26 C
Lucknow
Online Latest News Hindi News , Bollywood News

IBC के तहत RBI 12 कंपनियों से कर्ज वसूलने की प्रक्रिया शुरु, भूषण स्टील की बिक्री के रूप में पहली सफलता

देश-विदेश

नई दिल्ली: नए दिवालिया कानून इन्सॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी कोड (आइबीसी) के तहत आरबीआइ ने पिछले साल 12 कंपनियों से कर्ज वसूलने की प्रक्रिया की शुरुआत की थी। भूषण स्टील की बिक्री के रूप में इसमें पहली सफलता मिल गई है। टाटा स्टील द्वारा कर्ज में डूबी भूषण स्टील के अधिग्रहण से यह उम्मीद जगी है कि बड़े उद्योगों के पास बैंकों के फंसे कर्जो यानी एनपीए की वसूली की प्रक्रिया रफ्तार पकड़ेगी। अभी 11 कंपनियों पर फैसला होना बाकी है। कुछ कंपनियों के मामले में कानूनी पेंच भी अटका हुआ है, लेकिन अधिकारियों को इन्हें सुलझा लिए जाने की उम्मीद है। इन 12 कंपनियों पर बैंकों व अन्य कर्जदाताओं के 2,36,483 करोड़ बकाया हैं।

सूची में बची अन्य कंपनियों की दिवालिया प्रक्रिया की मौजूदा स्थिति कुछ ऐसी है

लैंको इन्फ्राएबीजी शिपयार्ड और आलोक इंडस्ट्रीज: इन कंपनियों पर बैंकों के क्रमश: 44,364 करोड़, 6,953 करोड़ और 22,075 करोड़ बकाया हैं। आरबीआइ की सूची में शामिल इन तीनों कंपनियों की कर्ज वसूली को लेकर शेयरधारकों-कर्जदाताओं में खींचतान चल रही है। लैंक्रो इन्फ्रा के लिए त्रिवेणी अर्थमूवर्स ने सबसे ज्यादा बोली लगाई थी, जिसे बैंक ठुकरा चुके हैं। कंपनी दोबारा प्रस्ताव भेजने की तैयारी में है। आलोक इंडस्ट्रीज के लिए जेएम फाइनेंशियल-रिलायंस के प्रस्ताव को भी खारिज किया जा चुका है। एनसीएलटी में कंपनी को चल रही दिवालिया प्रक्रिया के खिलाफ भी मामला दायर किया गया है। एबीजी शिपयार्ड को लेकर भी मामला बहुत उत्साहजनक नहीं है। तीन बार प्रस्ताव मंगवाए जा चुके हैं। लिबर्टी हाउस नाम की कंपनी का प्रस्ताव सबसे ज्यादा था, लेकिन कंपनी के वित्तीय हालात पर सवाल उठने के चलते मामला अटक गया है। उक्त कंपनियों के अतिरिक्त भूषण पावर, ईरा इंफ्रा, मोनेट इस्पात, एमटेक ऑटो, ज्योति स्ट्रक्चर्स भी इस सूची में शामिल हैं, जिनसे कर्ज वसूली की प्रक्रिया जारी है।

जेपी इन्फ्रा

जेपी इन्फ्रा कंपनी पर बैंकों का 9,635 करोड़ बकाया है। इसके लिए सबसे ज्यादा बोली लगाने वाली लक्षद्वीप के प्रस्ताव को कंपनी के कर्जदारों ने ठुकरा दिया। लक्षद्वीप दोबारा ज्यादा आकर्षक प्रस्ताव देने को तैयार है। मामला सुप्रीम कोर्ट में भी चल रहा है। जेपी इन्फ्रा की आवासीय परियोजनाओं के चलते मामला ज्यादा उलझ गया है।

इलेक्ट्रोस्टील स्टील्स

कंपनी पर बैंकों का 10,273 करोड़ का बकाया है। सालाना 25 लाख टन क्षमता वाली झारखंड स्थित इस कंपनी के लिए सबसे ज्यादा बोली अनिल अग्रवाल की कंपनी वेदांता लिमिटेड ने लगाई थी। नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (एनसीएलटी) ने इस प्रस्ताव को मंजूरी भी दे दी। लेकिन इसके लिए बोली लगाने वाली एक अन्य कंपनी रेनेसां स्टील ने एनसीएलटी में मामला दायर कर दिया है। यह मामला बोली लगाने में दूसरे स्थान पर रही टाटा स्टील के दावे को लेकर है।

एस्सार स्टील

आइबीसी के तहत मौजूदा मामलों में यह दूसरी सबसे बड़ी कंपनी है। कंपनी पर बैंकों के 37,284 हजार करोड़ बकाया हैं। इसे खरीदने को दुनिया की दिग्गज स्टील कंपनी आर्सेलरमित्तल ने सबसे ज्यादा बोली लगाई, जबकि दूसरे नंबर पर न्यूमेटल है। आर्सेलरमित्तल की तरफ से कंपनी पर बकाये 8,000 करोड़ के कर्ज का सीधा भुगतान करने का ऑफर दिया गया है। न्यूमेटल नए प्रस्ताव के साथ आई है व अगले मंगलवार को इस पर सुनवाई होगी। न्यूमेटल रूस के दूसरे सबसे बड़े बैंक वीटीबी समूह की अगुआई में बना एक कंसोर्टियम है। भूषण स्टील के बाद एस्सार स्टील मामले में ही सबसे पहले समाधान तक पहुंचने की उम्मीद है। जागरण

Related posts

This website uses cookies to improve your experience. We'll assume you're ok with this, but you can opt-out if you wish. Accept Read More