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कोविन वैश्विक सम्मेलन 2021 में प्रधानमंत्री के संबोधन का मूल पाठ

देश-विदेश

मुझे खुशी है कि कोविन वैश्विक सम्मेलन के लिए विभिन्न देशों के विशेषज्ञ इतनी बड़ी संख्या में हमारे साथ शामिल हुए हैं। सबसे पहले मैं विश्व के सभी देशों में कोविड महामारी से मारे गए लोगों के प्रति अपनी गहरी संवेदनाएं व्यक्त करता हूं। पिछले 100 वर्षों में इस प्रकार की महामारी का कोई उदाहरण नहीं मिलता है। अनुभव से पता चलता है कि कोई भी राष्ट्र, चाहे वह कितना भी शक्तिशाली क्यों न हो, इस तरह की चुनौती को अकेला हल नहीं कर सकता है। कोविड-19 महामारी से सबसे बड़ा यह सबक मिलता है कि हमें मानवता और मानव हित के लिए मिलकर काम करना है और साथ-साथ ही आगे बढ़ना है। हमें एक-दूसरे से सीखना होगा और अपनी सर्वोत्तम प्रथाओं के बारे में एक-दूसरे का मार्गदर्शन भी करना होगा। इस महामारी की शुरुआत से ही भारत इस लड़ाई में अपने सभी अनुभवों, विशेषज्ञता और संसाधनों को वैश्विक समुदाय के साथ साझा करने के लिए प्रतिबद्ध रहा है और हमने तमाम बाधाओं के बावजूद इन अनुभवों को दुनिया के साथ ज्यादा से ज्यादा साझा करने की कोशिश भी की है। हम वैश्विक प्रथाओं से सीखने के लिए भी उत्सुक रहते हैं।

प्रौद्योगिकी कोविड-19 के खिलाफ हमारी लड़ाई का अभिन्न अंग है। सौभाग्य से सॉफ्टवेयर एक ऐसा क्षेत्र है, जिसमें संसाधनों की कोई कमी नहीं है। इसलिए हमने प्रौद्योगिकीय रूप से समर्थ होते ही अपने कोविड ट्रैकिंग और ट्रेसिंग ऐप को खुला संसाधन बना दिया है। लगभग 200 मिलियन उपयोगकर्ताओं के साथ यह ‘आरोग्य सेतु’ ऐप डेवलपर्स के लिए आसानी से उपलब्ध पैकेज है। भारत में उपयोग होने के बाद आप यह सुनिश्चित कर सकते हैं कि गति और पैमाने के लिए वास्तविक दुनिया में इसका परीक्षण किया गया है।

इस महामारी से सफलतापूर्वक उभरने के लिए टीकाकरण मानवता के लिए सबसे अच्छी उम्मीद है। शुरुआत से ही हमने भारत में अपनी टीकाकरण की रणनीति की योजना बनाते समय पूरी तरह से डिजिटल दृष्टिकोण अपनाने का निर्णय लिया था। आज की वैश्विक दुनिया में अगर महामारी के बाद की दुनिया में हमें सामान्य स्थिति में लौटना है, तो ऐसा डिजिटल दृष्टिकोण अपनाना आवश्यक है। आखिरकार, लोगों को यह सिद्ध करने में सक्षम होना चाहिए कि उन्हें टीका लगाया गया है। ऐसा प्रमाण सुरक्षित और भरोसेमंद होना चाहिए। लोगों के पास यह भी रिकॉर्ड होना चाहिए कि उन्हें कब, कहां और किसके द्वारा टीका लगाया गया है। यह देखते हुए कि टीके की प्रत्येक खुराक कितनी मूल्यवान है, सरकारें यह सुनिश्चित करने के लिए चिंतित हैं कि प्रत्येक खुराक पर नज़र रखी जाए और वैक्सीन की कम से कम बर्बादी हो। लेकिन ऐसा पूर्ण रूप से डिजिटल दृष्टिकोण के बिना संभव नहीं है।

भारतीय सभ्यता पूरे विश्व को एक परिवार मानती है। इस महामारी ने अनेक लोगों को इस दर्शन के मौलिक सत्य से अवगत भी कराया है। इसलिए कोविड टीकाकरण के लिए हमारे प्रौद्योगिकी मंच- जिसे हम कोविन कहते हैं उसे खुला साधन बनाने के लिए तैयार किया जा रहा है। जल्दी ही  यह सभी देशों के लिए उपलब्ध होगा। आज का यह सम्मेलन आप सब को इस मंच से अवगत कराने की दिशा में पहला कदम है। यह ऐसा मंच है, जिसके द्वारा भारत ने कोविड वैक्सीन की 350 मिलियन खुराक दी हैं। कुछ दिन पहले हमने एक दिन में करीब 90 लाख लोगों को टीके लगाए थे। उन्हें कुछ भी साबित करने के लिए कागज का टुकड़ा ले जाने की भी जरूरत नहीं है, क्योंकि यह सब डिजिटल फॉर्मेट में उपलब्ध है। लेकिन सबसे अच्छी बात यह है कि सॉफ्टवेयर को किसी भी देश में उनकी स्थानीय आवश्यकताओं के अनुसार अनुकूलित किया जा सकता है। आज आप कॉन्क्लेव में तकनीकी विवरणों के बारे में बहुत कुछ जानेंगे। मुझे यकीन है कि आप शुरू करने के इच्छुक हैं। सबसे अच्छी बात यह है कि सॉफ्टवेय़र को किसी भी देश की स्थानीय जरूरतों के अनुकूल बनाया जा सकता है।

आज इस सम्मेलन में आपको तकनीकी विवरणों के बारे में बहुत कुछ जानने का मौका मिलेगा। मुझे विश्वास है कि आप सम्मेलन शुरू करने के उत्सुक हैं। और मैं आपको प्रतीक्षा नहीं कराना चाहता हूं। इसलिए मैं आप सबको एक बहुत ही उपयोगी चर्चा की शुभकामनाएं देते हुए अपनी बात समाप्त करता हूं। ‘एक पृथ्वी, एक स्वास्थ्य’ के दृष्टिकोण से निर्देशित होकर ही मानवता निश्चित रूप से इस महामारी पर विजय प्राप्त करेगी।

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