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कमजोर मानसून की स्‍थिति का सामना करने के लिए कृषि मंत्री श्री राधा मोहन सिंह की समीक्षा बैठक

देश-विदेश

नई दिल्‍ली: देश में कमजोर मौनसून की स्‍थिति का सामना करने के लिए अप्रैल माह से जो अभी तक तैयारी चल रही है उसकी समीक्षा की बैठक कृषि मंत्री श्री राधा मोहन सिंह की उपस्‍थिति में  संबंधित मंत्रालय के अधिकारियों के साथ हुई, जिसमें राज्‍य कृषि मंत्री डॉ. संजीव बलियान भी उपस्‍थित थे।

इस बैठक में कृषि मंत्रालय, कृषि एवं सहकारिता के सचिव, पशुपालन विभाग के सचिव, कृषि अनुसंधान संस्‍थान के सचिव, उर्जा मंत्रालय के सचिव, जल संसाधन मंत्रालय के अधिकारी भूमिलैण्‍ड रिसोर्सेज के अधिकारी, मनरेगा के अधिकारी, उर्वरक मंत्रालय के अधिकारी, राष्‍ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के सचिव के अलावा राष्‍ट्रीय मौसम विभाग केभी कई अधिकारी मौजूद थे। जून माह में मौसम विभाग द्वारा जो पूर्वानुमान दिए गए हैं, उसकी समीक्षा की गई। इस पूर्वानुमान में नार्थ-बेस्‍ट क्षेत्र में  85 प्रतिशत वर्षा का अनुमान लगाया गया, जो औसत से थोड़ा कम है। इस अनुमान के अंदर जो 12 डिवीजन है। इस अनुमान के तहत 12 डिवीजन में 12 प्रतिशत कम वर्षा की संभावना बनती है।

गतवर्ष भी जून महीने में जो पूर्वानुमान आया था वो  85 प्रतिशत ही था और 12 डिवीजन में  12 प्रतिशत कम वर्षा की संभावना थी, किंतु सरकार की तैयारी ऐसी थी कि बुबाई का मात्र दो प्रतिशत का असर पड़ा था और उत्‍पादन में तीन प्रतिशत का असर पड़ा था। इस बार जो नॉर्थ-बेस्‍ट औसत का थोड़ा कम और 12 डिवीजन में 12 प्रतिशत से औसत से कम जो आकलन है उस क्षेत्र में सिंचित क्षेत्र पर्याप्‍त मात्रा में है और इसलिए गतवर्ष की तुलना में इस बार इस कम वर्षा का असर ज्‍यादा नहीं हुआ और इस नार्थ-बेस्‍ट क्षेत्र में भी जो जलाशयों की स्‍थिति है। इस नार्थ रीजन में जो जलाशयों की स्‍थिति है पिछले वर्ष मात्र 38 प्रतिशत थी। इस वर्ष 42 प्रतिशत है, जबकि 10 सालों का औसत 28 प्रतिशत रहा है। इसलिए चिंता का कोई  सवाल ही नहीं है। वॉटर हारवेस्‍टिम स्‍टोरेज एवं मनरेगा के अंतर्गत सूखा से संबंधित 1 लाख 16 हजार योजनाएं भी क्रियान्‍वित की जा चुकी हैं। उर्जा मंत्रालय ने भी बिजली से संबंधित अपना कन्‍टीजेंसी प्‍लान पूरा कर लिया है। फर्टीलाइजर मिनिस्‍ट्री ने भी मई तक जो ६०लाख टन की मांग राज्‍यों की थी। उसके बदले 90 लाख टन उर्वरक राज्‍यों में मुहैया करा दिया है, जो खरीफ के लिए पूर्व तैयारी की योजना के अंतर्गत है। सूखा से संबंधित सभी मंत्रालयों ने अच्छी तैयारी की है और सभी विभागों ने एक-एक नोडल अफसर नियुक्‍त कर लिया है और कृषि मंत्रालय ने हर राज्‍यों के लिए एक-एक संयुक्‍त सचिव को नियुक्‍त किया और उसके पदाधिकारियों को अधिकारी बनाया है। पशुपालन ने भी 8 क्षेत्रों में एक-एक नोडल अफसर नियुक्‍त किया है। बैठक में बीज निगम के अधिकारियों ने बताया कि कम वर्षा में उत्‍पादित होने वाले एवं कम समय में तैयार होने वाली फसलों के बीज पर्याप्‍त मात्रा में उपलब्‍ध है तथा पशुपालन मंत्रालय के अधिकारियों ने जानकारी दी कि चारा बीज भी पर्याप्‍त मात्रा में उपलब्‍ध हैं।

