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सुशासन का मुख्‍य उद्देश्य आम आदमी का जीवन सुगम बनाना: केन्‍द्रीय मंत्री डॉ. जितेन्‍द्र सिंह

देश-विदेश

केन्‍द्रीय कार्मिक (डीओपीटी)/डीएआरपीजी मंत्री डॉ. जितेन्‍द्र सिंह और मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री, श्री शिवराज सिंह चौहान ने “मध्य प्रदेश सुशासन और विकास रिपोर्ट-2022” शीर्षक से राज्य शासन की रिपोर्ट का लोकार्पण किया।

कार्यक्रम में मध्‍य प्रदेश से चुनकर आए सांसद और केन्‍द्रीय मंत्री श्री नरेन्‍द्र सिंह तोमर, श्री ज्योतिरादित्य एम सिंधिया, श्री वीरेन्‍द्र कुमार और श्री फग्गन सिंह कुलस्ते के साथ-साथ केन्‍द्र और राज्य सरकारों के वरिष्ठ अधिकारी भी शामिल हुए।

एक विस्‍तृत रिपोर्ट लाने और केन्‍द्रीय कार्मिक मंत्रालय में प्रशासनिक सुधार और लोक शिकायत विभाग के साथ मिलकर काम करने के लिए मध्‍य प्रदेश सरकार को बधाई देते हुए केन्‍द्रीय कार्मिक मंत्री डॉ. जितेन्‍द्र सिंह ने कहा कि उनका मंत्रालय प्रत्येक राज्य द्वारा अपनाई जाने वाली सर्वोत्तम कार्य प्रणाली को चुनकर अन्य राज्य सरकारों को उन्‍हें अपनाने के लिए प्रेरित करने का लगातार प्रयास कर रहा है। उन्होंने मध्य प्रदेश को “बीमारू” राज्य होने के संदेहपूर्ण कलंक से हटाकर एक अत्यधिक प्रगतिशील राज्य बनाने के लिए मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान की सराहना की, जो कृषि-सूचकांक जैसी अनेक तालिकाओं के मामले में देश के अधिकांश अन्य राज्यों से आगे निकल गया है।

श्री शिवराज सिंह चौहान ने शासन में कई सुधार लाने के मोदी सरकार के प्रयासों की सराहना की। उन्होंने भारत @2047 की परिकल्‍पना करने पर निरंतर और सिलसिलेवार ध्यान केन्‍द्रित करने के लिए केन्‍द्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह की भी सराहना की। उन्होंने कहा कि कई वर्षों से मध्यप्रदेश तेजी से आगे बढ़ रहा है और जल्द ही हर क्षेत्र में अनुकरणीय लक्ष्य हासिल करने में सक्षम होगा।

डॉ. जितेन्‍द्र सिंह ने कहा कि वर्ष 2014 में सरकार बनने के बाद प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी ने हमें ‘अधिकतम शासन, न्यूनतम सरकार’ का मंत्र दिया। उन्होंने कहा कि कोई भी नियम जिसके बारे में अक्सर शिकायत की जाती है, उसका मतलब है कि नियम ही त्रुटिपूर्ण है। उन्होंने कहा कि इसी तर्ज पर पिछले 8 सालों में हमने करीब 1500 नियमों को खत्म किया है। उन्होंने राजपत्रित अधिकारी द्वारा दस्तावेजों के सत्यापन की औपनिवेशिक प्रथा को वर्ष 2014 में सरकार बनने के तीन महीने के भीतर समाप्त करने पर प्रकाश डाला। इस तरह के औपनिवेशिक और दशकों पुराने नियमों को समाप्त करके, हमने देश की जनता को संदेश दिया कि अब सत्ता में एक ऐसी सरकार है जिसमें अपने ही देश के युवाओं पर भरोसा करने का साहस और क्षमता है। उन्होंने 01 जनवरी, 2016 से साक्षात्कार के एक और अप्रचलित नियम को समाप्त करने का उदाहरण दिया। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री ने हमेशा हमें ऐसे क्रांतिकारी निर्णयों में प्रोत्साहित और मार्गदर्शन किया है।

केन्‍द्रीय मंत्री ने कहा कि सुशासन का अंतिम उद्देश्य आम आदमी के जीवन को आसान बनाना है। उन्होंने कहा कि 2014 में केन्‍द्र में सरकार बनने के समय भारत सरकार के शिकायत प्रकोष्ठ को एक साल में दो लाख शिकायतें मिलती थीं, लेकिन आज प्राप्त शिकायतों की संख्या 25 लाख हो गई है। एक वर्ष में, जिसका अर्थ है कि सरकार तत्पर है और एक समय सीमा का पालन करती है। हमारी शिकायतों का निपटारा करने की दर प्रति सप्ताह 95-98% है। उन्होंने कहा कि सरकार त्वरित, प्रतिक्रियाशील रही है और इसी तरह वह इस देश के लोगों का विश्वास अर्जित करने में सफल रही है।

डॉ जितेन्‍द्र सिंह ने सरकार की एक और पहल पर प्रकाश डाला, जिसके तहत, आईएएस अधिकारियों को केन्‍द्र में तीन महीने कार्य करना आवश्‍यक होता है और फिर अपने संबंधित राज्य कैडर में जाना होता है। यह बदले में, उन्हें कार्यक्रमों और प्रमुख योजनाओं के हर पहलू को समझने और राज्य स्तर पर इन्‍हें फिर से दोहराने में मदद करता है। यह राज्यों और केन्‍द्र को जोड़ने के प्रयास में भी मदद करता है, जिस पर हमेशा प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी ने जोर दिया है और कोरोना महामारी के दौरान अधिकारियों के कामकाज से यह साबित हुआ है। उन्होंने कहा कि सरकार ने हाल ही में जिला सुशासन सूचकांक शुरू किया है।

डॉ. जितेन्‍द्र सिंह ने कहा कि देश आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है और अगले 25 साल तय करेंगे कि भारत कहां खड़ा होगा और जब देश अपनी आजादी के 100 साल पूरे करेगा तो उसका कद क्या होगा। उन्होंने कहा कि इन 25 वर्षों के लिए हमारी कार्ययोजना बहुत महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि हम 2047 को 2022 के प्रिज्म और मापदंडों से देखते हैं और हमें 2047 के मापदंडों और मार्गदर्शक सिद्धांतों का आकलन करने के लिए पहले 2047 के लिए सूचकांक बनाना होगा।

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