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Text of PM’s address at the CSIR’s Platinum Jubilee Function on the occasion of its 75th Foundation Day

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New Delhi: Let me begin by congratulating the Indian Space Research Organisation for successfully undertaking one of its most challenging satellite launches.

As many as eight satellites have been launched in two different orbits, in a single PSLV flight.

I am privileged to inaugurate CSIR’s Platinum Jubilee Function on the occasion of its Seventy-Fifth Foundation Day.

Also as President of the Council, let me take this opportunity to welcome you all for the year-long Celebrations of CSIR Platinum Jubilee.

I specially welcome the One Hundred and Fifty Science students from Kendriya Vidyalayas, who are present here today, as well as the students and research scholars at IITs and IISERs, who are watching this event live.

It is a matter of pride for every Indian that CSIR is celebrating 75th year of committed contribution to the development of modern India.

This has been a journey dedicated to the Nation.

Starting with the indelible ink which is the hallmark of our democratic fabric, CSIR has left an indelible mark on every sphere of life.

With an all-round approach to Research and Development CSIR is a reflection of India in its diversity and heterogeneity.

From agriculture to aerospace, bio-sensors to bio-pharmaceuticals, chemicals to climate change, drug development to deep sea explorations, from earth sciences to energy, food to fragrance, glass to genomics, housing to healthcare, instrumentation to informatics, leather to Light Combat Aircraft, microbes to mining to materials, optics to optical fibres, pigments to power electronics, roads to robotics, sensors to solar energy, tractors to transport, UAVs to under water vehicles, and water to weather forecasting, CSIR has registered its presence.

Swaraj, the first Tractor of the country, Baby Milk Powder, the first Super Computer of the country; these are just some of the accomplishments of CSIR.

Before arriving in this hall, I saw the achievements of CSIR show-cased in an exhibition. I would like to see this exhibition taken to other parts of the country, so that people can know and appreciate CSIR’s achievements.

Our efforts should be to prepare CSIR for modern technologies and emerging challenges.

In my view, CSIR needs to create an “Ease of doing Technology Business” platform to bring in the right stakeholders, so the technologies reach the intended beneficiaries.

Recently, CSIR has developed the first Ayurvedic medicine of the country for diabetic patients. All of you are aware about the potential of this medicine. Now our goal should be to make people aware of the benefits of this medicine so that they can make best use of the same.

इतिहास गवाह है कि आधुनिक युग में कोई भी भी देश तब तक विकसित नहीं हुआ, जब तक उसे विज्ञान और तकनीक का साथ नहीं मिला। इस वक्‍त देश 7% से अधिक विकास से आगे बढ़ रहा है और उसे वैज्ञानिक और अनुसंधान जैसे संगठनों के सहयोग की आवश्‍यकता है। इसलिए आपकी रणनीति का यह हिस्‍सा होना चाहिए कि वर्तमान चुनौतियों से निपटने के साथ ही देश के भविष्‍य के लिए भी हम एक रोड मेप तैयार कर रहे हैं। जैसे CSIR ने इस साल Solar Tree बनया। यह Solar Tree सिर्फ four square feet की जगह घेरता है। अब आपको यह प्रयास करना चाहिए कि कैसे देश के कोने-कोने में यह Solar Tree पहुंचे और लोगों को उसका लाभ मिले। सौर ऊर्जा, solar energy देश में बिजली समस्‍या के निपटारे के लिए बहुत अहम है। आप सभी क्षेत्र में क्रांति ला सकते हैं। सरकार का लक्ष्‍य 2022 तक देश में hundred gigawatt सौर ऊर्जा पैदा करने का है। और उस लक्ष्‍य प्राप्ति के लिए सरकार को आप सब वैज्ञानिकों से पूरा सहयोग चाहिए। जैसे Solar-cell की efficiency को कैसे कम से कम लागत में अधिक से अधिक बढ़ाया जा सकता है। कोई भी तकनीक तभी कामयाब होती है जब वो देश के सामान्‍य मानव के काम आए।

