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वलसाड़ के जुजवा गांव में प्रधानमंत्री के सम्‍बोधन का मूल पाठ

देश-विदेश

नई दिल्ली: दो-तीन दिन के बाद रक्षाबंधन का पवित्र त्‍योहार और आप सब बहनें इतनी बड़ी रक्षा की राखी ले करके आए हैं, मैं आपका बहुत-बहुत आभारी हूं। और देशभर की माताओं-बहनों ने आशीर्वाद दे करके जो मुझे रक्षा कवच दिया हुआ है, आशीर्वाद दिए हुए हैं, इसके लिए मैं इन सभी माताओं-बहनों का हृदय से आभार व्‍यक्‍त करता हूं।

रक्षाबंधन का पर्व सामने हो और गुजरात में एक लाख से भी अधिक परिवारों को, बहनों को उनके नाम से अपना घर मिले, मैं समझता हूं रक्षाबंधन का इससे बड़ा कोई उपहार नहीं हो सकता।

जिन बहनों को आज घर मिला है; घर न होना, उसकी पीड़ा क्‍या होती है, जिंदगी कैसे गुजरती है, भविष्‍य कैसा अंधकारमय होता है; हर सुबह एक सपना ले करके उठते हैं, शाम होते-होते सपना मुरझा जाता है, वही झुग्‍गी-झोंपड़ी की जिंदगी होती है।

लेकिन जब अपना घर होता है तो सपने भी सजने लगते हैं और फिर सपने भी अपने बन जाते हैं। और इन सपनों को पूरा करने के लिए पूरा परिवार; अबाल, वृद्ध सब परिश्रम करता है, पुरुषार्थ करता है और जिंदगी बदलनी शुरू हो जाती है।

इस रक्षाबंधन के पवित्र त्‍योहार के पूर्व इन सभी माताओं-बहनों को, एक लाख से भी अधिक परिवारों को, ये घर की सौगात दे करके आपके भाई के रूप में मैं बहुत संतोष अनुभव कर रहा हूं।

आज एक और दूसरी योजना भी 600 करोड़ रुपये की, वह योजना भी एक प्रकार से रक्षाबंधन के पावन पर्व के पूर्व हमारी माताओं-बहनों को ही भेंट-सौगात है। पानी का संकट सबसे ज्‍यादा अगर परिवार में किसी को झेलना पड़ता है तो माताओं-बहनों को झेलना पड़ता है। पूरे परिवार के लिए पानी का प्रबंध हमारे घरों में आज भी माताओं-बहनों को करना पड़ता है। और पीने का शुद्ध जल न होने के कारण एक प्रकार से घर, जिंदगी, बीमारी का भी घर बन जाता है। पीने का शुद्ध जल परिवार को अनेक बीमारियों से बचाता है।

मैंने सालों तक मेरी जवानी के कई वर्ष इस आदिवासी इलाके में गुजारे हैं। मैं जब धर्मपुर सिदम्‍बाड़ी में रहता था तो मन में एक हमेशा प्रश्‍न उठता था कि इतनी बारिश यहां होती है लेकिन दिवाली के बाद दो महीने से ज्‍यादा पानी नहीं बचता है और फिर पानी के लिए तरसना पड़ता है। और मुझे बराबर याद है उस समय धर्मपुर में, सिदम्‍बूर, सारे बेल्‍ट में, सारे इस आदिवासी से ले करके उमरगांव से अम्‍बाजी तक पूरे आदिवासी बेल्‍ट में बारिश वहां ज्‍यादा होती है और सारा पानी हमारी तरफ, दरिया की तरफ, समंदर की तरफ चला जाता है। उस सारे इलाके बिना पानी के रह जाते हैं।

और जब मैं मुख्‍यमंत्री था तब हजारों करोड़ रुपयों से तय किया था कि उमर गांव से अम्‍बाजी तक, सारे आदिवासी बेल्‍ट जो गुजरात का पूर्वी छोर है; हर गांव को, हर घर को नल से जल मिले, ये सपना देखा।

जो फिल्‍म दिखाई गई, उसमें बताया गया दस योजनाएं, आज उस आखिरी योजना का भी काम प्रारंभ हो रहा है। जिन लोगों ने फिल्‍म देखी होगी, उनके लिए भी आश्‍चर्य होता होगा। सबसे ऊपर जहां पानी पहुंचने वाला है वो 200 मंजिले मकान की ऊंचाई पर जितना पानी पहुंचाते हैं, इतना पानी ऊपर ले जाएंगे। यानी एक प्रकार से नदी 200 मंजिला ऊंचाई पर ले जाएंगे और वहां से पानी नीचे लोगों को पहुंचेगा। ये technology का miracle है।

