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हम भारत को फार्मास्युटिकल क्षेत्र में विश्‍व में अग्रणी और विश्व गुरु बनाने के लिए प्रतिबद्ध हैं: श्रीमती एस अपर्णा

देश-विदेश

फार्मा और चिकित्‍सा उपकरण क्षेत्र पर सातवें अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन के दूसरे दिन, फार्मास्युटिकल विभाग की सचिव, श्रीमती एस अपर्णा और केन्‍द्रीय स्वास्थ्य सचिव, श्री राजेश भूषण ने डीपीआईआईटी सचिव श्री अनुराग जैन की उपस्थिति में ‘इंडियन फार्मा विजन 2047’ विषय पर फार्मास्युटिकल उद्योग के सीईओ के साथ एक पैनल चर्चा की अध्यक्षता की।

इस अवसर पर, फार्मास्युटिकल विभाग की सचिव श्रीमती एस अपर्णा ने इस बात पर प्रकाश डाला कि भारत को फार्मा क्षेत्र में लागत, गुणवत्ता और स्‍केल का तिहरा लाभ है और इसे बढ़ाने की जरूरत है। उन्होंने आगे कहा कि उत्‍पादन के उच्‍च पैमाने और किफायती मूल्‍यों पर उच्‍च गुणवत्‍ता वाली जेनेरिक दवाएं देकर भारत ने एक प्रतिष्ठा अर्जित की है। यह बेहद गर्व की  बात है कि हम नियमित आधार पर अच्‍छी गुणवत्‍ता वाली जेनेरिक दवाओं की आपूर्ति कर अनेक निम्न-आय वाली अर्थव्यवस्थाओं की 50 प्रतिशत मांग को पूरा कर रहे हैं और साथ ही आधुनिक बाजार में भी इनकी आपूर्ति करने में सक्षम हैं। उन्होंने कहा कि जैसे-जैसे हम आगे बढ़ रहे हैं और 2047 तक वैश्विक फार्मा लीडर बनने की आकांक्षा रखते हैं, इस पवित्र उद्देश्य को प्राप्त करने में नवाचार पर आधारित विशेषज्ञता सर्वश्रेष्‍ठ विकल्‍प है।

उन्होंने आगे कहा कि फार्मा और स्वास्थ्य क्षेत्र में बदलते रुझानों के साथ तालमेल बिठाने के लिए दक्षता, बहुतायत पर काबू पाने की क्षमता और हर स्तर पर रचनात्मकता सर्वोपरि होगी। उन्‍होंने कहा, ‘‘ हमें तीन कदमों पर मुख्‍य रूप से ध्‍यान केन्द्रित करना चाहिए: राजस्‍व और प्रतिभा सहित संसाधनों के साथ नियंत्रक संरचना, अनुसंधान संरचना।’’

हितधारक सहयोग के महत्व पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने कहा, “बड़ी कंपनियों और स्टार्ट-अप के बीच सहयोग, सार्वजनिक अनुसंधान को और अधिक सुलभ बनाकर और डिजिटल क्षेत्र के साथ-साथ दवा, उपकरणों के क्षेत्र सहित सभी क्षेत्रों में सहयोग करके उद्योग और शोध के क्षेत्र में सहयोग आने वाले वर्षों में विकास का मुख्य स्तंभ होगा।” फार्मा 2047 की परिकल्‍पना के बारे में एक-एक करके बताते हुए, उन्होंने मंत्रालय के निम्नलिखित उद्देश्यों, विजन और रोडमैप पर प्रकाश डाला:

  • वसुधैव कुटुम्बकम के लक्ष्य के लिए किफायती, नवोन्मेषी और गुणवत्तापूर्ण दवाओं और चिकित्सा उपकरणों के निर्माण में विश्‍व में अग्रणी।
  • प्राकृतिक उत्पादों को पेश करते हुए, भविष्य की पीढ़ियों को स्वास्थ्य देखभाल उत्पाद स्थायी तरीके से वितरित करने के लिए नवाचार और अनुसंधान में विश्वगुरु
  • उद्योग, विज्ञान और सरकारों में भागीदारी कर, सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज के लिए बेहतर स्वास्थ्य देखभाल परिणाम हासिल करने के लिए रोगी की जरूरत के मुताबिक उत्पादों की पहुंच और सामर्थ्य सुनिश्चित करना
  • एनसीडी, एएमआर, और दुर्लभ और उपेक्षित बीमारियों पर ध्यान केन्‍द्रित करते हुए समग्र उत्पाद प्रोफ़ाइल विकसित करने की दिशा में इक्विटी, प्रभावकारिता और दक्षता हासिल करने के लिए स्वास्थ्य प्रणाली में योगदान करें।
  • सुविधाजनक, संतुलित और प्रगतिशील नीति और नियामक ढांचे के माध्यम से सामाजिक, आर्थिक और शासन के पहलुओं के बीच संतुलन बनाना
  • माननीय प्रधानमंत्री की “पंचामृत” की परिकल्‍पना से जोड़ने के लिए फार्मा-मेडटेक में भारत के कार्बन पदचिह्न को कम करें
  • महत्वपूर्ण आपूर्तिकर्ताओं की पहचान करना, आपूर्ति श्रृंखला को जोखिम से मुक्त करना और कार्बन मुक्त करना, और स्थानीय स्रोत को बढ़ावा देना
  • कच्चे माल, पुर्जों, अतिरिक्‍त पुर्जों, फिटिंग/अलग से फिटिंग आदि के लिए चिकित्सा उपकरण वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं का एक अभिन्न अंग होने चाहिए
  • जन औषधि परियोजना के तहत सेवाओं और उत्पादों के वितरण में डिजिटलीकरण और प्रौद्योगिकी उन्नयन

