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केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने जम्मू विश्वविद्यालय में राष्ट्रीय मासिक विज्ञान पत्रिका “विज्ञान जट्टारा” के डोगरी संस्करण का विमोचन किया

देश-विदेश

केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार); पृथ्वी विज्ञान राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार); प्रधानमंत्री कार्यालय, कार्मिक, लोक शिकायत, पेंशन, परमाणु ऊर्जा और अंतरिक्ष राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने आज जम्मू विश्वविद्यालय के ब्रिगेडियर राजिंदर सिंह सभागार में औपचारिक रूप से “विज्ञान जट्टारा” पत्रिका के डोगरी संस्करण का विमोचन किया। व्यापक रूप से पढ़ी जाने वाली इस राष्ट्रीय मासिक विज्ञान पत्रिका का प्रकाशन भारत सरकार का विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय करता है। इस अवसर पर उन्होंने यह भी घोषणा की कि इस पत्रिका का कश्मीरी भाषा संस्करणजल्द ही लॉन्च किया जाएगा।

इस अवसर पर अपने संबोधन में केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी विज्ञान संचार को बढ़ावा देने के लिए स्थानीय भाषाओं के उपयोग का पुरजोर समर्थन करते हैं। प्रधानमंत्री,अंग्रेजी या हिन्दी भाषा की जानकारी नहीं होने की वजह से किसी भी नुकसान का सामना किए बिना विज्ञान में प्रतिस्पर्धा करने के लिए इच्छुक हर युवाको एक समान अवसर उपलब्ध कराना चाहते हैं। उन्होंने बताया कि विभिन्न धाराओं में पढ़ाई करने वाले ऐसे कई युवा हैं जिन्होंने अपनी मातृभाषा में स्नातक करने के बाद हाल ही में अखिल भारतीय प्रतियोगिताओं में टॉप किया है। उन्होंने कुछ ही साल पहले आईएएस/सिविल सेवा परीक्षा में पांच टॉपर्स में से एक का उदाहरण दिया,जिन्होंने बीए तक की पूरी शिक्षा तेलुगु माध्यम से की थी।

इस अवसर पर जम्मू विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. उमेश राय, केंद्रीय विश्वविद्यालय जम्मू के कुलपति प्रोफेसर संजीव जैन और जम्मू विश्वविद्यालय में भौतिकी संकाय के पूर्व विभागाध्यक्ष और प्रसिद्ध डोगरी लेखक ललित मंगोत्रा ने भी अपनी बातें रखीं और उत्तर भारत में शिक्षा केंद्र के रूप में जम्मू का समग्र विकास करने के लिए डॉ. जितेंद्र सिंह के प्रयासों की सराहना की। वक्ताओं नेविज्ञान शिक्षा को अन्य स्थानीय भाषाओं के अलावा डोगरी भाषा में बढ़ावा देने की पहल की भी सराहना की।

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि ज्ञान और प्रगति की इसतकनीक संचालित दुनिया में हम इस देश के युवाओं को उनकी पसंद की भाषा में विज्ञान का अध्ययन करने के लिए उपयुक्त पाठ्यक्रम,साहित्य और विकल्प प्रदान करने के लिए प्रयासरत हैं और अंग्रेजी या हिंदी माध्यम के छात्रों के साथ प्रतिस्पर्धा करने में सक्षम होने के लिए उनके ऋणी हैं।

