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प्रधानमंत्री आवास योजना (शहरी) के तहत 2015-18 के बीच 1,65,000 से अधिक लोगों को लाभ मिला, 3,559 करोड़ रुपये की सब्सिडी दी गई

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नई दिल्लीः क्रेडिट लिंक्‍ड योजना के तहत वर्ष 2015-18 के बीच 1,65,000 से अधिक लोगों को लाभ पहुंचा है। वर्ष 2008 से 2013 के बीच सिर्फ 18,166 लोगों को ब्‍याज सब्सिडी वाली योजना का लाभ मिला था। वर्तमान योजना का प्रदर्शन शानदार रहा है और पहले की तुलना में अधिक लोगों को लाभ प्राप्‍त हुआ है।

सीएलएसएस के लिए पर्याप्‍त कोष सुनिश्चित करते हुए 31,505 करोड़ रुपये जारी किए गए (6,505 करोड़ रुपये निर्धारित बजट संसाधनों से और 25,000 करोड़ रुपये बजट के अतिरिक्‍त संसाधनों (ईबीआर) से।) मौजूदा वित्त वर्ष में 25,000 करोड़ रुपये से अधिक के कोष के लिए अतिरिक्‍त प्रावधान भी किया गया है। ईबीआर के तहत पूरे वित्त वर्ष के दौरान आवश्‍यकतानुसार धन प्राप्‍त किया जा सकता है। मिशन के तहत धन का बेहतर इस्‍तेमाल करने के लिए एक व्‍यवस्‍था बनाई गई है। इस वर्ष के बजट में सीएलएसएस के लिए 1900 करोड़ रुपये का आवंटन हुआ था। हालांकि, आवश्‍यकता पड़ने पर और धन प्राप्‍त करने की रियायत दी गई है। इस रियायत का उद्देश्‍य यह सुनिश्चित करना है कि इस महत्‍वपूर्ण मिशन के लिए धन की कमी आड़े न आए। मिशन ने सीएलएसएस वर्टिकल के तहत एक कारगर रणनीति तैयार कि है ताकि इस वर्ष भी लाभार्थियों की संख्या में वृद्धि की जा सके।

इस मिशन की शुरुआत जून 2015 में की गई थी। पिछले तीन वर्षों में यानी मई, 2018 तक 47.5 लाख आवासों के निर्माण को इस योजना के तहत स्‍वीकृति दी गई है। पूर्व की योजना की तुलना में यह संख्‍या बहुत अधिक है क्‍योंकि पहले कि योजना में दस वर्षों में सिर्फ 12.4 लाख घरों के निर्माण को मंजूरी दी गई थी। 27 लाख घरों का निर्माण पूरा होने के विभिन्‍न चरणों में है जबकि 8 लाख से अधिक घरों का इस अवधि में निर्माण कार्य पूर्ण हो चुका हैं। कार्य की मौजूदा गति को देखते हुए उम्‍मीद की जा रही है कि प्रधानमंत्री आवास योजना (शहरी) के तहत घरों की कमी की समस्‍या से कारगर तरीके से निपटा जा सकेगा। राज्‍यों/केन्‍द्र शासित प्रदेशों के प्रदर्शन की समय-समय पर समीक्षा की जाती है। राज्यों और विभिन्‍न क्षेत्रों का प्रदर्शन विभिन्‍न कारकों जैसे कि भूमि की उपलब्धता, वित्तीय संसाधन और अन्य स्थानीय सामाजिक-आर्थिक मुद्दों पर निर्भर करता है। हालांकि, मिशन के तहत सभी राज्‍यों/केन्‍द्र शासित प्रदेशों को हरसंभव मदद प्रदान की जाती है।

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