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‘वीर बाल दिवस’ के इतिहास से युवा पीढ़ी शौर्य, देशभक्ति और त्याग की प्रेरणा मिलेगी: मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे

देश-विदेश

नई दिल्ली: ‘वीर बाल दिवस’ का इतिहास देश के युवाओं में वीरता, देशभक्ति और त्याग की प्रेरणा देगा, ऐसा मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने आज यहां अपनी भावना व्यक्त करते हुए कहा. केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय की ओर से दिल्ली के मेजर ध्यानचंद नेशनल स्टेडियम में ऐतिहासिक ‘वीर बाल दिवस’ कार्यक्रम का आयोजन किया गया.  इस अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, मुख्यमंत्री श्री शिंदे, पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान, केंद्रीय पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस और आवास शहरी विकास मंत्री हरदीप सिंह पुरी, केंद्रीय संस्कृति राज्य मंत्री अर्जुन मेघवाल, मीनाक्षी लेखी और अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे. मुख्यमंत्री इस कार्यक्रम में बोल रहे थे.

मुख्यमंत्री ने आगे कहा, वीर बाल दिवस जैसे सर्वोच्च त्याग के यादगार समारोह का आयोजन  निश्चित रूप से इस इतिहास से प्रेरणा मिलेगी. श्री शिंदे ने कहा कि यह पीढ़ी निश्चित रूप से राष्ट्र के विकास में योगदान देगी, यह वर्ष स्वतंत्रता का अमृत महोत्सव वर्षगांठ है और ‘साहिबजादे बाबा जोरावर सिंह जी और बाबा फतेह सिंह जी’ का शहीदी दिवस ‘ वीर बाल दिवस’ के रूप में मनाया जा रहा है. यह सभी के लिए एक यादगार ऐतिहासिक घटना है.

गुरु गोबिंद सिंह ने ‘वाहेगुरु जी का खालसा वहीगुरु जी की फतेह’ की घोषणा कर लोगों को अन्याय के खिलाफ लड़ने की ताकत दी. देश के स्वतंत्रता संग्राम के क्रांतिकारियों में महाराष्ट्र और पंजाब का समान संबंध रहा है. चाफेकर बंधुओं और भगतसिंह के साथ राजगुरु जिन्हें फाँसी दी गई थी, वे महाराष्ट्र के थे. दोनों राज्यों में क्रांतिकारियों की गौरवशाली परंपरा रही है, ऐसा मुख्यमंत्री श्री. शिंदे ने कहा.

मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि महाराष्ट्र और पंजाब का घनिष्ठ संबंध है, दोनों राज्यों की मिट्टी ने अनेक वीरों और महान संतों को जन्म दिया है. ये दोनों राज्य शतको से सामंजस्य में रहे हैं. संत नामदेव का धाम घुमान में है जबकि नांदेड़ में गुरु गोबिंद सिंह जी का समाधि स्थल सचखंड श्री हजूर साहेब है.

इस मौके पर मुख्यमंत्री ने याद किया कि वर्ष 2008 में महाराष्ट्र सरकार की ओर से गुरु गोबिंद सिंह जी की 300वीं पुण्यतिथि बड़े पैमाने पर मनाई गई थी.  मुख्यमंत्री श्री शिंदे ने इस बात पर प्रकाश डाला कि मराठी और पंजाबी का कृषि से लेकर देश की सीमा सुरक्षा तक अटूट संबंध है. गुरु गोबिंद सिंह जो पंजाब से थे, महाराष्ट्र के नांदेड़ पहुंचे, तो, संत नामदेव महाराष्ट्र से थे और पंजाब पहुंचे, मुख्यमंत्री ने कहा कि संत नामदेव का अभंग ‘गुरु ग्रंथ साहेब’ में शामिल है.

गुरु गोविंद सिंह साहेब जैसे ही छत्रपति शिवाजी महाराज अपनी देशभक्ति और अपनी अद्भुत वीरता के लिए जाने जाते हैं. शिवाजी महाराज ने मुगलों के खिलाफ लड़ाई लड़ी. शिवाजी महाराज के पुत्र छत्रपति संभाजी महाराज को भी मुगलों ने बहुत सताया,  संभाजी महाराज ने पीछे हटे बिना अपना स्वाभिमान नहीं छोड़ा. मुख्यमंत्री ने इस मौके पर यह भी कहा कि इन महापुरुषों के बलिदान से युवा पीढ़ी को प्रेरणा मिलने की उम्मीद करने में कोई हर्ज नहीं है.

इस आयोजन के दौरान लगभग तीन सौ बाल कीर्तनों ने ‘शबद कीर्तन’ किया. इसमें प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री शामिल हुए. साथ ही इस अवसर पर प्रधानमंत्री श्री मोदी ने  दिल्ली में निकाले गए मार्च पास्ट को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया.

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