किसान के भाईयों की आज जो आवश्‍यकता है, गरीब माताएं, बहनें, नौजवान अपनी रोजमर्रा की जिंदगी में किस तरह की समस्‍याओं का सामना कर रहे हैं। कैसे आपका आविष्‍कार या अनुसंधान उनकी मदद कर सकता है। यह लगातार सोचना होगा और परिणाम निकालकर दिखाना होगा। वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान के परिषद के गठन का मकसद भी यही है। वैज्ञानिक अनुसंधान यह अविष्‍कार एक दिन या एक साल का काम नहीं है, यह निरंतर चलने वाली प्रक्रिया है। यही सतत प्रक्रिया एक दिन game-changer के रूप में, game-changing technology के रूप में जन्‍म लेती है।

CSIR बहुत पहले से इस काम को करती रही हैं। लेकिन अब एक बहुत बड़ी बदलाव की मैं आवश्‍कता देखता हूं। हम रिसर्च करते रहे हैं। लेकिन क्‍या Time bound Delivery यह हमारा prime agenda बन सकता है क्‍या? मेरी आपसे बहुत सारी उम्‍मीदे है। और कभी-कभी तो लगता है कि मेरी उम्‍मीदें कुछ ज्‍यादा है, लेकिन इसलिए हैं, क्‍योंकि आप पर भरोसा है। 75 साल के आपने जो, देश को दिया है, उसके कारण मुझे लगता, शायद आप ज्‍यादा दे सकते हैं और मांगने वाला भी तो उसी से मांगे जो दे सकता है।

और इसलिए जब हम 75 साल मना रहे हैं, तब Time Bound Delivery, इस एक One Line agenda इसको हम कैसे आगे ला सकते हैं। अनुसंधान के साथ ही हमें Value Change को भी मजबूती के साथ Link करने पर भी ध्‍यान देना होगा। Research Institute के साथ, सरकार उद्योग जगत, गैर-सरकारी संगठन, सर्विस प्रोवाइडर, उपभोक्‍ता इनके तालमेल पर क्‍योंकि Coordinated efforts के बिना परिणाम नहीं मिलता है और उस पर हमें ध्‍यान देना होगा।

कभी-कभी ऐसा भी देखा गया है कि हम आविष्‍कार तो कर लेते हैं, लेकिन आम लोगों को उसका लाभ नहीं होता है, या तो कभी आम लोगों तक उसकी जानकारी नहीं पहुंचती, या आम आदमी की आवश्‍यकताओं के अनुसार उसका Modification नहीं होता है, सिद्धांत के तहत बहुत बढि़या चीज होती है और इसलिए जो संसाधन उपलब्‍ध है और जो समस्‍या है, उन दोनों के बीच, में हम मेल बिठा करके चीजों को अगर लाएंगे, सरलीकरण करेंगे, तो मैं समझता हूं कि इसका व्‍याप, सामान्‍य मानवी की उपयोगिता के साथ, बहुत सहज रूप से, expand हो सकता है। वैज्ञानिक अनुसंधान संस्‍थानों को भी Stake Holders से रिसर्च और Development के Stage पर Feed Back लेने को सिस्‍टम को भी बनाना होगा। अगर हमारा Stake Holders के साथ Interaction नहीं है, उसकी आवश्‍यकताओं को हम नहीं समझते है, तो हो सकता है कि हमारी प्रोडक्‍ट Competitions में बहुत बड़े-बड़े अवॉर्ड लेकर आ सकती है, ईनाम लेकर आ सकती है। बहुत बड़े-बड़े मैगजीन में आर्टिकल छप सकते हैं, लेकिन भारत जैसे देश में, उसकी सफलता, सामान्‍य मानवी की समस्‍याओं के समाधान में, वो कैसे उपयोगी होती है, वही उसका मानदंड होता है। CSIR अपनी प्रयोगशालाओं के द्वारा ऊर्जा से भरे देश के नौजवानों के लिए और ज्‍यादा द्वार खोलने के प्रयास करना चाहिए, कोशिश होनी चाहिए कि CSIR के labs में, ज्‍यादा से ज्‍यादा छात्रों को भी रिसर्च का मौका मिले।

