Online Latest News Hindi News , Bollywood News

कृषि को लाभकारी बनाने के लिए बहु-आयामी रणनीति अपनाने की जरूरत: उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू

कृषि संबंधितदेश-विदेश

नई दिल्ली: उपराष्ट्रपति श्री एम. वेंकैया नायडु ने कहा है कि हमें कृषि को लाभकारी बनाने के लिए बहु-आयामी रणनीति अपनाने की जरूरत है। कृषि से होने वाली आय में गैर-कृषि कार्यों से होने वाली आय को भी जोड़ा जाना चाहिए। खाद्य प्रसंस्करण के जरिए मूल्यवर्धन किया जाना चाहिए। वे आज हैदराबाद में केंद्रीय बारानी कृषि अनुसंधान संस्थान (सीआरआईडीए) द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में वैज्ञानिकों, शिक्षाविदों, कृषि विशेषज्ञों और किसानों को संबोधित कर रहे थे।

उपराष्ट्रपति महोदय ने कहा कि कृषि हमारी अर्थव्यवस्था की रीढ़ है। यदि कृषि क्षेत्र का प्रदर्शन बेहतर नहीं रहता है तो देश की प्रगति में एकरुपता नहीं आ सकती। उन्होंने आगे कहा कि कृषि में बदलाव की आवश्यकता है क्योंकि जलवायु, बाजार की स्थितियों, विश्व परिदृश्य और खाने के तरीकों में परिवर्तन हो रहा है। किसानों की आय बढ़ाने के लिए मत्स्य पालन, मुर्गी पालन, फल व सब्जी उत्पादन, खाद्य प्रसंस्करण तथा पैकेजिंग संबंधी गतिविधियों को भी बढ़ावा दिया जाना चाहिए।

उपराष्ट्रपति ने कहा कि कृषि को लाभकारी बनाना समय की मांग है। सभी हितधारकों को अन्नदाताओं की सहायता के लिए आगे आना चाहिए।

उपराष्ट्रपति महोदय ने आगे कहा कि मौसम में बदलाव से कृषि प्रभावित हो रही है। कहीं भारी बारिश होती है तो कहीं लंबे समय तक सूखा रहता है। कृषि संकट का कारण है ओलावृष्टि, गर्म हवाएं और सूखा। इन अनिश्चिताओं के कारण किसान कर्ज के जाल में फंस जाता है और आत्महत्या तक करने के लिए विवश हो जाता है।

उपराष्ट्रपति महोदय ने कहा कि जल संरक्षण के पारंपरिक और आधुनिक तरीकों के प्रति किसानों को जागरूक बनाए जाना चाहिए। किसानों की आय बढ़ाने के लिए मवेशियों के स्वास्थ्य की देखभाल की जानी चाहिए। खाद्य सुरक्षा के महत्व को रेखांकित करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि कोई भी सफल देश खाद्य सुरक्षा के लिए किसी अन्य देश पर आश्रित नहीं हो सकता।

तेलंगाना व आसपास के क्षेत्रों में किसानों की आय दोगुनी करने के लिए उपराष्ट्रपति ने निम्न सुझाव दिए :

1.  प्राकृतिक संसाधनों और अनुकूल कृषि प्रणालियों को मापने के लिए डिजिटल प्रौद्योगिकी का उपयोग किया जाना चाहिए। प्राकृतिक संसाधनों तथा किसानों की सामाजिक-आर्थिक स्थिति का आकलन किया जाना चाहिए। इसके पश्चात आजीविका के अवसरों को बढ़ाने के उपाय सुझाए जाने चाहिए।

2.  कृषि आधारित अवसंरचना का विकास किया जाना चाहिए। कृषि उत्पादों के लिए प्रथम और द्वितीय स्तर का मूल्यवर्धन किया जाना चाहिए। इससे किसानों की आय में वृद्धि होगी। उद्योग जगत को एमएसपी पर कृषि उत्पाद खरीदने के लिए आमंत्रित किया जाना चाहिए। ग्रामसमूह स्तर पर कृषि उत्पादों का प्रसंस्करण किया जाना चाहिए। किसानों को इन प्रसंस्करण उद्यमों में हितधारक बनाया जाना चाहिए।

3.  सरकार ने प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना, प्रधानंमत्री कृषि सिंचाई योजना जैसी कई महत्वपूर्ण योजनाओं की शुरुआत की है। परंपरागत कृषि विकास योजना जैविक कृषि से संबंधित है। जैविक कृषि में असीम संभावनाएं है। विश्व स्तर पर लोग स्वास्थ्य के प्रति जागरूक हो रहे हैं। इन अवसरों का उपयोग किया जाना चाहिए।

4.  किसानों की सफलता से संबंधित बहुत सी जानकारियां है। इन जानकारियों को दूसरे किसानों के साथ साझा किया जाना चाहिए।

5.  सरकार कृषि उत्पादों के विक्रय से संबंधित समस्याओं पर निरंतर ध्यान दे रही है। कृषि-बाजार से संबंधित एक योजना है – ई-राष्ट्रीय कृषि बाजार (ई-एनएएम)। ई-एनएएम का टर्नओवर 100 करोड़ रुपये तक पहुंच गया है और यह 16 राज्यों व दो केन्द्रशासित प्रदेशों के 585 बाजारों में कार्यरत है।

6.  बागवानी के माध्यम से भी किसानों की आय में वृद्धि की जा सकती है। चूँकि फल, सब्जी व फूल जल्द ही सड़ जाते हैं इसलिए कोल्ड स्टोरेज श्रृंखला की आवश्यकता है। उत्तरी तेलंगाना में हल्दी और लहसुन का उत्पादन करने वाले किसान कोल्ड स्टोरेज की श्रृंखला से लाभान्वित हो सकते हैं।

7.  कृषि क्षेत्र में किए गए प्रयासों का लाभ प्राप्त नहीं किया जा सकता यदि कृषि-उद्यम क्षेत्र का विकास न किया जाए। इसलिए पूरक उद्योग नीतियों की आवश्यकता है ताकि कृषि और उद्योग साथ-साथ चल सकें। आईटी पार्क और फार्मा पार्क की तरह कृषि पार्कों को भी विकसित किया जाना चाहिए। कृषि क्षेत्र में नवोन्मेष को भी प्रोत्साहित किया जाना चाहिए।

Related posts

This website uses cookies to improve your experience. We'll assume you're ok with this, but you can opt-out if you wish. Accept Read More