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एफ०आर० आई० में आयोजित कार्यशाला में विभिन्न् देशों से आये वैज्ञानिकों के साथ विधान सभा अध्यक्ष श्री कुंजवाल व वन मंत्री दिनेश अग्रवाल

उत्तराखंड
देहरादून: जलवायु परिवर्तन के कारण आने वाली चुनौतियों को ध्यान में रखते हुए ऐसी नीतियाॅं बनायी जायं जो बदलती जलवायु गत परिस्थितियों में हमारे समुदाय, वन पंचायतों विशेष कर वह 80 फिसदी ग्रामीण समुदाय की आजीवका को बनाये रखने में योगदान दे सके यह बात प्रदेश विधानसभा अध्यक्ष गोबिन्द सिंह कुंजवाल ने एफ.आर.आई देहरादून में चिया द्वारा जलवायु परिवर्तन पर आयोजित कार्यशाला को बतौर मुख्य अतिथि के रूप में सम्बोधित करते हुए कही।

 श्री कुंजवाल ने कहा कि हिमालय में बसे उत्तराखण्ड राज्य में जलवायु परिवर्तन और उसके परिणामों के दशतक अब साफ तौर पर सुनाई दे रही है। उन्होंने कहा कि वर्ष 2013 में केदारनाथ में आई आपदा जो कि देश में हुई आपदाओं की एक बड़ी घटना है ने हमें चेताया है और एहसास कराया है कि आने वाले समय में हमें न केवल प्राकृतिक आपदाओं बल्कि जलवायु परिवर्तन के परिणामों के लिए तैयार रहना होगा। उन्होंने कहा की भारत सरकार की तकनीकी समिति द्वारा स्वीकार किया गया है। कि स्टेट एक्सन प्लान आॅन क्लाईमेट चेंज में स्थानीय जनसमुदाय की आवश्यकताओं और जेंडर समानता का विशेष ध्यान रखकर एक बार फिर से राज्य में महिलाओं की भूमिका और उनके हितों के प्रति सरकार को दर्शाती है। और राज्य सरकार द्वारा जलवायु परिवर्तन के लिए जिम्मेदार कारकों द्वारा कम करने के लिए जो अनुकुलन एवं न्यूनीकरण की पहल की जा रही है। वह सराहनीय प्रयास है। उन्होंने कहा कि विश्व के तापमान में वृद्धि और जलवायु परिवर्तन से सारे विश्व में एक समान प्रभाव पड़ेगा वही कुछ इलाकों जिनमें हिमालयी क्षेत्र प्रमुखता से आता है। वहाॅं इनके प्रभाव ज्याद होंगे।
विधान सभा अध्यक्ष ने कहा यह कार्य अकेले सरकार द्वारा किया जाना सम्भव नहीं है। बल्कि इसमें वैज्ञानिकों, नियोजन कर्ताओं और जलवायु परिवर्तन के क्षेत्र के विशेषज्ञों को मिल कर पहल करनी होगी। उन्होंने कहा कि नीति नियोजकों को स्थानीय स्तर पर जलवायु परिवर्तन के सम्भावित परिणामों की जानकारी होगी। तो अनुकुलन एवं न्यूनीकरण की दिशा में नीतियाॅ बनानी सरल होगी।
विशिष्ट अतिथि प्रदेश के वन मंत्री दिनेश अग्रवाल ने सरकार की विभिन्न योजनाओं की जानकारी देते हुए कहा कि जलवायु परिवर्तन की दिशा में सरकार गम्भीरता व सजगता से काम कर रही है। और इस हेतु एक कमेटी का भी गठन किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि उत्तराखण्ड में 60 प्रतिशत वन क्षेत्र है। इसे देखते हुए और पर्यावरण को संरक्षित रखते हुए हमारा पेड़ हमार धन जैसी योजनाएॅ शुरू की है।
इस अवसर पर कार्यशाला में अफ्रिका से आए डाॅ0 युबा सोकोना, प्रो0 गोबिन्द स्वामी बाला, क्योटा विश्वविद्यालय जापान से आये डाॅ0 अखिलेश सुरजन, आई.आई.टी दिल्ली प्रो0 गुसाई, प्रो0 एस.पी.सिंह, प्रो0 ए.एन.पुरोहित, प्रो0 बी.के.जोशी, एफ.आर.आई. निदेशक डाॅ0 पदम प्रकाश भोज वैद्य, अपर मुख्य वन संरक्षक जयराम आदि ने अपने विचार व्यक्त किये। संचालन चिया के अधिशासी निदेशक डाॅ0 पुश्किन फत्र्याल ने किया।

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