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यूपी के 16 लाख कर्मचारियों की होगी स्क्रीनिंग, लापरवाह अफ़सरों को रिटायर करने की तैयारी

उत्तर प्रदेश

लखनऊ: उत्तर प्रदेश की योगी सरकार बहुत जल्द नौकरशाही में बड़ा बदलाव करने वाली है। इस बदलाव में हजारों ऐसे कर्मचारी होंगे जिनका भविष्य खतरे में पड़ सकता है। सीएम योगी ने इसके लिए सभी विभागों को स्पष्ट निर्देश जारी कर दिया है कि जो भी लापरवाह, कामचोर, और जिनकी उम्र 50 साल से ऊपर है उनको सेवामुक्त (रिटायर) किया जाए।

यूपी सरकार इसके लिए सूबे के 16 लाख कर्मचारियों की स्क्रीनिंग करेगी, जिनमें समूह (क) से लेकर समूह (घ) के कर्मचारी भी शामिल होंगे। स्क्रीनिंग में फेल होने वाले कर्मचारियों को सेवानिवृत्ति दे दी जाएगी और उनकी जगह पर तत्काल नई भर्तियां की जाएंगी। ताकि बेरोजगार युवाओं को नौकरियां मिल सकें। इसके लिए यूपी सरकार के अपर मुख्य सचिव नियुक्ति एवं कार्मिक मुकुल सिंघल ने सभी प्रमुख सचिवों को इसके लिए शासनादेश जारी कर दिया है। शासनादेश जारी होने के बाद उन कर्मचारियों पर तलवार लटक गई है जो 31 मार्च, 2018 को 50 साल पूरे कर रहे हैं या उसके ऊपर पहुंच चुके हैं। शासनादेश में ऐसे लोगों के लिए कहा गया है कि जो 50 साल या उससे ऊपर की आयु पूरी कर चुके हैं और काम करने में सक्षम नहीं हैं उन्हें जबरन रिटायर कर दिया जाएगा।

प्रमुख सचिव ऊर्जा और पावर कारपोरेशन के अध्यक्ष आलोक कुमार ने अपने विभाग के अभियंताओं और कर्मचारियों की परफारमेंस जांचने के लिए परिपत्र जारी किया है। इसमें प्राइवेट कंपनियों की तरह कर्मचारियों का केआरए भरा जाएगा। इसके तहत काम न करने वाले अभियंताओं और कर्मचारियों को चिन्हित कर उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।

नोटिस देकर कर दिया जाएगा रिटायर

इस शासनादेश में ये भी कहा गया है कि नियुक्ति प्राधिकारी किसी भी समय सरकारी कर्मचारी को नोटिस देकर बिना कोई वजह बताए सेवानिवृत्ति दे सकता है। इतना ही नहीं नोटिस दिए जाने और रिटायर किए जाने के बाद कर्मचारियों को किसी तरह की सुनवाई का मौका नहीं दिया जाएगा।

साल 2017-18 में दी गई थी कर्मचारियों को अनिवार्य सेवानिवृत्ति

ऐसा पहली बार नहीं हो रहा है जब रिटायरमेंट से पहले सेवानिवृत्ति के लिए शासनादेश जारी हुआ है। इससे पहले साल 2017-18 में भी अधिकारियों और कर्मचारियों को अनिवार्य सेवानिवृत्ति दे दी गई थी। खबरों के मुताबिक अपर मुख्य सचिव बेसिक शिक्षा ने कहा है कि कर्मचारी काम करें या फिर घर पर बैठें। इसके साथ बेसिक शिक्षा अपर सचिव ने ये भी कहा कि कोई भी शिक्षक स्कूलों में बिना शेविंग किए और चप्पल पहनकर स्कूल में प्रवेश नहीं करेगा अगर ऐसा करते हुए पाया जाएगा तो सख्त कार्रवाई की जाएगी।

अधिकारी निकालेंगे अपनी दुश्मनी

वहीं सरकार के इस तरह के शासनादेश पर सवाल उठाते हुए तमाम लोग कह रहे हैं कि अधिकारी इसका गलत इस्तेमाल करेंगे और कर्मचारियों से अपनी खुन्नस निकालेंगे। ऐसा ही पिछली बार भी कर्मचारियों के साथ हुआ था। कर्मचारी संघ का कहना है कि कर्मचारियों के काम का अवलोकन करने के लिए कम से कम दो साल का समय दिया जाना चाहिए, जिसके बाद उनके काम के आधार पर उनपर फैसला लिया जाए। source: oneindia

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