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स्टेकहाॅल्डर्स की राष्ट्रस्तरीय बैठक का दीप प्रज्जवलित कर शुभारम्भ करते मुख्यमंत्री एवं केन्द्रिय मंत्री उमा भारती एवं अन्य मंत्रीगण

उत्तराखंड
देहरादून: गंगा को स्वच्छ व निर्मल बनाने के लिए गंगा मिशन की शुरूआत गंगा के उद्गम स्थल उत्तराखण्ड से प्रारम्भ करना होगा। परंतु यह तभी सम्भव है जब कि यहां के जलस्त्रोत, जैव विविधता व खेती का संरक्षण हो। एफआरआई में गंगा के लिए वानिकी प्रयासों की डीपीआर तैयार करने के लिए स्टेकहाॅल्डर्स की राष्ट्रस्तरीय बैठक में बतौर मुख्य अतिथि बोलते हुए मुख्यमंत्री हरीश रावत ने चीड़, जंगली सूअर व नदियों के तल में जमा होती जा रही सिल्ट को उत्तराखण्ड में जैव विविधता, खेती व प्राकृतिक जल स्त्रोतों केे तीन दुश्मन बताया। गंगा मिशन में स्थानीय लोगों की भागीदारी सुनिश्चित करनी होगी।

      मुख्यमंत्री श्री रावत ने कहा कि गंगा हिमालय की बेटी है। हम उत्तराखण्डवासियों का दायित्व है कि गंगा को उसके पूर्ण गुणों के साथ उसके कर्मक्षेत्र में विदा करें। गंगा मिशन के तहत राज्य सरकार केंद्र सरकार का पूरा सहयोग करेगी। अपने संसाधनों से हम जितना कर सकते थे उतना कर रहे हैं। गंगा का पुनरूद्धार तभी सम्भव है जबकि हिमालय क्षेत्र के वनों, वृक्षों, जलस्त्रोतों व खेती का पुनरूद्धार किया जाए। उत्तराखण्ड पहला राज्य है जिसने अपने स्तर से इसकी शुरूआत भी कर दी है। हमने पेड़ लगाने पर 300 रूपए बोनस दिए जाने की योजना प्रारम्भ की है। इसी प्रकार जलाशयों के संरक्षण पर भी वाटर बोनस दे रहे हैं। पर्वतीय खेती को बचाने के लिए किसान पेंशन भी दे रहे हैं।
      मुख्यमंत्री ने कहा कि पानी से बड़ा सफाईकर्ता कोई नहीं है। हमने 10 लाख चाल-खाल बनाने का लक्ष्य रखा है। अगले तीन साल में सभी मृतप्रायः जलस्त्रोतों को पुनर्जीवित किया जाएगा। राज्य सरकार 350 करोड़ रूपए ऐसे बोनस व प्रोत्साहन राशियों पर खर्च कर रही है। मुख्यमंत्री ने कहा कि गंगा के पुनरूद्धार में उत्तराखण्ड महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। परंतु राज्य के सीमित संसाधनों को देखते हुए केंद्र सरकार को भी पर्याप्त वित्तीय सहायता देनी होगी। चीड़, जंगली सूअर व नदियों में जमा होती जा रही सिल्ट जैव विविधता के दुश्मन हैं। चीड़ के पेड़ वनाग्नि को बढ़ाते हें। रिजर्व फोरेस्ट में स्थानीय प्रजाति के चैड़ी पत्ती के पेड़ों से चीड़ के पेड़ों को प्रतिस्थापित किया जाए। वनों के संरक्षण में वन पंचायतों की भूमिका बढ़ाई जानी चाहिए। जंगली सूअर न केवल पर्वतीय खेती को नुकसान पहुंचा रहे हैं बल्कि उनकी बीमारियों से जंगली खरगोश, हिरन व अन्य छोटे जानवरों के लिए भी खतरा हो रहा है। नदियों में निरंतर जमा होती जा रही सिल्ट से नदियों का तल ऊंचा होता जा रहा है। इससे बाढ़ का पानी आसपास के क्षेत्रों में भी फैलता है। इससे वनों को भी नुकसान होता है।
