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उपराष्ट्रपति ने विभिन्न राज्यों और केन्‍द्र शासित प्रदेशों के लोगों के बीच आदान-प्रदान और पारस्परिकता बढ़ाने को कहा

देश-विदेश

नई दिल्ली: उपराष्ट्रपति श्री एम. वेंकैया नायडू ने आज विभिन्न राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के लोगों के बीच आपसी संपर्क और पारस्परिकता बढ़ाने का आह्वान किया ताकि पूरे देश में सद्भाव की भावना प्रतिध्वनित होती रहे। उन्होंने कहा कि हमें इस समय विशेष तौर पर इस समझ की आवश्यकता है। उन्‍होंने कहा कि अभी समाज में कई ऐसी दरारें है जो हमें विभाजित करने और हमारे सामाजिक-सांस्कृतिक सामंजस्य को खंडित करने पर उतारू हैं।

      उपराष्‍ट्रपति चेन्नई में वायलिन वादक श्री एम. चंद्रशेखरन को हंसध्‍वनि सद्गुरु त्यागराज पुरस्कार प्रदान करने के बाद मौजूद लोगों को संबोधित कर रहे थे।

उपराष्ट्रपति ने ‘कलाक्षेत्र’ में मौजूद होने पर खुशी जाहिर करते हुए इसे भारतीय कला क्षेत्र में उत्कृष्टता का केंद्र बताया और ‘कलाक्षेत्र’ की संस्थापक और राज्य सभा में नामित होने वाली पहली महिला श्रीमती रुक्मिणी देवी अरुंडेल को श्रद्धांजलि दी। उन्होंने कहा कि प्रेरणादायक श्रीमती रुक्मिणी देवी अरुंडेल ने हमारे देश के सांस्कृतिक परिदृश्य पर एक अमिट छाप छोड़ा है। उन्होंने पारंपरिक भारतीय संगीत और प्रदर्शन कलाओं के संरक्षण, संवर्धन और प्रचार-प्रसार की दिशा में अथक प्रयासों के लिए ‘हंसध्‍वनि’ की सराहना की।

उपराष्‍ट्रपति ने कॉरपोरेट संस्थाओं, व्यापारिक घरानों, समाज सेवकों और सरकार से आग्रह किया कि वे भारत के सांस्कृतिक धरोहरों की रक्षा और संरक्षण में जुटे ‘हंसध्‍वनि’ जैसे  सांस्कृतिक संगठनों के मिशन को सफल बनाने में मदद करें।

महान संत संगीतकार सद्गुरु त्यागराज को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि वे संगीत की दुनिया के सबसे बड़े शख्सियतों में से एक थे। उन्होंने कहा कि संत त्यागराज ने असाधारण तरीके से भक्ति, माधुर्य और अर्थ के साथ संगीत की सेवा की।

प्रतिष्ठित पुरस्कार जीतने के लिए वायलि‍न वादक श्री एम. चंदशेखरन को बधाई देते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि उन्‍होंने वायलिन में उत्कृष्टता का अनुकरण किया और वे मधुर प्रस्तुतियों के लिए जाने जाते हैं। उन्होंने तमिलनाडु के महान कवि सुब्रह्मणिया भारती और कनियन पुंगुंदरनार की चर्चा की और भारत एवं इसकी समृद्ध सांस्कृतिक विरासत और विविधता के बारे में बताया। श्री नायडू ने कहा कि एकता के मजबूत बंधन भारत के असाधारण विविधता वाले डीएनए का अभिन्न अंग हैं।

उपराष्‍ट्रपति ने जोर देते हुए कहा कि हमारी सांस्कृतिक विविधता को एक ऐसा मंच तैयार करना चाहिए, जहां हम अपने राष्ट्र के भविष्य का निर्माण और इसके तीव्र विकास के लिए एक मार्ग तैयार कर सकें। उन्होंने कहा कि हमारी सांस्कृतिक विविधता को हमेशा एकता, शांति, समृद्धि और आनंद का वाहन बने रहना चाहिए।

उन्होंने ‘एक भारत श्रेष्ठ भारत’ जैसे अभिनव कार्यक्रम लाने के लिए सरकार की सराहना की। इसके तहत दो राज्यों की जोड़ी बनाई गई है, जिसमें वहां के लोगों को एक-दूसरे की भाषा, साहित्य, भोजन, त्योहार, सांस्कृतिक कार्यक्रम और पर्यटन के बारे में जानने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है।

उपराष्‍ट्रपति ने हमारी सभ्यता के दर्शन ‘वसुधैव कुटुम्बकम’ और ‘सर्व ज्ञान सुखिनो भवन्तु’ की चर्चा करते हुए कहा कि हमें इस प्राचीन संस्कृति और मानवीय मूल्यों की रक्षा करनी चाहिए। ये हमारी विरासत हैं और हमारी संस्कृति को भावी पीढ़ियों तक ले जाती हैं।

उपराष्‍ट्रपति ने स्कूलों से अनवरत आदान-प्रदान, सांस्कृतिक कार्यक्रमों और यात्राओं के जरिये बच्चों को विभिन्न संस्कृतियों और जीवन के तरीकों के प्रति जागरूक करने के लिए कहा है।

श्री नायडू ने स्वर्गीय श्रीमती रुक्मिणी देवी अरुंडेल द्वारा निर्मित कलाक्षेत्र की रामा महापट्टाभिषेकम नृत्य नाटिका की नृत्यमयी प्रस्तुति देखी। उन्‍होंने इसके सभी कलाकारों और उनकी रचनात्मक प्रतिभा की सराहना की। इस अवसर पर तमिलनाडु के मत्स्य मंत्री श्री डी. जयकुमार, हंसध्‍वनि के अध्‍यक्ष श्री रामनाथ मणि, हंसध्‍वनि के सचिव श्री आर. सुंदर, कलाक्षेत्र की निदेशक श्रीमती रेवती रामचंद्रन और अन्य लोग मौजूद थे।

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