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राष्‍ट्रपति ने कहा कि कृषि विश्‍वविद्यालयों को कृषि विकास और परिवर्तन का केन्‍द्र होना चाहिए

देश-विदेश

नई दिल्‍ली: राष्ट्रपति श्री प्रणब मुखर्जी ने आज 17 नवम्‍बर, 2015 को यहां गोविन्‍द बल्‍लभ पंत कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्‍वविद्यालय के 29वें दीक्षांत समारोह में हिस्‍सा लिया। राष्‍ट्रपति ने कहा कि कृषि विश्‍वविद्यालयों को कृषि विकास और परिवर्तन का केन्‍द्र होना चाहिए। कृषि संस्‍थानों को विकास और गुणवत्ता में सुधार के लिए ध्यान केन्द्रित करना चाहिए। विशेषज्ञता हासिल करने के लिए सांस्‍थानिक समझौते किये जाने चाहिए। संयुक्‍त अनुसंधान के लिए अन्‍य कृषि संस्‍थानों के साथ सहभागिता की जानी चाहिए। राष्‍ट्रपति ने कहा कि जमीन का बेहतरीन इस्‍तेमाल और मृदा प्रबंधन को अपनाना बहुत आवश्‍यक हो गया है। बेहतर खेती के लिए यह जरूरी है कि हम मिट्टी की गुणवत्ता के महत्‍व को पहचानें, पौधों के पोषण के लिए प्राकृतिक साधन का इस्‍तेमाल करें और उर्वरकों का समझदारी से प्रयोग करें। बेहतर खेती करने के लिए यह भी जरूरी है कि प्रौद्योगिकी विकास में ज्‍यादा निवेश किया जाये और बाजार तक किसानों की पहुंच बनाई जाये, ताकि उन्‍हें अपनी उपज की बेहतर कीमत मिल सके।

राष्‍ट्रपति ने कहा कि ‘ग्‍लोबल हंगर इंडेक्‍स 2015’ में कम पोषण, सामान्‍य वजन से कम के बच्‍चे और बाल मृत्‍यु की दर के सम्बंध में तीन संकेतक दिये हैं, जिनके अनुसार 104 देशों में भारत 80वें स्‍थान पर है। यह स्‍वीकार्य नहीं है। हमें समयबद्ध तरीके से अपनी आबादी के पोषण स्‍तर में सुधार करना होगा।

राष्‍ट्रपति ने कहा कि समय आ गया है कि हम कृषि गतिविधियों में तेजी लाने के लिए नए उपाए करें। इनमें सिंचाई और बीजों की किस्‍मों में सुधार शामिल हैं। मृदा-उपज प्रणाली में टॉक्‍सिक तत्‍वों के विषय में अनुसंधान करना चाहिए और ऐसी प्रणाली विकसित करनी चाहिए ताकि पानी का बेहतर इस्‍तेमाल हो सके। इसके अलावा वर्षा जल संग्रहण और पानी का कारगर इस्‍तेमाल भी जरूरी है। उन्‍होंने कहा ऐसा करने से हमारी सिंचाई क्षमता बढ़ेगी। हमारी नीतियों को इस दिशा में काम करना चाहिए।

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