किसानों के लिए संतोष का विषय यह है कि जिस पश्‍चिम- उत्‍तर क्षेत्र में कम वर्षा की संभावना है उन क्षेत्रों में सिंचाई की पर्याप्‍त व्‍यवस्‍था है।

      सभी राज्‍य सरकारों और अन्‍य विभागों/मंत्रालयों को आमंत्रित करके 7 और 8 अप्रैल, 2015 को राष्‍ट्रीय खरीफ कांफ्रेंस के साथ खरीफ की तैयारी शुरु की गई। कृषि मंत्री ने संगोष्‍ठी का उद्घाटन किया और विचार-विमर्श में भाग लिया। उन्‍होंने खरीफ, 2015 के लिए सुसंगत और व्‍यापक उत्‍पादन योजना की आवश्‍यकता पर बल दिया। उन्‍होंने मानसून के सामान्‍य से कम रहने पर खरीफ के लिए आकस्‍मिकता योजना के साथ तैयारी की आवश्‍यकता पर भी प्रकाश डाला। 2014 की सूखा स्‍थिति व प्राकृतिक आपदाओं से उत्‍पन्‍न रबी, 2015 के दौरान क्षतियों की पृष्‍ठभूमि के विपरीत तैयारियों की निर्णायक भूमिका पर भी बल दिया गया।

  1. आईसीएआर-केन्‍द्रीय शुष्‍क भूमि कृषि अनुसंधान संस्‍थान (सीआरआईडीए), हैदराबाद के सहयोग से कृषि मंत्रालय ने 25 राज्‍यों के 580 जिलों हेतु विस्‍तृत फसल आकस्‍मिकता योजनाएं तैयार की हैं। पिछले वर्ष के अनुभवों को देखते हुए मानसून देरी के मामले में ये बहुत ज्‍यादा उपयोगी हैं। पूर्वोत्‍तर राज्‍यों के संबंध में 30 जिलों के लिए आकस्‍मिकता योजनाएं तैयार की जा रही हैं और इस माह के अंत तक पूर्ण कर ली जाएंगी।

      सचिव कृषि और सचिव (डेयर) ने 24.04.2015 को संयुक्‍त रूप से आईसीएआर संस्‍थानों, कृषि विश्‍वविद्यालयों और राज्‍य सरकारों के साथ सीआरआईडीए, हैदराबाद में एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया। हमने पिछले मानसून सीजन के लिए तैयार की गई इन आकस्‍मिकता योजनाओं की प्रचालनात्‍मकता की समीक्षा की और सुझाव दिया कि इन्‍हें संशोधित किया जाए और पिछले वर्ष के अनुभवों के आधार पर और अधिक व्‍यवहारिक बनाया जाए। वर्तमान वर्ष की आकस्‍मिकता योजनाओं में अपेक्षित परिवर्तनों को शामिल कर लिया गया है।

      सीआरआईडीए ने सभी कृषि प्रधान राज्‍यों के लिए राज्‍य स्‍तरीय कार्यशालाओं का आयोजन शुरु कर दिया है जहाँ इस मंत्रालय, आईसीएआर संस्‍थानों, सीआरआईडीए, कृषि विज्ञान केन्‍द्रों (केवीकेएस) आदि के वरिष्‍ठ अधिकारिओं और वैज्ञानिको द्वारा आकस्‍मिकता योजनाओं की व्‍यवहारिकता और प्रचालनात्‍मकता सुविधा के लिए राज्‍य सरकार के अधिकारियों के साथ विचार-विमर्श किया जाता है। ऐसी बैठकें अनेक राज्‍यों जैसे गुजरात,महाराष्‍ट्र, आंध्र प्रदेश, उत्‍तर प्रदेश, कर्नाटक और छत्‍तीसगढ़ आदि में पहले ही आयोजित की जा चुकी हैं। शेष राज्‍यों में बैठकें जून माह में आयोजित की जानी निर्धारित हुई हैं।