हम देखते हैं कि आजकल यह टीवी वाले Talent search के लिए बहुत बड़े कार्यक्रम करते हैं, गाने बजाने वाले, नाचने वाले और देखते हैं पहले हमने सोचा नहीं इतने Talent नजर आती है छोटे-छोटे बच्‍चों में और इस एक field में talent नहीं है, इनकी हर क्षेत्र में talent पड़ी है। वो अवसर के तलाश में है। क्‍या हमारी लैब्‍स, इन हमारे बच्‍चों के लिए आकर्षण का केंद्र बन सकती है, उसका मन कर जाए चलो भाई Saturday, Sunday नहीं जाना है। मामा के घर नहीं जाना है, चलो आज लैब में चला जाऊं। साहब कुछ समय देंगे, कुछ बताएंगे तो करता रहूंगा। आपसे में जो बड़े-बड़े Scientist बने हैं न, वो अपना बचपन को याद करें आपमें यहीं पागलपन था, तभी तो आप यहां पहुंचे हैं, इसी पागलपन वाले बहुत लोग हैं। किसी ने आपकी अंगूली पकड़ी होगी, किसी ने आपका हाथ पकड़ा होगा। कोई आपको लैब में ले गया होगा। इन बच्‍चों को भी कोई ले जाए। इस देश का भाग्‍य बदल जाए।

CSIR को अपने संसाधनों के मदद से देश में नए Entrepreneurs बनाने में भी सशक्‍त भूमिका निभानी होगी। हम Start-up India, Stand-up India, movement चला रहे हैं, जो नौजवान कुछ करना चाहते हैं और आपने कुछ खोज करके रखा है उस सिद्धांत से उसका परिचय करवा दिया जाए, तो product का साहस वो कर सकता है। क्‍या हमारा CSIR का Movement और भारत सरकार का, Stand up India का movement जिसके कारण युवा पीढ़ी जो नया कर गुजरना चाहती हैं और हमारे पास एक प्रकार की शोध हैं, उसके पास एक समस्‍या हैं, आपकी शोध, समस्‍या, और उसकी product Zeal ये तीनों मिलकर एक नई चीज, दुनिया को दे सकती है, एक नया क्षेत्र खुल सकता है क्‍या और यह संभव है। और इस संभावनाओं को हम कैसे तराशे, उस पर हम अगर काम करें तो मैं समझता हूं, कि यह हम काफी कुछ कर सकते हैं।

विभिन्‍न संस्‍थाओं द्वारा दी जा रही Research Funding को चैनल आज करने की भी आवश्‍यकता है। क्‍या एक ऐसा Web Portal नहीं बनाया जा सकता जिस पर Funding, Research और उसके नतीजों का पूरा-पूरा ब्‍यौरा हो, हो सकता है कि जो आपकी Research की secret हो वो मैं open करने के लिए नहीं कह रहा हूं, वो आपकी अमानत है, लेकिन आप चीजे़ तो रख सकते हैं, वरना क्‍या होता है एक लैब में जो काम हो रहा है, उसी प्रकार का काम दूसरी लैब में भी दस लोग कर रहे हैं। हमारी एनर्जी waste हो रही हैं, हमारा Funding waste हो रहा है, अगर एक प्‍लेटफॉर्म होगा सब लोग देखेंगे हां भाई यह दस चीज ऐसी हैं, जो आज हवा में हैं, मैंने उसको पकड़ने की कोशिश की है, लेकिन वह already काम चल रहा है, चलिए मैं 11वीं पर जाता हूं। यह हम एक portal बना करके और मैं समझता हूं, कि अच्‍छा इससे यह भी होगा कि हम लोगों को Question भी रख सकते हैं, समस्‍या भी रख सकते हैं, वो नये सिरे सोचते हैं हां मैंने भी यातना सोचा है, मैं आगे कर सकता हूं।

भारत सरकार ने 2022 जबकि देश के आजादी के 75 साल हो गये हैं और देश की आजादी के 75 साल जैसे आपके CSIR के 75 साल एक आपके मन में उमंग है उत्‍साह है, देश की आजादी के 75 साल यह भी एक उमंग उत्‍साह और नये कुछ कर गुजरने के कारण बनना चाहिए। अभी हमारे पास कुछ वर्ष बीच में है, हम 2022 में है, देश के किसानों की income, double करने का लक्ष्‍य ले करके चल रहे हैं, इस लक्ष्‍य को पूरा करने के लिए, आपको फसलों की नई Variety तैयार करनी होगी। इसके विशेषतौर पर दालों की ऐसी Variety develop करें, तो Rain-fed area में पैदा की जा सकी और उनकी पैदावर भी ज्‍यादा हो, यह काफी हद तक शरीर में प्रोटीन की कमी से होने वाली कुपोषण की समस्‍या को दूर करने में मदद मिलेगा।