इस अवसर पर  स्वास्थ्य और परिवार कल्याण सचिव श्री राजेश भूषण ने कहा, “पिछले आठ वर्षों में स्वास्थ्य का प्रतिमान स्वास्थ्य से लेकर तंदुरूस्‍ती से कल्‍याण तक जुड़ गया है। स्वास्थ्य केवल एक अस्‍पताल में क्या होता है तक या रोगी और फार्मेसी के बीच तक सीमित नहीं है, स्वास्थ्य उससे कहीं अधिक है।” यह महसूस करना महत्वपूर्ण है कि हमारा देश 2047 तक जनसंख्‍या की दृष्टि से कैसा दिखेगा। उन्होंने कहा, हम जनसंख्या पिरामिड के उभार को देखेंगे जिसका अर्थ होगा कि हमारी युवा आबादी हावी होगी और वृद्ध लोग जीवन की अच्छी गुणवत्ता का आनंद लेंगे। हालांकि वृद्धावस्था स्वास्थ्य और दवाओं, मानसिक स्वास्थ्य और अन्य एनसीडी से संबंधित मुद्दे महत्वपूर्ण हो जाएंगे। इसलिए, हमें आने वाले वर्षों में इक्विटी और दवाओं और डायग्नोस्टिक्स तक पहुंच पर केंद्रित अनुसंधान सुनिश्चित करने की आवश्यकता होगी।

आयुष्मान भारत कार्यक्रम के चार स्तंभों के महत्व पर प्रकाश डालते हुए, केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव ने कहा कि सरकार दिसंबर, 2022 तक देश में लगभग 1.5 लाख आयुष्मान भारत स्वास्थ्य और कल्याण केन्‍द्रों को संचालित करने की योजना बना रही है, जिनमें से 1.17 लाख पहले ही चालू हो चुके हैं। आयुष्मान भारत पीएम-जेएवाई के तहत 10 करोड़ परिवारों को स्वास्थ्य सुरक्षा और सालाना 5 लाख का कैशलेस इलाज प्रदान किया जाता है। उन्होंने आगे कहा, इसके अलावा, सरकार आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन के माध्यम से डिजिटल स्वास्थ्य सेवा प्रदान करने के अथक प्रयास कर रही है। सरकार अगले 5 वर्षों में 2025-26 तक 65,000 करोड़ रुपये खर्च करने की योजना बना रही है ताकि जिला स्तर पर स्वास्थ्य का बुनियादी ढांचा तैयार किया जा सके।

कार्यक्रम को संबोधित करते हुए, डीपीआईआईटी के सचिव श्री अनुराग जैन ने कहा कि मेक इन इंडिया के अलावा, हमें भारत में खोज, भारत में नवाचार और फिर मेक इन इंडिया पर भी ध्यान देना चाहिए। यह फार्मा क्षेत्र के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण है। उन्होंने आगे कहा कि बौद्धिक संपदा फार्मा क्षेत्र के लिए एक अत्यंत महत्वपूर्ण क्षेत्र है और हम सरकार के एक हिस्से के रूप में इस क्षेत्र के लिए एक सुविधाजनक भूमिका निभाने के लिए प्रतिबद्ध हैं। उन्होंने कहा, भारत के आर्थिक विकास के लिए फार्मा क्षेत्र के महत्व को ध्यान में रखते हुए, बजट में इसे सनराइज सेक्टर का दर्जा भी दिया गया है।  पैनल चर्चा में विभिन्न फार्मा कंपनियों के सीईओ, मंत्रालय, फिक्की आदि के वरिष्ठ अधिकारी भी उपस्थित थे।

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