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मुख्यमंत्री ने केन्द्रीय ऊर्जा तथा नवीन और नवीकरणीय राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्री पीयूष गोयल को पत्र लिखा

उत्तर प्रदेश

लखनऊ: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री अखिलेश यादव ने केन्द्रीय ऊर्जा तथा नवीन और नवीकरणीय राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्री पीयूष गोयल से सिंचाई विभाग के ग्रिड संचालित राजकीय नलकूपों एवं लघु डाल नहरों को ग्रिड एवं सौर ऊर्जा के हाइब्रिड माॅडल से संचालित करने की परियोजना हेतु भारत सरकार के (एम0एन0आर0ई0) केन्द्रीय अनुदान अंश 360 करोड़ रुपए को अवमुक्त किए जाने का अनुरोध किया है। साथ ही, उन्होंने इण्डियन रिन्यूएबल इनर्जी डेवलपमेण्ट एजेंसी (इरेडा) के 700 करोड़ रुपए के ऋण को भी अवमुक्त किए जाने का अनुरोध किया है।

इस सम्बन्ध में केन्द्रीय मंत्री को लिखे अपने एक पत्र में मुख्यमंत्री ने उल्लेख किया है कि प्रदेश के लघु एवं मध्यम किसानों के लिए यह देश की सबसे वृहद, क्लीन एवं ग्रीन ऊर्जा की अभिनव परियोजना है। इससे प्रदेश में स्वच्छ, हरित एवं पर्यावरण के अनुकूल ऊर्जा का उत्पादन होगा। राजकीय नलकूपों एवं लघु डाल नहरों की सृजित सिंचाई क्षमता के बेहतर उपभोग से लघु एवं मध्यम किसानों के लिए लगभग 2.0 लाख हेक्टेयर अतिरिक्त सिंचाई क्षेत्र में वृद्धि सम्भावित होगी। किसानों को समय पर सिंचाई सुविधा सुनिश्चित होगी, जिसके फलस्वरूप प्रदेश की उत्पादकता एवं खाद्य सुरक्षा में बढ़ोत्तरी होगी। सरकारी नलकूपों व लघु डाल नहरों के संचालन के लिए गुणवत्तापूर्ण, निर्बाध एवं सुनिश्चित विद्युत आपूर्ति प्राप्त होगी।
श्री यादव ने लिखा है कि राजकीय नलकूपों एवं लघु डाल नहरों की ग्रिड ऊर्जा से संचालन की निर्भरता कम होने से ग्रिड ऊर्जा में बचत होगी, जिसे अन्य उद्देश्य हेतु उपयोग में लाया जा सकेगा। प्रस्तावित परियोजना से लगभग 142 मेगावाॅट विद्युत का उत्पादन अनुमानित है, जो कि प्रदेश के विकास के लिए अत्यन्त लाभकारी सिद्ध होगा। राजकीय नलकूपों एवं लघु डाल नहरों के प्रत्येक यूनिट हेतु अलग से सोलर पैनल स्थापित किए जाने के कारण ट्रांसमिशन, डिस्ट्रीब्यूशन के व्यय एवं विद्युत हानि में कमी आएगी। प्रस्तावित हाइब्रिड सिस्टम से राजकीय नलकूपों एवं लघु डाल नहरों को संचालित किए जाने के प्रथम वर्ष में ही लगभग 150 करोड़ रुपए की बचत अनुमानित है।
परियोजना के प्रस्तावित कार्यों के सम्बन्ध में मुख्यमंत्री ने लिखा है कि प्रथम चरण में 6,076 राजकीय नलकूपों तथा 57 लघु डाल नहरों को हाइब्रिड माॅडल (सौर ऊर्जा एवं ग्रिड ऊर्जा) के माध्यम से संचालित किया जाएगा। फोटो वोल्टाइक सोलर पैनल की स्थापना की जाएगी। सोलर सबमर्सिबिल पम्प सेट, सोलर पम्प कण्ट्रोलर, इन्वर्टर, माॅडम एवं कैमरों की स्थापना तथा नेट मीटरिंग व्यवस्था उपलब्ध करायी जाएगी। इनके अलावा रियल टाइम माॅनीटरिंग करने और अतिरिक्त सौर ऊर्जा को ग्रिड में स्थानांतरित किए जाने का भी कार्य किया जाएगा।
