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साइबर अपराध का कोई चेहरा और सीमा नहीं होतीः श्री राजनाथ सिंह

देश-विदेश

नई दिल्ली: केंद्रीय गृह मंत्री श्री राजनाथ सिंह ने कहा कि विकास के सामने इन दिनों साइबर अपराध और वैश्विक स्तर पर तकनीक की

उपलब्धता सबसे बड़ी चुनौती है। वह आज यहां 8वें एसोचैम अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे।

श्री राजनाथ सिंह ने त्वरित विकास के लिहाज से साइबर अपराध के प्रति गहरी चिंता जाहिर की। उन्होंने कहा कि पहले जमीन, पानी और वायु से अपराध हुआ करते थे। 20वीं सदी में इस क्षेत्र में विस्तार हो गया है। हाल के दिनों में साइबर अपराधों के मामले में तेजी से इजाफा हुआ है, जो दूरदराज के क्षेत्रों तक मोबाइल फोन और इंटरनेट की पहुंच को देखते हुए गंभीर चिंता का विषय है। उन्होंने कहा कि साइबर अपराध की मुख्य समस्या इसका पता लगाना और मुकदमा चलाना है, क्योंकि इसका कोई चेहरा और सीमा नहीं होती।

मंत्री ने कहा कि साइबर क्षेत्र को युवाओं के मष्तिष्क को कट्टर बनाने में इस्तेमाल किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि देश में साइबर अपराधों से प्रभावी तौर पर निबटने के लिए एक कार्ययोजना तैयार करने के वास्ते एक विशेषज्ञ समूह का गठन किया गया है। इस विशेषज्ञ समूह ने देश में साइबर अपराधों से लड़ने के लिए एक भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र (आई4सी) की स्थापना की सिफारिश की है। उन्होंने कहा कि दुनिया में अंतर-संपर्क बढ़ने के साथ चुनौतियां आएंगी और हमें इन चुनौतियों से पार पाने के रास्ते तलाशने चाहिए, साथ ही नेटवर्कों की सुरक्षा में मौजूद खामियों का समाधान निकालना चाहिए।

इससे पहले सम्मेलन को संबोधित करते हुए गृह राज्य मंत्री श्री हरिभाई पराथीभाई चौधरी ने कहा कि हम साइबर अपराध सहित हर तरह की सुरक्षा संबंधी चुनौतियों से निबटने के लिए तैयार हैं। उन्होंने यह भी कहा कि सरकार ने तकनीक उन्नयन के साथ ही इस क्रम में बदलाव की प्रक्रिया शुरू कर दी है।

इस कार्यक्रम के दौरान मुख्य अतिथि भारत में अमेरिका के उच्चायुक्त श्री रिचर्ड वर्मा और भारत में नीदरलैंड के उच्चायुक्त श्री अल्फोनस हरमानस मारिया स्टोलिंगा रहे।

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