  1. राज्‍य सरकारों को कृषि व सहकारिता विभाग के दिनांक 7 मई, 2015 के पत्र द्वारा पहले ही यह सलाह दी गई है कि वे नमी संरक्षण तथा उपलब्‍ध जल के और अधिक कुशल उपयोग के लिए विभिन्‍न अभियांत्रिकी और कृषि सम्‍बन्‍धित पद्धितयों पर ध्‍यान केन्‍द्रित करते हुए पहले से उपचारी उपाय शुरू कर दें। सलाह में डब्‍ल्‍यूएचएस के लिए एमजीएनईआरजीए (मनरेगा) की निधियों का उपयोग करने, नहरों की गाद निकालना, नलकूपों को नया रूप देना, खराब पंपों को बदलना/उनकी मरम्‍मत करना आदि शामिल है। राज्‍यों के मुख्‍य सचिवों से भी अनुरोध किया गया है कि वे एपीसी/मुख्‍य सचिव (कृषि) को ‘समेकित पनधारा प्रबंधन कार्यक्रम’ (आईडब्‍ल्‍यूडब्‍ल्‍यूपी) जैसी विभिन्‍न स्‍कीम के तहत जल संरक्षण संरचनाओं में आकस्‍मिक फसल योजनाओं तथा किये गये निवेश पर जोर देकर खरीफ मौसम के लिए की जाने वाली तैयारी समय-समय पर समीक्षाएं करें।
  2. राज्‍यों को सलाह दी गई है कि वे आपतकालीन हस्‍तक्षेप करने के लिए राष्‍ट्रीय कृषि विकास योजना (आरकेवीवाई) के तहत आबंटित निधि का लगभग 5 से 10 % अलग से रखे। इसके अतिरिक्‍त राज्‍यों को केन्‍द्रीय प्रायोजित स्‍कीम (सीएसएस) के तहत आबंटन के 10 % के फ्लैक्‍सी-फंड के रूप में उपयोग करने की भी अनुमति दी गई है। यह रिजर्व राज्‍य सरकारों को जरूरत पड़ने पर तत्‍काल रूप से अर्थपूर्ण हस्‍तक्षेप करने में सक्षम बनायेगा।
  3. कृषि एवं सहकारिता विभाग द्वारा 2 जून और 3 जून, 2015 को कृषि की दृष्‍टि से 18 महत्‍वपूर्ण राज्‍यों के साथ समीक्षा बैठकें की गई। मुख्‍य रूप से बारिश की कमी की स्‍थिति के लिए इनपुट और बीजों का आकलन किया गया है। विभाग के पास विभिन्‍न फसलों की अल्‍प एवं मध्‍यावधि किस्‍मों की पर्याप्‍त मात्रा है। खरीफ 2015 सीजन व विभिन्‍न फसलों के लिए उपलब्‍ध मात्रा 109.45 लाख क्‍विंटल बीज उपलब्‍ध है।

      इसके अलावा विभाग राष्‍ट्रीय बीज निगम (एनएससी), राज्‍य बीज निगमों (एसएससी) तथा कृषि के कुछ राज्‍य विभागों सहित 22 एंजेन्‍सियों की भागीदारी से ‘राष्‍ट्रीय बीज रिजर्व (एनएसआर)’ का प्रचालन करता आ रहा है। एनएसआर के तहत उपलब्‍ध फसलों के लिए अल्‍प एवं मध्‍यावधि किस्‍मों की मात्रा 1,78,892 क्‍विंटल है तथा पूर्वोत्‍तर राज्‍यों के लिए यह 30,350 क्‍विंटल है।

