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उन्नाव पुलिस की प्रताड़ना से परेशान अपर मुख्य सचिव के निजी सचिव ने सचिवालय में गोली मारकर किया आत्महत्या का प्रयास

उत्तर प्रदेश

अपर मुख्य सचिव नगर विकास रजनीश दुबे के निजी सचिव विशंभर दयाल ने सोमवार को बापू भवन में अपने कार्यालय में पहुंच कर खुद को गोली मार ली। विशंभर को गंभीर अवस्था में लोहिया अस्पताल में भर्ती कराया गया है, जहां उनकी हालत नाजुक बनी हुई है। विशंभर के आफिस से पुलिस को एक कागज पर लिखा नोट भी मिला है जिसमें उन्होंने उन्नाव पुलिस द्वारा की जा रही प्रताड़ना का जिक्र किया है।

जानकारी के अनुसार छुट्टी के दिन विशंभर दोपहर में बापू भवन के आठवें तल पर स्थित अपने दफ्तर पहुंचे। दोपहर लगभग पौने दो बजे अपने कार्यालय को अंदर से बंद कर उन्होंने खुद को गोली मार ली। गोली की आवाज सुनकर आसपास के आफिस में मौजूद अधिकारी व कर्मचारी भी बाहर आ गए। किसी तरह से दरवाजा तोड़ कर विशंभर को निकाला गया, पुलिस को सूचना दी गई और इलाज के लिए उन्हें तत्काल लोहिया अस्पताल ले जाया गया। पुलिस आत्महत्या के प्रयास के कारणों का पता लगाने की कोशिश कर रही है।

वहीं जानकारों का कहना है कि विशंभर पिछले लगभग नौ साल से रजनीश दुबे के साथ ही काम कर रहे हैं। रजनीश दुबे इस दौरान जिन-जिन विभागों में रहे हैं विशंभर वहां-वहां उनके साथ रहे हैं। इस मामले सचिवालय का कोई भी कर्मी कुछ भी बोलने से बच रहा है। साथ ही आठवें तल पर मौजूद सचिवालय के सुरक्षा कर्मियों से भी पूछताछ कर रही है।

उन्नाव पुलिस कर रही थी परेशान डीसीपी मध्य ख्याति गर्ग ने बताया कि पुलिस को विशंभर दयाल के कार्यालय से एक कागज पर लिखा नोट भी मिला है। इसमें उन्होंने अपनी बहन के विवाद का जिक्र किया है जिसका मुकदमा उन्नाव के औरास थाने में दर्ज है। विशंभर के बहन के ससुराल पक्ष की ओर से भी एक मुकदमा उसी थाने में दर्ज है, जिसमें विशंभर को भी आरोपी बनाया गया। इसी मुकदमे को लेकर औरास थाने की पुलिस विशंभर को परेशान कर रही थी। विशंभर दयाल द्वारा लगाए गए आरोपों की जांच लखनऊ रेंज की आईजी लक्ष्मी सिंह को दे दी गई है।
सचिवालय सुरक्षा को लेकर फिर खड़े हुए सवाल
सचिवालय कर्मी द्वारा असलहा लेकर सचिवालय में जाने और खुद को गोली मारने की घटना के बाद एक बार फिर सचिवालय की सुरक्षा पर सवाल उठ खड़े हुए हैं। छुट्टी के दिन सचिवालय का एक ही गेट खुला होता है, वहां भी सुरक्षा के पुख्ता बंदोबस्त न होना सचिवालय के सुरक्षा कर्मियों की लापरवाही दर्शाता है। वहीं सूत्रों का कहना है कि विशंभर छुट्टी के दिन आफिस पहुंचे और व्यवस्थाधिकारी से कार्यालय खुलवाने की बात कही। व्यवस्थाधिकारी ने विशंभर दयाल का कक्ष खोलने के लिए लिखित में प्रार्थनापत्र मांगा। लिखित में प्रार्थनापत्र मिलने के बाद ही कार्यालय को खोला गया था।
सचिवालय की सुरक्षा के लिए है अलग सुरक्षा बल
सचिवालय की सुरक्षा के लिए अलग सुरक्षा बल है। यहां अभी तक जिलाजीत चौधरी मुख्य सुरक्षा अधिकारी की जिम्मेदारी निभा रहे थे। हाल ही में उनका स्थानांतरण दूसरी जगह हो गया है। अधिकारियों का कहना है कि आमतौर पर उनकी चेकिंग ही नहीं की जाती जो रोज सचिवालय में आते जाते हैं। अब ऐसे अधिकारियों की जिम्मेदारी तय करने की बात कही जा रही है। लखनऊ पुलिस कमिश्नर डीके ठाकुर ने बताया कि सचिवालय की सुरक्षा की जिम्मेदारी सचिवालय सुरक्षा बल की है।

डिस्क्लेमरः यह अमर उजाला न्यूज फीड से सीधे पब्लिश हुई खबर है. इसके साथ श्रमजीवी जर्नलिस्ट टीम ने किसी तरह की कोई एडिटिंग नहीं की है. ऐसे में संबंधित खबर को लेकर कोई भी जिम्मेदारी न्यूज एजेंसी की ही होगी.

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