अगर हम 2022 agriculture sector में income, double करने का सपना और खास करके हमारे देश के इस गरीब मानवी की प्रोटीन requirement और प्रोटीन की प्राप्ति का आधार Pulses हैं, तो उसमें हम कैसे Intervention करें, प्रति हैक्‍टर yield कैसे बढ़े, जो हमारे Pulses हों, उसमें प्रोटीन कैसे बढ़े, और यह आज के वैज्ञानिक युग में, genetic science के युग में, intervention से हमारा scientist कर सकता है और हमारा किसान भी, अभी मैं देश के दूर-सुदृढ़ इलाकों के किसानों से बातचीत करके आया, आपने यहां पर देखा होगा, कुछ न कुछ नया करने का इरादा है उनके मन में। क्‍या हमारे वैज्ञानिक इसको गति दे सकते हैं, दिशा दे सकते हैं और तय समय में परिणाम दे सकते हैं। वैज्ञानिको को सब्जियों की नई किस्‍में भी विकसित करनी चाहिए। हमारा उद्देश्‍य न सिर्फ उत्‍पादन और खपत के gap को कम करने का होना चाहिए बल्कि दूसरे क्षेत्र में निर्यात करने का भी होना चाहिए। मैं निर्यात की बात इसलिए कर रहा हूं कि मैं पिछले दिनों Gulf Countries में गया था। वे एक समस्‍या से जूझ रहे हैं, उनका कहना है कि हमारे यहां तो एक इंच भी पानी, बरसा नहीं होती है। हमें खाने के लिए हर चीज़ बाहर से लानी पड़ती है। फल-फूल, सब्‍जी, अनाज सबकुछ। हमारी population बढ़ रही हैं, पेट्रोलियम, डॉलर है, हमारे पास, धन बहुत है, संपत्ति बहुत है। लेकिन चीज़े हमें बाहर से लानी पड़ेगी। क्‍या हम Gulf Countries की requirement को ध्‍यान में रखते हुए, यहां से उस प्रकार के requirement को हम export करें। हमारे agriculture area में focused, targeted ऐसी चीज़े develop करने की दिशा में सोच सकते हैं, ताकि assured market आने वाले पचास सौ साल तक हम प्राप्‍त कर सकते हैं। quality भी हो, quantity भी हो। दुनिया के completion में वो affordable हो। मुझे विश्‍वास है कि हमारे वैज्ञानिक इस लक्ष्‍य को पार कर सकते हैं तो भारत के किसान की economy को तो फायदा होगा ही होगा। लेकिन हमारे पड़ोस में Gulf Countries की requirement को भी बहुत nearest हम हैं। उनको सबसे कम खर्च में चीजें पहुंचाने की संभावना वाला कोई देश है, तो हिंदुस्‍तान है। ऐसा अवसर हम क्‍यों जाने दे और इसलिए agriculture sector में हम कई चीजों पर सोच सकते हैं।

CSIR ने Health Sector के लिए काफी कुछ अच्‍छा किया है। लेकिन हमारे देश में लोगों को आज भी टीबी, मलेरिया, चिकनगुनिया, डेंगू ऐसी बीमारियों का सामना करना पड़ रहा है। CSIR इन बीमारियों से कैसे राहत दिला सकता है। इस पर समयबद्ध लक्ष्‍य के साथ research किये जाने की आवश्‍यकता है। जैसे कि क्‍या हम diagnostic kits develop करे, जो cost effective हो और बीमारियों की जल्‍दी जांच में सहायता करे। क्‍योंकि आज Health Sector ज्‍यादातर technology driven हो चुका है। डॉक्‍टर ज्‍यादा जांच नहीं करता, ज्‍यादा मशीन जांच करता है। आपके भीतर क्‍या कमी, क्‍या तकलीफ है वो मशीन तय करता है। डॉक्‍टर एक सॉफ्टवेयर की तरह फिर उसमें से निकालता है यह तो यह देना, अब यह देना, वो बाद में देना, यह स्थिति आ गई है। जब technology driven पूरा medical science हो गया है। तो मैं समझता हूं कि आपके लिए बहुत बड़ी opportunity है। सिर्फ दवाईयां नहीं, यह kit की जो मेरी कल्‍पना है, वो हम जितनी ज्‍यादा.. गांव के अंदर भी एक ASHA worker के पास kit होगी वो तय कर सकती है कि ये कठिनाईयां हैं और इसके लिए ये किया जा सकता है और वो technologically इतना well-connected हो कि हम epidemic को भी तुरंत जांच सकते हैं। संभावनाओं को हम देख सकते हैं। और यह आज के युग में सबकुछ संभव है। मैं आशा करता हूं कि हम एक mass-scale पर चीजों को address करने की दिशा में अनुसंधान के नये क्षेत्रों की ओर जा सकते हैं क्‍या? और हमारे नौजवानों को हम चुनौती दे, अवसर दे, वे कुछ करके दिखाएंगे यह मेरा विश्‍वास है।

