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खुला बाजार बिक्री योजना (घरेलू) के अंतर्गत 1 फरवरी, 2023 से देश में 25 लाख मीट्रिक टन गेहूं की बिक्री शुरू होगी

देश-विदेश

खुला बाजार बिक्री योजना (घरेलू) [ओएमएसएस (डी)] के अंतर्गत फरवरी,23 के पहले सप्ताह (1 फरवरी, 2023) से पूरे देश में पच्चीस लाख मीट्रिक टन गेहूं की बिक्री की पेशकश की गई है, जिसके लिए भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) के क्षेत्रीय कार्यालयों द्वारा निविदाएं अपलोड कर दी गयी है | ये निविदाएँ साप्ताहिक आधार पर 15 मार्च, 2023 तक की जाएगी | उत्तर प्रदेश में पहले सप्ताह की निविदा (1 फरवरी, 2023)  द्वारा पूरे प्रदेश के 42 डिपों से कुल 40250 मी० टन गेहूं की पेशकश की जा रही है |

गेहूं का स्टॉक खरीदने के इच्छुक खरीदार एफसीआई की ई-नीलामी सेवा प्रदाता “एम-जंक्शन सर्विसेज लिमिटेड” (https://www.valuejunction.in/fci/) के साथ खुद को सूचीबद्ध कर सकते हैं और स्टॉक के लिए बोली लगा सकते हैं। सूचीबद्ध होने की प्रक्रिया 72 घंटे के भीतर पूरी कर ली जाएगी।

खुला बाजार बिक्री योजना (घरेलू) के द्वारा एफसीआई खाद्यान्नों के मूल्य स्थिरीकरण के उद्देश्य से बाजार में हस्तक्षेप करती है। खाद्यान्न की बढ़ती कीमतों को तुरंत नियंत्रित करने के लिए देश के सभी राज्यों से खाद्यान्न की पेशकश की जाती है। देश में गेहूं एवं आटे की बढ़ती कीमतों से निपटने के लिए भारत सरकार द्वारा यह निर्णय लिया गया है कि एफसीआई ओपन मार्केट सेल स्कीम (घरेलू) के विभिन्न प्रावधानों के माध्यम से 30 लाख मीट्रिक टन गेहूं बाजार में उपलब्ध कराएगी। एफसीआई ने पूरे देश में इस योजना की घोषणा के 24 घंटे के भीतर स्टॉक की ई-नीलामी की प्रक्रिया शुरू कर दी है।

भारतीय खाद्य निगम दो महीने की अवधि के भीतर ओएमएसएस (डी) योजना के माध्यम से बाजार में 30 लाख मीट्रिक टन गेहूं की आपूर्ति से गेहूं एवं आटे की बढ़ती कीमतों पर तत्काल लगाम लगेगा जिससे आम आदमी को काफी राहत मिलेगी। निविदाओं के पेशकश मात्र से ही गेहूं के बाज़ार भाव में लगभग 10 % की गिरावट दर्ज़ की गयी है जिससे गेहूँ के भाव में रु० 2-4 प्रति किलो की कमी आयी है |

एफसीआई ने वर्ष 1965 में अपनी स्थापना के बाद से भारत को खाद्य सुरक्षा में आत्मनिर्भर देश बनाने के सपने को साकार करने में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। आज यह लगभग 1300 लाख मीट्रिक टन खाद्यान्न (गेहूं और धान) प्रति वर्ष क्रय करती है, जबकि 1965 के दौरान केवल 13 लाख मीट्रिक टन का क्रय होता था। विदित हो कि खाद्यान्न की खरीद पूरे देश में समान रूप से नहीं है। यह अलग बात है कि कुछ राज्यों में खाद्यान्न-उत्पादन उनकी आवश्यकताओं के सापेक्ष में अत्यधिक अधिशेष है, अन्य में आंशिक या पूर्ण रूप से कमी है। इसलिए, देश के प्रत्येक कोने में समाज के कमजोर वर्ग के लिए खाद्यान्न उपलब्ध कराने हेतु एफसीआई बड़े पैमाने पर खाद्यान्नों का परिवहन  करती है। पंजाब, हरियाणा, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, छत्तीसगढ़, ओडिशा आदि जैसे प्रमुख खरीद वाले राज्यों से लगभग 600 लाख मीट्रिक टन खाद्यान्न प्रति वर्ष देश के विभिन्न कोनों में पहुंचाया जाता है।

खाद्यान्नों के भंडारण एवं परिवहन हेतु एफसीआई पूरे देश में अपने लगभग 500 डिपो सहित कुल  लगभग 2000 डिपो संचालित करती है। बुनियादी ढांचे के संदर्भ में एफसीआई ने अपनी भंडारण क्षमता को 1965 में 6 लाख मीट्रिक टन से बढ़ाकर वर्तमान में 800 लाख मीट्रिक टन से अधिक कर लिया  है।

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