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भारत के उपराष्ट्रपति ने कंबोडिया, नोम पेन्ह में मंत्री परिषद् को संबोधित किया

देश-विदेश

नई दिल्ली: कंबोडिया के नोम पेन्ह में भारत के उपराष्ट्रपति श्री एम. हामिद अंसारी ने मंत्री परिषद् को कुछ इस तरह संबोधित किया: “कंबोडिया के उपप्रधानमंत्री, महामहिम श्री सोक अन, देवियों और सज्जनों, मेरे लिए सम्मान की बात है कि मैं यहां नेताओं, विद्वानों और अधिकारियों की विशिष्ट सभा को संबोधित कर रहा हूं. आपके खूबसूरत देश की ये मेरी पहली यात्रा है. हालांकि अभी मुझे यहां आए हुए केवल एक दिन बीता है,

मैं कंबोडिया के लोगों के बीच भारत और भारतीयों के प्रति मौजूद स्नेह और मित्रता के भाव से खुद को भीतर तक प्रभावित महसूस कर रहा हूं. बौद्ध धर्म और इसकी करुणा, सहिष्णुता और अहिंसा का दर्शन हमारी साझी विरासत है. गंगा और मेकांग नदियों का जल हमारी संस्कृति को बनाए रखता है. नदियों पर केंद्रित हमारा जीवन हमें साझे रूप में लोकाचार और संवेदनशीलता प्रदान करता है. हमारे बीच का आदान-प्रदान और संस्कृति का प्रवाह उपनिवेशवाद के काल में बाधित हो गया था. 1947 में आजादी की लड़ाई जीतने के बाद हमने दक्षिण-पूर्वी एशिया में अपने भाई और बहनों के बीच आपसी भाईचारा स्थापित करने के निरंतर प्रयास किए. दुनिया को लेकर हमारा नजरिया समान है. हमने कई चुनौतियों का डट कर सामना किया और साथ ही विकास के समान अवसरों का भी लाभ उठाया. हमारी साझी सामाजिक-आर्थिक आवश्यकताओं ने एक दूसरे के साथ खासकर आर्थिक विकास के क्षेत्र में मजबूत सहयोग स्थापित किया है. आज मैं जिस कंबोडिया के दर्शन कर रहा उसने खुद को पिछले दो दशकों के दौरान बदला है. कलह और अशांति के दौर से निकल कर कंबोडिया आज एक बढ़ती विकसित होती अर्थव्यवस्था का रूप ले चुका है. यहां स्थिरता और शांति है और इस क्षेत्र में यह सही भूमिका निभा रहा है. यह एक प्रेरणादायक कथा है. कंबोडिया सरकार के आर्थिक विकास तथा अपने नागरिकों के उत्थान के लिए किए जा रहे सतत प्रयास की मैं प्रशंसा करता हूं और इसे भारत में भी गहराई से सराहा जाता है. भारत में भी, हमारा यही लक्ष्य है. मेरी यात्रा कंबोडिया और भारत के बीच स्थायी दोस्ती और सहयोग के लिए सरकार और भारत के लोगों के प्रति गहरी प्रतिबद्धता को व्यक्त करने का अवसर मुहैया कराता है.

कंबोडिया भारत की ही तरह युवाओं का देश है. अपने युवाओं को संबोधित करने के लिए हम भारत में एक प्रभावशाली और असरदार कौशल विकास कार्यक्रम शुरू कर रहे हैं. मैं अपना भाषण यह कहते हुए समाप्त करना चाहूंगा कि दुनिया के सबसे तेजी से विकास कर रहे दो देश के रूप में, द्विपक्षीय व्यापार और निवेश को बढ़ाने, विज्ञान और तकनीक के क्षेत्र में हमारा सहयोग, मानव संसाधन विकास में हमारे सहयोग और बेशक हमारी संस्कृति के आदान-प्रदान में हमारा सहयोग असीम है. जैसा कि भारत अपने एक्ट ईस्ट पॉलिसी के नए चरण में सफलतापूर्वक पहुंच गया है और कंबोडिया आसियान समुदाय में आर्थिक रूप से एकीकरण के लिए तैयार है, हमें उम्मीद है कि अपनी इन संभावनाओं का एहसास करने के लिए अपने साथी कंबोडियाई लोगों के साथ कदम से कदम मिलाकर काम करेंगे.

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