और हम यह भी जानते हैं कि गरीब को बीमारी का सबसे बड़ा कारण है तो गंदगी है। अब मैं यह आपको तो नहीं कहता हूं कि आप गंदगी साफ करने जा‍इये। लेकिन टेक्‍नोलॉजी के द्वारा हम disposal के संबंध में नये अनुसंधान करके affordable technology develop कर सकते हैं। कोई बहुत बड़ा रॉकेट साइंस नहीं होगा। लेकिन जो नये-नये star-up है यह इतना बड़ा व्‍यवसाय की संभावना है कि हम Waste management, Waste to wealth creation इन सारी चीजों में हम technology intervention जितना ज्‍यादा देंगे, तो गंदगी को भी लोग एक व्‍यापार में बदल सकते हैं और स्‍वच्‍छता अपने आप आ सकती है जो देश के health sector को बहुत बड़ी मदद कर सकती है। Even nutrition के issue को भी गंदगी से मुक्ति से, हम address कर सकते है। अगर गंदगी से मुक्ति होती है, तो हम पेयजल में शुद्धता को भी बल दे सकते हैं। और पेय जल की शुद्धता drinking water में अगर शुद्धता है, तो कई बीमारियों से मुक्ति का मार्ग बन जाती है। यह सारी चीजें ऐसी हैं जो सिर्फ medical science तक limited नहीं है। वैज्ञानिक जगत के intervention की आवश्‍यकता है। ऐसा नहीं है कि दुनिया में technology नहीं है। भारत को affordable technology के लिए आपको intervention चाहिए।

हमारे उपलब्‍ध संसाधनों के आधार पर technology develop हो यह हमारी आवश्‍यकता है। और उन आवश्‍यकताओं की पूर्ति के लिए.. कभी-कभार क्‍या होता है कि हमारे मन में ख्‍याल आया कि हम खोज करते रहते हैं उसका उपयोग 50 साल 100 साल के बाद होगा। हमारे सामने जो समस्‍याएं हैं उन समस्‍याओं को ध्‍यान में रख करके हम विज्ञान को ले जाएं, मैं समझता हूं भारत जैसे देश के लिए वो पहली आवश्‍यकता है। और अगर इन आवश्‍यकताओं में सफलता मिलेगी। वो सफलता अपने आप में आपको global level की आवश्‍यकता या नये युग की आवश्‍यकताओं के साथ research करने की ताकत दे सकती है।

CSIR water security पर भी काफी कार्य किया है। लेकिन अपने water resources को economically, efficiently और effectively प्रयोग करने की दिशा में प्रयास और तेज किए जाने की आवश्‍यकता है। हम जानते हैं कि पानी के संकट की चर्चा बहुत होती है। हर कोई लिखता है युद्ध की संभावनाएं पानी से सटी हुई है। अब वो जिसको लिखना है लिखते रहेंगे। लेकिन जो lab में बैठा है उसको तो समाधान खोजना होता है कि हम कैसे इस पानी के संचय को, पानी के सिंचन की ओर ध्‍यान दे। अब आज हम कोशिश कर रहे हैं। कृषि क्षेत्र में हमारा प्रयास है। ‘per drop more crop’ और अब तो मैं यह भी कहता हूं भारत जैसे देश में जहां जमीन का महत्‍व बढ़ता चला गया है। और इसलिए पानी और जमीन दोनों को ध्‍यान में रखते हुए ‘per drop more crop’ है साथ-साथ ‘an inch of land and bunch of crop’ यह जबतक कि मिशन हम लेकर नहीं चलेंगे तो हम पानी के उपयोग का भी महत्‍व नहीं समझेंगे, जमीन के उपयोग का भी महत्‍व नहीं समझेंगे।