उन्होंने कहा कि इस संबंध में प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी का दृढ़ विश्वास इस तथ्य से झलकता है कि 5 अगस्त, 2019 के ऐतिहासिक निर्णय के बाद,जम्मू और कश्मीर देश का एकमात्र केंद्र शासित प्रदेश / राज्य बन गया, जिसके पास पांच आधिकारिक भाषाएं यानी अंग्रेजी,हिन्दी, उर्दू,डोगरी और कश्मीरी हैं।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि यह एक स्थापित तथ्य हैकि भाषा का विज्ञान में उत्कृष्टता के साथ कोई संबंध नहीं है और रूस,जापान और चीन जैसे देश अंग्रेजी भाषा के ज्ञान के बिना वैज्ञानिक प्रगति में अगुवा बने हुए हैं। भारत में विरोधाभास यह है कि लगभग दो शताब्दियों तक हमने लॉर्ड मैकाले की शिक्षा की नीति का पालन किया,जिसके परिणामस्वरूप विज्ञान की सभी महत्वपूर्ण पाठ्यपुस्तकें और साहित्य अंग्रेजी भाषा में ही उपलब्ध हैं और ज्यादातर इसी भाषा मेंपढ़ी जाती हैं। इस संबंध में, उन्होंने विज्ञान जानने वाले डोगरी भाषा के विद्वानों से पाठ्यपुस्तकों में अभिव्यक्ति के सार और अर्थ से समझौता किए बिना अंग्रेजी भाषा की विज्ञान पाठ्यपुस्तकों का डोगरी भाषा में अनुवाद करने में मदद मांगी।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि अमृत काल के अगले 25 वर्षों में जब भारत विश्व स्तर पर आगे बढ़ेगा, तो यह मुख्य रूप से हमारे वैज्ञानिक कौशल और हमारे स्टार्टअप की क्षमता के बल पर होगा जो अनिवार्य रूप से प्रौद्योगिकी संचालित होंगे। उन्होंने कहा कि इसलिए स्टार्टअप के वैज्ञानिक क्षमता-निर्माण और 30 वर्ष की आयु के युवा वर्ग,जिनके पास वर्ष 2047 तक योगदान करने के लिए और 25 सक्रिय वर्ष हैं, पर ध्यान केंद्रित करना भी उतना ही महत्वपूर्ण है। इन युवाओं और इनकी वैज्ञानिक क्षमता का अधिकतम सीमा तक उपयोग किया जा सकता है,चाहे वो जिस भाषा में बोलते या पढ़ते हैं।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि विज्ञान और प्रौद्योगिकी को बढ़ावा देने पर प्रधानमंत्री श्री मोदी का विशेष जोर निजी कंपनियों के लिए अंतरिक्ष क्षेत्र को खोलने,परमाणु ऊर्जा पहलों में संयुक्त उद्यम और बहुत ही कम समय में 100 यूनिकॉर्न (ऐसी स्टार्टअप कंपनी जिसकी वैल्यू 1 अरब डॉलर के पार हो) के साथ 75,000 स्टार्टअप की शुरुआत जैसे क्रांतिकारी फैसलों में पूरी तरह से दिखाई देता है।

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि भारतीय भाषाओं में विज्ञान संचार और शिक्षा को बढ़ावा देना वर्तमान सरकार के प्रमुख फोकसों में से एक है और छात्रों को स्थानीय भाषाओं में विज्ञान की पाठ्यपुस्तकें उपलब्ध कराने के प्रयास जारी हैं। उन्होंने कहा कि इस मिशन में विशेषज्ञ लोगों के एक समूह को यह काम सौंपा गया है।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने केंद्रीय कश्मीर विश्वविद्यालय में डोगरी भाषा के स्नातकोत्तर विभाग को धन्यवाद दिया और डोगरी भाषा में विज्ञान पत्रिका के प्रभावी अनुवाद के लिए अनवरतमदद की मांग की।

केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि जब रूस, जापान,जर्मनी और चीन जैसे सबसे उन्नत देशों के पास अपनी मातृभाषा में सर्वोत्कृष्ट विज्ञान साहित्य और परियोजनाएं हो सकती हैं, तो भारत ने भी सभी भारतीय भाषाओं में आधुनिक विज्ञान और प्रौद्योगिकी का संचार करने का बीड़ा उठाया है। उन्होंने कहा कि जब हम अपनी मातृभाषा में पढ़ते हैं तो हमारा अध्ययन और गहरा हो जाता है।

दिसंबर,2021 में डॉ. जितेंद्र सिंह ने सीएसआईआर,नई दिल्ली में हिन्‍दी,उर्दू और अंग्रेजी में विज्ञान मासिक पत्रिका का विमोचन किया था।

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