भी जीन्स पहनती थी नहीं ना फिर अरे! हम तुम ने भी तो अपने जमाने मैं वेलवॉटम पहने थे तो क्या हम लोगों ने गृहस्थी नहीं देखी? सोचो! जब तुम दूसरे के लड़की के लिये ऐसे सोच सकती हो तो कल के दिन तुम्हारी भी लड़की को लोग देखने आयेगें वो क्या बोलेगें?

सोनल की माँ,”मेरी सोनल तो पटियाला सूट दुपट्टा पहनती है|”

रेखा,” हाँ,पहनती है,पर मुझसे, नमस्ते तक ना करी उसने ….बुरा मत मानना, पहनावा नहीं संस्कार देखो
खुशदिल स्वभाव देखो| बहू को बेटी समझो,घर में कामकरनेवाली फ्री की नोकरानी नहीं,घर बच्चे सम्भालनेवाली आया नहीं|

सोनल की माँ ,” कुछ सोच पाती,तभी सोनल बोली मॉम में अपने फ्रैंन्डस के साथ मूवी देखने जा रही हूँ,मेरा खाना मत बनाना|”

रेखा,” बोली,मैं चलती हूँ,ये अपने दिमाग की संकीर्णता खत्म करो और जिंदगी मैं सही फैसले लो किसी के कपड़ों से उसके बारे में गलत राय न बनायें|

सोनल की माँ,”तुम शायद सच कह रही हो|”

रेखा के चले जाने के बाद ये रेखा की बच्ची मुझे
समझा रहीं ये समाज तो चाहता है कि कोई जीन्स वाली
बहू आ जाये और हम पिटें रोज वो मुझे रोटी भी न दे और घर से निकाल दे|

मैं न आनेवाली इन लोग की बातों में|
……………………………….

देखो ! मित्र यही है दिमाग की संकीर्णता की रेखा के समझाने से सोनल की माँ पर कोई असर न हुआ वो ये सोचती रहीं कि में रेखा की बात मानकर छोटी सिद्ध न हो जाऊँ | इंसान में जो अंह की भावना है ना यही संकीर्णता हैं जो इंसान का इंसानियतरूपी कद बढ़ने ही नहीं देती |

 Akanksha Saxena

स्वहस्तरचित

आकांक्षा सक्सेना
जिला औरैया
उत्तर प्रदेश

Related posts

Leave a Comment

This website uses cookies to improve your experience. We'll assume you're ok with this, but you can opt-out if you wish. Accept Read More