  1. निरंतर समीक्षाएं और मॉनिटरिंग:

6.1    बीजों के विशेष संदर्भ में मानसून, फसल उत्‍पादन तथा आदानों की स्‍थिति की मॉनिटरिंग करने के लिए इस मंत्रालय के पास 2015 खरीफ मौसम के लिए 4 स्‍थायी कार्यक्रम हैं। ये हैं:

  1. i.     सचिव, कृषि एवं सहकारिता विभाग द्वारा प्रत्‍येक सोमवार को वरिष्‍ठ अधिकारियों की बैठक के मांग के रूप में खरीफ उत्‍पादन कार्यक्रम की साप्‍ताहिक समीक्षा।
  2. ii.   अर्थ एवं सांख्‍यिकी सलाहकार (ईएसए) द्वारा प्रत्‍येक शुक्रवार को साप्‍ताहिक फसल मौसम निगरानी समूह-सी (सीडब्‍ल्यूडब्‍ल्‍यूजी) की बैठक।

iii.  बीज एवं उर्वरक सहित इनपुट स्‍थिति की समीक्षा करने के लिए राज्‍यों के साथ प्रत्‍येक मंगलवार को साप्‍ताहिक वीडियों कान्‍फ्रेंस।

  1. iv.   संयुक्‍त सचिव स्‍तर के विभाग के वरिष्‍ठ अधिकारियों को प्रत्‍येक 2-3 राज्‍यों के लिए जिम्‍मेदारी के साथ, नोडल अधिकारी के रूप में नामाकिंत किया गया है। वे नियमित आधार पर राज्‍यों के साथ सम्‍पर्क बनाए रहते हैं।

6.2   कृषि एवं सहकारिता विभाग ने ‘केन्‍द्रीय सूखा राहत आयुक्‍त’ के रूप में अपर सचिव   (श्री राघवेन्‍द्र सिंह) को नामित किया है।

  1. सभी संबंधित विभागों के साथ कृषि मंत्रालय द्वारा अध्‍यक्षता में एक बैठक 21 मई, 2015 को आयोजित की गई। जिसमें जल संसाधन, भू-संसाधन, ऊर्जा, पेयजल, खाद्य मंत्रालय/विभाग सहित आईएमडी, सीडब्‍ल्‍यूसी आदि के प्रतिनिधियों ने भी भाग लिया। मानसून की कमी की स्‍थिति से निपटने के लिए सबंधितों से आकस्‍मिकता योजना को अद्यतन करने का आग्रह किया गया हैं। उनसे आगे की तैयारी के लिए सभी राज्‍यों को निर्देश जारी करने के लिए भी आग्रह किया गया।
  2. एक सचिव समिति (सीओएस) बैठक का आयोजन सभी संबंधित मंत्रालयों/विभागों के साथ 2 जून, 2015 को मंत्रिमण्‍डलीय सचिव की अध्‍यक्षता में किया गया। मंत्रिमण्‍डलीय सचिव ने जल संसाधन, ऊर्जा, भू-संसाधन, ग्रामीण विकास, पशु-पालन आदि सहित संबंधित मंत्रालयों द्वारा तैयार की गई आकस्‍मिक योजना के व्‍यवस्‍थापन एवं स्‍थिति की समीक्षा की। उन्‍होंने सामान्‍य बारिश की तुलना में कम होने के परिणाम स्‍वरूप यदि प्रभावी आकस्‍मिक स्‍थिति उत्‍पन्‍न होती है, तो तत्‍परता के साथ स्‍थिति से निपटने के लिए सभी संबंधितों को सलाह दी गई है, तैयारी की स्‍थिति इस प्रकार है:-

8.1      भारतीय मौसम विज्ञान विभाग, पृथ्‍वी विज्ञान मंत्रालय – कृषि मौसम विज्ञान प्रभाग, पुणे  संबंधित राज्‍य कृषि विभागों से समन्‍वय करके, राज्‍य मौसम विज्ञान के केन्‍द्रों/क्षेत्रीय मौसम विज्ञान केन्‍द्रों पर स्‍थित 17 कृषि मौसम विज्ञान सलाहकार सेवा इकाइयों से साप्‍ताहिक/पाक्षिक  ‘एग्रो-मेट सलाहकार बुलेटिन’ जारी करता है।