हमारे देश में इसी दूर-सुदूर गिर के जंगलों में एक पोलिंग बूथ एक मतदान के लिए होता है, एक मतदाता और एक पोलिंग बूथ। सारी दुनिया में वो बॉक्‍स आइटम बन जाती है कि हिन्‍दुस्‍तान की चुनाव प्रक्रिया ऐसी है कि गिर के जंगल में एक पोलिंग बूथ ऐसा है जहां सिर्फ एक मतदाता है लेकिन वहां भी चुनाव प्रबंधन होता है।

मैं समझता हूं ये भी एक अजूबा बन जाएगा कि एक गांव ऊपर 200-300 घरों की बस्‍ती, लेकिन इनको पानी पहुंचाने के लिए एक संवेदनशील सरकार 200 मंजिला तक पानी को ऊपर ले जाए, हर नागरिक के प्रति हमारी भक्ति कितनी है, इसका ये जीता-जागता उदाहरण है।

पहले भी सरकारें रहीं। आदिवासी मुख्‍यमंत्री भी रहे। और जब मैं नया-नया मुख्‍यमंत्री बना था तो मुझे पहले जो आदिवासी मुख्‍यमंत्री रहे थे, उनके गांव में जब मैं गया, पानी की टंकी थी लेकिन पानी नहीं था। उस गांव को पानी देने का काम भी सौभाग्‍य मुझे मिला था।

अगर कोई पानी की परत बना देता है, राहगीर के लिए अगर एक-दो मटके रख देता है और पानी की बरता करता है तो भी सालों तक उस परिवार को बड़े आदर और गर्व के साथ देखा जाता है।

आज भी लाखा बलधारा की कथाएं जिसने पानी के लिए काम किया, गुजरात और राजस्‍थान में गांव-गांव की जुबान पर है। क्‍यों, किसी ने पानी के लिए काम किया था। आज मुझे गर्व है कि गुजरात सरकार घर-घर नल से जल पहुंचाने के लिए जो अभियान चला रही है वो अपने-आप में।

हमारा गुजरात आगे चल करके कैसा हो। गरीब से गरीब की जिंदगी कैसी हो, कैसे हमारे सपने हैं; उन सपनों को साकार करने के लिए हमारे प्रयास क्‍या हैं, ये नजर आता है।

आप सबने देखा होगा मुझे आज एक प्रकार से आधे-पौने घंटे में पूरे गुजरात की सैर करने का मौका मिला गया। हर जिले में गया, वहां की माताओं-बहनों से बात करने का मौका मिला। मैं बात तो सुनता था लेकिन मेरी नजर उनके घर पर थी, कैसा घर बना है। आपने भी देखा होगा कि आपको भी लगता होगा कि क्‍या प्रधानमंत्री आवास योजना, सरकारी योजना के इतने अच्‍छे मकान भी हो सकते हैं क्‍या?  ये इसलिए संभव होता है क्‍योंकि cut की कम्‍पनी बंद है।

दिल्‍ली से एक रुपया निकलता है तो गरीब के घर में पूरे-पूरे 100 पैसे पहुंच जाते हैं, इसलिए ये संभव हो रहा है। और इस सरकार में हिम्‍मत है कि इतने टी वी वालों की हाजिरी में, इतने अखबार वालों की हाजिरी में, इतनी बड़ी जनमेगनी के सामने, और जब पूरा देश टीवी पर देख रहा है, तब हिम्‍मत के साथ किसी मां को पूछ सकता हूं कि आपको किसी को रिश्‍वत तो नहीं देनी पड़ी? किसी ने दलाली तो नहीं ली है?

हम इस चरित्र के निर्माण के लिए लगे हुए हैं और मुझे खुशी हुई जब मां-बहने बड़े आत्‍मविश्‍वास, संतोष के साथ कह रही थीं, जी नहीं। हमें अपना हक मिला है, नियमित नियमों के तहत मिला है, हमें किसी को एक नया रुपया भी देना नहीं पड़ा है।

उन मकानों को आपने देखा, प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत इन मकानों की क्‍वालिटी जब हम देख रहे थे तो आपको भी लगता होगा कि क्‍या बात है, सरकार के ऐसे मकान हो सकते हैं क्‍या!  ये सही है कि सरकार ने धन दिया है लेकिन सरकार के पैसों के साथ उस परिवार का पसीना भी इसमें लगा है। और उसके कारण उसने खुद ने मकान कैसा हो, तय किया। कौन सा मैटिरियल उपयोग करेंगे, परिवार ने तय किया। मकान कैसे बनाएंगे, खुद ने तय किया।

सरकारी कांट्रेक्‍टरों के भरोसे हमने काम नहीं किया, हमने इस परिवार पर भरोसा किया और जब परिवार अपना घर बनाता है, तो उत्‍तम से उत्‍तम बनाता है और वो जो खुशी है वो गुजरात के हर गांव में इन परिवारों ने नमूनारूत्‍तम घर बनाए हैं। मैं इसके लिए उनको बधाई देता हूं।