मुख्यमंत्री ने परियोजना के सम्बन्ध में अब तक की प्रगति का उल्लेख करते हुए लिखा है कि 6,076 राजकीय नलकूपों तथा 57 लघु डाल नहरों के हाइब्रिड माॅडल से संचालन हेतु 1285 करोड़ रुपए लागत की परियोजना का गठन किया गया है, जिसके सम्बन्ध में केन्द्रीय नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय के 15 जनवरी, 2016 के पत्र द्वारा 30 प्रतिशत अनुदान हेतु सैद्धान्तिक सहमति दी जा चुकी है। इसी प्रकार इरेडा के 06 फरवरी, 2016 के पत्र द्वारा प्रदेश सरकार की गारण्टी पर 10 वर्ष की भुगतान अवधि हेतु 700 करोड़ रुपए का ऋण दिए जाने हेतु सैद्धान्तिक सहमति दी जा चुकी है। उन्होंने कहा कि शासन ने 11 अप्रैल, 2016 के पत्र द्वारा नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय से अनुदान दिए जाने हेतु अनुरोध किया गया। साथ ही, 23 मई, 2016 को लिखे पत्र द्वारा इरेडा से ऋण दिए जाने हेतु अनुरोध किया गया है। उन्होंने उल्लेख किया कि 14 राजकीय नलकूपों को सौर ऊर्जा एवं ग्रिड ऊर्जा के हाइब्रिड माॅडल से संचालित किए जाने का सफल प्रयोग भी किया जा चुका है।
मुख्यमंत्री ने प्रस्तावित परियोजना का हवाला देते हुए लिखा है कि इस परियोजना को मंत्रिपरिषद द्वारा अनुमोदित किया जा चुका है। इसके क्रियान्वयन हेतु निविदा प्रपत्र एम0एन0आर0ई0 की गाइड लाइन्स एवं विभागीय नियमों के आधार पर तैयार पर एम0एन0आर0ई0 एवं इरेडा को भेजे जा चुके हैं। ई0पी0सी0 काॅन्ट्रैक्टर के चयन हेतु शासकीय एवं वित्तीय पुस्तिका के नियम एवं शर्तों के अधीन ई-निविदा के माध्यम से तीन भागों में निविदा आमंत्रित कर पारदर्शी प्रक्रिया सुनिश्चित करते हुए कार्यवाही प्रगति में है। इरेडा के ऋण की वापसी राज्य सरकार द्वारा 10 वर्षों में प्रस्तावित की गई है।
परियोजना के अन्य वित्तीय विवरण की चर्चा करते हुए मुख्यमंत्री ने उल्लेख किया है कि 6,076 राजकीय नलकूपों हेतु 1193 करोड़ रुपए लागत आएगी। इसी प्रकार 57 लघु डाल नहरों की लागत 93 करोड़ रुपए होगी। इस लागत से 142 मेगावाॅट सौर ऊर्जा उत्पादित की जा सकेगी। उन्होंने बताया कि केन्द्रांश तथा इरेडा के ऋण की कुल धनराशि 1060 करोड़ रुपए है। इस परियोजना की राज्यांश धनराशि 225 करोड़ रुपए का प्राविधान वित्तीय वर्ष 2016-17 के बजट में किया जा चुका है।
मुख्यमंत्री ने लघु एवं मध्यम किसानों के हित के लिए राजकीय नलकूपों एवं लघु डाल नहरों को सौर एवं ग्रिड ऊर्जा के हाइब्रिड माॅडल में परिवर्तित कर संचालित किए जाने को एक आवश्यक पहल बताते हुए परियोजना हेतु भारत सरकार के (एम0एन0आर0ई0) केन्द्रीय अनुदान अंश तथा इरेडा के ऋण को अवमुक्त किए जाने का अनुरोध किया है।

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