नदी जल प्रदूषण बहुत बड़ी समस्‍या के रूप में हमारे सामने है। गंगा की सफाई का काम कई वर्षों से चल रहा है। कई सरकारें आ करके गई। हमने वैज्ञानिक तरीके ही ढूंढने होंगे। जन सामान्‍य को प्रशिक्षित करना और वैज्ञानिक मार्ग खोजने यही चीजें हैं जो हमारी समस्‍याओं का समाधान दे सकती है। आम नागरिक की एक आवश्‍यकता.. अब हम देखिए आज के युग में हिंदुस्‍तान में जितनी जनसंख्‍या है उससे ज्‍यादा मोबाइल फोन है, लेकिन बेटरी की आयु यह उसके लिए tension का विषय है। उसको बेटरी recharge कराने के लिए बेचारे गांव के आदमियों को दूसरे गांव जाना पड़ता है और बेटरी जार्च होने के लिए वहां खड़ा होना पड़ता है जरा बेटरी जार्च कर दो। smart phone की बेटरी को लेकर एक परेशानी महसूस हो रही है। और ज्‍यादा उपयोग करते हैं वो तो बेटरी बैंक साथ ले करके घूमते हैं। क्‍या हमारे वैज्ञानिक इसका solution नहीं दे सकते क्‍या? और कितना बड़ा मार्केट है आप कल्‍पना कीजिए। और मैं नहीं मानता हूं कि जो विज्ञान छोटे level पर apply हुआ है वो बड़ी ताकत के रूप में कोई enlarge न हो ऐसा नहीं हो सकता। मैं scientist नहीं हूं लेकिन इतना तो मैं समझ सकता हूं कि आप कर सकते हैं। अगर आप इन चीजों को priority दे, तो उसको commercial value भी बहुत है। requirement बन चुकी है।

आज आप देखिए sports खेल जगत जिस प्रकार से उसने रूप लिया है। वो सिर्फ खेल के मैदान का विषय नहीं रहा। अभी मैं वहां पर आपके प्रदर्शनी में कुछ चीजें रखी थी। उन्‍होंने मुझे बताया कि leather की चीजें हम कैसे बनाते हैं। मैंने उनको सवाल पूछा कि क्‍या कोई आपके यहां research हो रही है कि किस प्रकार के sport के लिए किस प्रकार के जूते चाहिए, किस प्रकार के costume चाहिए। इस पर कोई रिसर्च हुआ है क्‍या, जो उसके physical fitness में plus करता हो, comfort में plus करता हो। अभी आपने आप मं बहुत बड़ा रिचर्स हो रहा है दुनिया में। क्‍या हम इस प्रकार की चीजें, इतना ही नहीं खिलाड़ी के पास अच्‍छे साधन हो, खिलाड़ी के पास अच्‍छे मैदान हो, अच्‍छा कोच हो उससे ही वो खेल जगत में सिद्धियां प्राप्‍त नहीं करता है। खेल जगत के development के लिए मान्‍य हुआ है कि एक scientific environment required होता है। उसको psychology से ले करके comfort तक की हर चीज की व्‍यवस्‍था करनी पड़ती है।

क्‍या भारत का वैज्ञानिक जगत, हमारे जो sport field के लोग उनके लिए उनके लिए एक बहुत बड़े व्‍यवसायिक क्षेत्र की संभावनाएं मैं देख रहा हूं sports में। हम उसके लिए कोई research की चीजें एक वैज्ञानिक environment क्‍या हो। अब space science में आप देखते है जितना space में जाने वाले लोगों की चिंता होती है उतनी space के लोगों के लिए scientific environment पर उनकी ट्रेनिंग होती है तब जा करके उनको भेजा जाता है। sport की दुनिया भी उसी प्रकार की है। क्‍या हम उस environment के parameter तय कर सकते हैं, उसके लिए उस तरह की व्‍यवस्‍था विकसित कर सकते हैं। कहने का हमारा तात्‍पर्य यह है हम हम विज्ञान के क्षेत्र को इतना सामान्‍य मानव से जोड़े। क्‍योंकि 21वीं सदी एक technology driven सदी है। अगर पूरी शताब्‍दी technology driven होगी तो हम इस प्रकार के नये अनुसंधान को 21वीं सदी की आवश्‍यकता और भारत जैसे देश की आवश्‍यकता के साथ जोड़ सकते हैं क्या?