8.2 जल संसाधान मंत्रालय और केंद्रीय जल आयोग केंद्रीय जल आयोग यह सुनिश्‍चित करेगा कि वर्षा सिंचित क्षेत्रों में उपलब्‍धता पर निर्भर करते हुए जलाशयो से समय पर फसलों को जल उपलब्‍ध होता है। जल संसाधान मंत्रालय आकस्‍मिकता योजनाएं तैयार कर रहा है जिससे कि फसल बढ़ोतरी की महत्‍वपूर्ण अवधि में वर्षा की कमी की स्‍थिति में संरक्षित सिंचाई के लिए सिंचाई जल उपलब्‍ध कराया जा सके। जल संसाधान मंत्रालय ने राज्‍यों से सीधा अनुरोध किया है कि वे आकस्‍मिकता योजनाएं तैयार करें जो प्रत्‍येक जलाशयों/नदी बेसिन के लिए हो और उसके कार्यान्‍वयन की निगरानी करें। सामान्‍य से निचले स्‍तर के जलाशयों वाले राज्‍यों को विशेष ध्‍यान दिया जाएगा।

8.3 उर्जा मंत्रालय मंत्रालय देशभर में बिजली की बेरोकटोक और पर्याप्‍त आपूर्ति सुनिश्‍चित करेगा और मानसून न होने की स्‍थिति में कमी होने पर जलाशयों के कैचमेंट क्षेत्रों में अतिरिक्‍त बिजली की मांग को पूरा करेगा। मंत्रालय आकस्‍मिकता योजना भी रखेगा। मंत्रालय कम वर्षा/वर्षा अभाव वाले राज्‍यों को अतिरिक्‍त बिजली की आपूर्ति करेगा जिससे कि इलैक्‍ट्रिक पंप सेटों के माध्‍यम से संरक्षित सिंचाई को सुनिश्‍चित किया जा सके। किसी भी आकस्‍मिकता की स्‍थिति में बिजली के अंतर्क्षेत्रीय अंतरण पर भी विचार किया जाएगा।

8.4 ग्रामीण विकास विभाग सूखा प्रभावित क्षेत्रों में जल संरक्षण/ संचयन संबंधी कार्य को वरीयता देते हुए मनरेगा के अंतर्गत कार्य को गहनीकृत किया जाएगा।

8.5 भूमि संसाधन विभाग भूमि संसाधन विभाग ने बनाए जाने वाले और जिनसे गाद हटाने की आवश्‍यकता है, उन जल संचयन अवसंरचना ओर मौजूदा चेक बाँध की पहचान की गई है। अनेक स्‍कीम/परियोजनाएं जिन्‍हें सूखा प्रूफिंग की सहायता दी जाएगी, आईडब्‍ल्‍यूएमपी के माध्‍यम से डीओएलआर का कार्यान्‍वयन किया गया है।

8.6 उर्वरक मंत्रालय आकलित मांग के अनुसार कृषि एवं सहकारिता विभाग द्वारा पर्याप्‍त उर्वरकों की प्राप्‍ति और समय पर उसकी उपलब्‍धता सुनिश्‍चित करेगा।

8.7 पशु पालन डेयरिंग एवं मात्‍स्‍ियकी विभाग विभाग आकस्‍मिकता की स्‍थिति में चारे की आपूर्ति और चारा बीज की व्‍यवस्‍था सुनिश्‍चित करेगा।

8.8 डेयर/आईसीएआर विभाग आईसीएआर जिला आकस्‍मिकता योजनाएं तैयार करने में राज्‍यों की सहायता कर रहा है। आईसीएआर सूखा प्रतिरोधी किस्‍मों के संवर्धन, जलसंरक्षण क्षेत्र विशेष पद्धतियों के संवर्धन की सहायता कर रहा है जो केवीके के माध्‍यम से क्षेत्र विशेष हैं और यह फसल उत्‍पादन,बागवानी पशुधन, मात्‍सियकी आदि के विभाग पहलुओं पर राज्‍य स्‍तरीय परामर्शिकाएं अपलोड करेगा। इसे 10 जून, 2015 आईसीएआर के वेबसाइट पर डाला जाएगा ।

