27 C
Lucknow
Online Latest News Hindi News , Bollywood News

जल्द ही ब्रांड के रूप में स्थापित होगी उत्तराखंड की चाय

उत्तराखंड

देहरादून: कोशिशें रंग लाई तो हिमालयी राज्य उत्तराखंड की चाय को उसका स्वर्णिम दौर फिर से हासिल हो सकेगा। इसके लिए राज्य सरकार ने चाय की खेती को विशेष तवज्जो देने के साथ ही यहां की चाय को ब्रांड के रूप में स्थापित करने का निश्चय किया है। गुणवत्ता को और बेहतर बनाने के लिए जहां प्रमुख चाय उत्पादक असोम सहित अन्य राज्यों के विशेषज्ञों की मदद ली जाएगी, वहीं इसके उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए बड़े स्तर पर प्रयास किए जाएंगे।

चाय उत्पादन के लिए हर लिहाज से उत्तराखंड की वादियां असोम व हिमाचल से कमतर नहीं हैं। स्वाद और गुणवत्ता में भी यहां की चाय बेहतर मानी गई है। इतिहास पर रोशनी डाले तों अंग्रेजी शासनकाल में उत्तराखंड में भी चाय की खेती के प्रयास हुए। वर्ष 1835 में अंग्रेजों ने कोलकाता से चाय के 2000 पौधों की खेप उत्तराखंड भेजी। धीरे-धीरे बड़े क्षेत्र में पसर गई।

1838 में पहली मर्तबा जब यहां उत्पादित चाय कोलकाता भेजी गई तो कोलकाता चैंबर्स आफ कॉमर्स ने इसे सभी मानकों पर उत्तम पाया। धीरे-धीरे देहरादून, कौसानी, मल्ला कत्यूर, घोड़ाखाल, नौटी, रुद्रप्रयाग, गैरसैंण समेत अनेक स्थानों पर चाय की खेती होने लगी। तब यहां करीब 11 हेक्टेयर क्षेत्र में चाय की खेती होने लगी थी। आजादी के बाद 1960 के दशक तक चाय उत्पादन में जरूर कमी आई, मगर यहां की चाय देश-दुनिया में महक बिखेरती रही।

वक्त के करवट बदलने के साथ ही तमाम कारणों से यहां चाय की खेती सिमटती चली गई। अविभाजित उत्तर प्रदेश में 1990 के दशक में हुए प्रयासों की बदौलत इसे कुछ संबल मिला। उत्तराखंड बनने पर 2002-03 में चाय विकास बोर्ड अस्तित्व में आया, लेकिन वर्तमान में आठ जिलों अल्मोड़ा, बागेश्वर, नैनीताल, चंपावत, पिथौरागढ़, चमोली, रुद्रप्रयाग और पौड़ी में केवल 1141 हेक्टेयर क्षेत्र में ही सरकारी स्तर से चाय की खेती हो रही है और उत्पादन है करीब 80 हजार किग्रा।

अभी भी करीब 7800 हेक्टेयर क्षेत्र ऐसा है, जो चाय की खेती के लिए उत्तम है। इसे देखते हुए सरकार ने इस भूमि में चाय बागानों को फिर से आबाद करने की ठानी है। उत्तराखंड चाय विकास बोर्ड इस दिशा में कोशिशों में जुटा है। साथ ही सरकार का प्रयास है कि किसानों की आय दोगुनी करने के मद्देनजर चाय की खेती को बढ़ावा देने के साथ ही देश-दुनिया में यहां की चाय को ब्रांड के रूप में स्थापित किया जाए। चाय की गुणवत्ता में और अधिक सुधार के मद्देनजर असोम समेत अन्य चाय उत्पादक राज्यों के विशेषज्ञों की मदद ली जाएगी। इसका खाका तैयार हो चुका है।

कृषि एवं उद्यान मंत्री सुबोध उनियाल ने बताया कि सरकार की कोशिश है कि उत्तराखंड की चाय को उसके स्वर्णिम दौर की ओर ले जाया जाए। हमारे पास हजारों एकड़ भूमि है, जिसमें हम चाय की खेती करने जा रहे हैं। देश-दुनिया में उत्तराखंड की चाय को ब्रांड के रूप में स्थापित करने की दिशा में कार्य चल रहा है। खेती और गुणवत्ता के मद्देनजर कंसलटेंट रखने की कवायद चल रही है। आने वाले दिनों में इसके सार्थक नतीजे सामने आएंगे। jagran

Related posts

This website uses cookies to improve your experience. We'll assume you're ok with this, but you can opt-out if you wish. Accept Read More