देश को गरीबी से मुक्ति का एक बड़ा अभियान हमने चलाया है, लेकिन गरीबों के सशक्तिकरण के द्वारा चलाया है। बैंक थे लेकिन बैंक में गरीब को प्रवेश नहीं था। हमने बैंक को ही गरीब के घर के सामने ला करके खड़ा कर दिया प्रधानमंत्री जन-धन योजना में।

गांव में रईस घर में ही बिजली का कनेक्‍शन हुआ करता था, गरीब के घर में बिजली का कनेक्‍शन पाना, तो उसको तो आश्‍चर्य होता था कि मेरे घर में भी अंधेरा जाएगा क्‍या? आज, आज उजाला योजना के तहत हर घर में सौभाग्‍य योजना के तहत हर घर में बिजली का कनेक्‍शन देने का बड़ा अभियान उठाया है और आने वाले एक-डेढ़ साल में हिन्‍दुस्‍तान में कोई घर नहीं बचेगा जहां खुद का बिजली का कनेक्‍शन न हो, बिजली का लट्टू न हो।

घर हो, घर में शौचालय हो, बिजली हो, पीने का पानी हो, गैस का चूल्‍हा हो- एक प्रकार से उसकी जिंदगी में आमूल-चूल परिवर्तन का एक प्रयास चल रहा है।

आपने मुझे बड़ा बनाया है। आप गुजरात के लोगों ने मेरी परवरिश की है। गुजरात ने मुझे बहुत कुछ सिखाया है। और आप लोगों से जो मैं सीखा हूं, उसी का परिणाम है कि सपने बड़े समयबद्ध तरीके से पूरे करने का प्रयास कर रहा हूं और 2022 में, जब हिन्‍दुस्‍तान की आजादी के 75 साल होंगे, इस देश का कोई परिवार ऐसा न हो कि जिसके पास खुद का घर न हो; ऐसा हिन्‍दुस्‍तान बनाने का सपना देखा है।

अब तक खबर आती थी नेताओं के बड़े-बड़े घर बनने की, अब तक खबर आती थी नेताओं के घरों की सजावट की; अब खबरें आ रही हैं गरीबों के घर बनने की, अब खबरें आ रही हैं गरीबों के घर की सजावट की।

ये ऐसा प्रधानमंत्री है कि जब एक लाख से अधिक घरों द्वारा वास्‍तु प्रवेश होता हो और उसमें शरीक होने के लिए वलसाड की धरती पर आ करके वीडियो कांफ्रेंस से सभी परिवारों के साथ उनके उत्‍साह और उमंग में शरीक होता है।

गत सप्‍ताह हमारे लिए बड़ी पीड़ा का रहा है। अटल बिहारी वाजपेयी जी चले गए लेकिन उनके नाम बनी हुई प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना हर गांव को पक्‍की सड़क से जोड़ने का काम भी हम समय-सीमा में पूर्ण करने का लक्ष्‍य ले करके चल रहे हैं।

एक प्रकार से आमूल-चूल परिवर्तन लाने की दिशा में प्रयास चल रहा है। यहां आपने देखा होगा skill development, दूर-सुदूर आदिवासी जंगलों में रहने वाली बेटियों को skill development के बाद रोजी-रोटी कमाने के लिए कैसे अवसर मिल सकते हैं, इसका मुझे प्रमाणपत्र देने का अवसर मिला।

अपने-आप में देश को समस्‍याओं से मुक्‍त किया जा सकता है, देश के सामान्‍य से सामान्‍य मानवी के सपनों को साकार किया जा सकता है और इसकी पूर्ति के लिए हम लगातार प्रयास कर रहे हैं।

वलसाड के मेरे भाइयो-बहनों, वैसे मेरा कार्यक्रम कुछ दिन पहले यहां आने का बना था, लेकिन बारिश की वजह से वो कार्यक्रम कैंसिल करना पड़ा। और बारिश भी इस बार कभी आती है तो बड़ी जोर से आती है, नहीं आती तो हफ्तों तक रुक जाती है। गुजरात में कुछ इलाके में तकलीफ भी हुई और कुछ इलाके में पानी आया भी नहीं। लेकिन पिछले कुछ दिनों में जो वर्षा हुई, उसके कारण गुजरात के कई इलाकों में वर्षा की कृपा हुई है। आने वाला वर्ष भी बहुत उत्‍तम जाएगा। कृषि के क्षेत्र में बहुत अच्‍छा लाभ होगा, ऐसा मुझे पूरा विश्‍वास है।

मैं सभी वलसाड के मेरे प्‍यारे भाइयों, बहनों, इतने लंबे समय तक इतनी बड़ी तादाद में आप बैठे रहे, जी-जान से जुड़े रहे; मैं आपका जितना आभार व्‍यक्‍त करूं उतना कम है।

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