हमारी पारंपरिक समझ और ज्ञान को हम modern system में जोड़ सके तो भी कई समस्‍याओं का हल निकल सकता है। योग हो, आयुर्वेद हो आज पूरी दुनिया में उसकी चर्चा है। लेकिन उसका वैज्ञानिक रूप नहीं पहुंच पा रहा है। क्‍या हम उस दिशा में काम कर सकते हैं।

और आज इस अवसर पर वैज्ञानिकों को national Award देकर भी सम्‍मानित किया जा रहा है। जिन वैज्ञानिकों को यह सम्‍मान प्राप्‍त हो रहा है। उनको मैं बहुत बहुत बधाई देता हूं। जिनमें 2012-15 का शांति स्‍वरूप भटनागर पुरस्‍कार है, 2012-14 का CSIR diamond technology jubilee Award है, ग्रामीण विकास में science and technology innovations के लिए CSIR का Award है, 2016 का CSIR technology Award है, 2016 का जी एन रामचंद्रन gold medal है, 2016 का CSIR young scientist Award दिया जा रहा है। यह सम्‍मान, यह Award न सिर्फ वैज्ञानिकों के लिए हैं, बल्कि उनके परिवार उनके मित्रों विशेष करके उनके शिक्षकों के लिए भी है। ऐसे शिक्षक जिन्‍होंने बचपन से ही उन्‍हें विज्ञान एवं अनुसंधान-अविष्‍कार के लिए प्रेरित किया।

देश को आज आप सभी पर गर्व है। मुझे उम्‍मीद है कि इस सफर पर आप एक नये उमंग और हौसले के साथ, और मजबूती के साथ आगे बढ़ेंगे। यह अवार्ड आपके अलावा दूसरों को भी देश के विकास के लिए आवश्‍यक नये अनुसंधान, नये अविष्‍कार की प्रेरणा देगा। स्‍कूल, कॉलेज और यूनिवर्सिटियों में पढ़ने वाले नौजवान आप आपको role model की तरह देखते हैं। इस अवसर पर मैं आप सभी से अपेक्षा करता हूं कि आप नौजवान पीढ़ी का मार्गदर्शन करने की अपनी जिम्‍मेदारी भी बखूबी निभाएं। CSIR से जुड़े देश के प्रतिष्‍ठित संस्‍थानों में काम कर रहे वैज्ञानिकों को स्‍कूल कॉलेज में पढ़ने वाले छात्रों के साथ अपना सम्‍पर्क बढ़ाना चाहिए। क्‍या संभव है कि महीने में कम से कम एक बार हर वैज्ञानिक कोई न कोई कॉलेज या यूनिवर्सिटी में लेक्‍चर देने के लिए जाए। उनसे विचार-विमर्श करे, नई पीढ़ी से चर्चा करे। क्‍या संभव है कि आज जिन-जिन महानुभावों को Award मिला है वो एक स्‍कूल या कॉलेज को mentor के रूप में adopt करके। अगर वो एक स्‍कूल या कॉलेज में सिर्फ पाँच छात्रों को भी mentor के लिए पसंद करके उनके पीछे थोड़ा समय दें, तो देश में तीन सौ नये वैज्ञानिकों को उभरने की संभावना खड़ी होती है। तो जिस प्रकार से देश को आप एक नया आविष्‍कार भेंट करे और पीढि़यों का भला कर सकते हैं, वैसे आप अगर देश को एक या दो scientist भी भेंट करे तो शायद सदियों का बड़ा काम करके जाएंगे।

मैं फिर एक बार आप सबको बहुत-बहुत शुभकामनाएं देता हूं। पचहत्‍तरवीं वर्षगांठ की इस महत्‍वूर्ण घटना आने वाले 2022 के लिए.. आप भी तय कीजिए 2022 जब देश की आजादी के 75 साल पूर होंगे, हम देश के लिए वैज्ञानिक दृष्टि से यह चीजें देकर रहेंगे, समय सीमा में देकर रहेंगे, देश की आवश्‍यकताओं की पूर्ति करेंगे। इसी एक संकल्‍प के साथ हम इस 75 वर्ष की यात्रा और आने वाले 25 साल के सपनों को ले करके आगे बढ़े इसी एक अपेक्षा के साथ आप सबको मेरी बहुत बहुत शुभकामनाएं। धन्‍यवाद।

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