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गिद्ध बचाने के लिए पर्यावरण मंत्रालय के प्रयास

देश-विदेश

नई दिल्ली: पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने गिद्धों को विलुप्त होने से बचाने और उनके संरक्षण के लिए स्वास्थ्य और पर्यावरण मंत्रालय से डायक्लोफेनेक दवाई की बिक्री को केवल एक खुराक तक सीमित रखने का अनुरोध किया है।

इससे पहले पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के साथ विचार विमर्श के बाद 17 जुलाई, 2015 को जारी एक अधिसूचना के तहत मनुष्यों द्वारा प्रयोग के लिए डायक्लोफेनेक दवा की खुराक बिक्री की सिर्फ एक खुराक तक पैक करने पर प्रतिबंधित करने संबंधी अधिसूचना प्रकाशित की थी। डायक्लोफेनेक के पशु चिकित्सा संबंधी प्रयोग के लिए प्रतिबंधित होने के बावजूद इसका दुरूपयोग बड़े पैमाने पर पशु चिकित्सा संबंधी कार्यों के लिए किया जा रहा था, जिससे गिद्धों की जनसंख्या पर गंभीर प्रभाव पड़ रहा है।

पशुओं के लिए सामान्य तौर पर प्रज्वलनरोधी दवा को हाल के वर्षों में गिद्धों की जनसंख्या में तेजी से हो रही कमी के लिए जिम्मेदार माना जाता है। यह दवाई पशुओं के लिए नुकसानदेह नहीं होती है, लेकिन यह गिद्धों के लिए घातक साबित होती है, जो सामान्य तौर पर मृत पशुओं के शवों का भोजन करते हैं। अध्ययनों से यह पता चला है कि इस दवाई से गिद्धों की किडनी और लीवर खराब हो जाते हैं।

इससे पहले वर्ष 2006 में केन्द्र सरकार ने पशुओं के उपचार के लिए डायक्लोफेनेक के प्रयोग पर प्रतिबंध लगाया था।

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