  1. वर्ष 2015 के सूखे के लिए संकट प्रबंधन योजना (सीएमपी) की समीक्षा

2015 के सूखे के लिए संकट प्रबंधन योजना तैयार की गई है और यह कृषि एवं सहकारिता विभाग की वेबसाइट पर उपलब्‍ध है। स्‍टेकहोल्‍डर मंत्रालयों/ विभागों के परामर्श से हाल ही में इस ‘योजना’ को अद्यतन किया गया है। राज्‍य स्‍तरीय ‘सूखा प्रबंधन योजना’ शीघ्र तैयार करने के लिए संबंधित अधिकारियों को निदेश देने के लिए माननीय कृषि मंत्री ने दिनांक 12-5-2015 के अपने पत्र के माध्‍यम से सभी मुख्‍यमंत्रियों से भी अनुरोध किया है।

  1. वर्षा की वास्‍तविक स्‍थिति की समीक्षा के आधार पर लगभग जुलाई के प्रथम सप्‍ताह में स्‍थिति के अनुसार कृषि एवं सहकारिता विभाग विशेष उपायों का अनुमोदन करने के लिए सीसीइए से अनुरोध करेगा जैसे डीजल सब्‍सिडी स्‍कीम, विभिन्‍न स्‍कीमों के तहत बीज सब्‍सिडी पर सीमा बढ़ाना,अतिरिक्‍त चारा उत्‍पादन कार्यक्रम व बागवानी फसलों के संरक्षण के लिए विशेष कार्यकलाप।
  2. आकस्‍मिक स्‍थिति की तैयारी का आकलन करने के लिए दिनांक 5 जून, 2015 को कृषि मंत्री ने इस मंत्रालय के सभी विभागों और अन्‍य स्‍टेकहोल्‍डर-मंत्रालयों/विभागों के साथ बैठक आयोजित की है। इस बैठक में कृषि, कृषि अनुसंधान व विभाग, पशुपालन, डेयरी व मत्‍स्‍य पालन के अलावा जल संसाधन, ग्रामीण विकास, भूमि संसाधन ऊर्जा उर्वरक मंत्रालय, खाद, उर्वरक, राष्‍ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण व भारतीय मौसम विज्ञान विभाग के अधिकारियों द्वारा भाग लिया गया। इन सभी मंत्रालय के अधिकारियों द्वारा कृषि मंत्री जी को कम वर्षा से संभावित किसी भी स्‍थिति से निपटने के लिए की गई तैयारियों के बारे में अवगत कराया गया।
  3. कृषि मंत्री जी ने यह भरोसा दिया कि दिनांक 2 जून, 2015 को आईएमडी के पूर्वानुमान के अनुसार कम वर्षा की स्‍थिति में सूखे की संभावना से निपटने के लिए यह मंत्रालय पूरी तरह से तैयार है। भारतीय मौसम विज्ञान विभाग के पूर्वानुमान में अधिक कम वर्षा का अनुमान उत्‍तर पश्‍चिम भारत हेतु लगभग 85 प्रतिशत का दीर्घकालीन वर्षा के औसत का अनुमान लगाया, परंतु उत्‍तर पश्‍चिम भारत में अधिकांशत: हिस्‍सा सिंचित है। इस क्षेत्र में कम वर्षा का कोई विशेष प्रभाव कृषि उत्‍पादन पर नहीं पड़ता। इसके अतिरिक्‍त एक निजी मौसम कंपनी ने सामान्‍य मानसून की भविष्‍यवाणी की है। इसके बावजूद भी कम वर्षा की स्‍थिति में सूखे की संभावना से निपटने के लिए यह मंत्रालय पूरी तरह से तैयार है।

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