      मुख्यमंत्री श्री रावत ने कहा कि वन व आयुष के साथ ही चारागाह विकास को भी कार्यक्रम का अभिन्न हिस्सा बनाया जाना चाहिए। उन्होंने केंद्रीय मंत्री से आग्रह किया कि वेस्ट ट्रीटमेंट प्लांट के लिए राज्य सरकार द्वारा केंद्र में भेजे गए प्रस्तावों को स्वीकृत करवाया जाए। स्वच्छ भारत के तहत दो जिलों को पूर्ण निर्मल बनाने का राज्य सरकार द्वारा निर्णय लिया गया है। अगले चार वर्षों में पूरे राज्य को निर्मल बनाने का लक्ष्य रखा गया है। परंतु स्वच्छ भारत अभियान में केंद्रीय सहायता कम कर दी गई है।
      केंद्रीय मंत्री जल संसाधन, नदी विकास तथा गंगा पुनरूद्धार सुश्री उमा भारती ने कहा कि नमामि गंगा अभियान के तहत उत्तराखण्ड में नदी के किनारे औषधीय पौधों के प्रोसेसिंग हब विकसित किए जाएंगे। उन्होंने कहा कि प्रकृति व पर्यावरण के बचने पर ही विकास सम्भव है। नदियों में जमा होती जा रही सिल्ट बर्बादी का कारण बन गई है। उत्तराखण्ड के साथ ही बिहार व झारखण्ड में यह समस्या गम्भीरता के साथ देखने को मिल रही है। सुश्री उमा भारती ने कहा कि दिल्ली में बैठकर योजनाएं बनाने वाले अधिकारियों की मंशा व दूरदराज के गांवों में रह रहे लोगों की जिंदगी में मेल होना चाहिए। उन्होंने कहा कि नमामि गंगा के तहत स्थानीय युवाओं को औषधीय पौधे लगाने का काम मिलेगा। इसके लिए इनके स्किल डेवलपमेंट की आवश्यकता है। इको टास्क फोर्स भी बनाए जाएंगे। नमामि गंगा अभियान के क्रियान्वयन व माॅनिटरिंग के लिए तीन स्तरीय योजना बनाई गई है। जिला स्तर पर डीएम, राज्य स्तर पर मुख्य सचिव व केंद्र स्तर पर केंबिनेट सेक्रेटरी समन्वय करेंगे। नमामि गंगा को रोटी व रोजगार से जोड़ा गया है। उन्होंने कहा कि 3 वर्षों में योजना का परिणाम दिखना प्रारम्भ हो जाएगा।
      केंद्रीय वन एवं पर्यावरण, जलवायु परिवर्तन मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि मानव सभ्यता नदियों के किनारे विकसित हुई है। मानव सभ्यता बचाने के लिए नदियों को बचाना जरूरी है। सोलिड वेस्ट, प्लास्टिक वेस्ट, ई वेस्ट व बायो मेडिकल वेस्ट के निस्तारण पर विशेष ध्यान दिए जाने की आवश्यकता है। नदियो को बचाने के लिए सोलिड वेस्ट मेनेजमेंट को सर्वोच्च प्राथमिकता देनी होगी। गंगा के लिए जंगलों का रहना जरूरी है। अब  पांच हजार से अधिक आबादी वाली पंचायतों को भी सोलिड वेस्ट का निस्तारण सुनिश्चित करना होगा। गंगा संरक्षण हम सभी का मिशन है। इसके लिए इकोलोजी को भी मजबूत करना हेागा।
केंद्रीय मंत्री आयुष श्रीपद नायक ने कहा कि गंगा की कहानी भारतीय सभ्यता की कहानी है। नमामि गंगा में औषधीय पौधों की खेती को बढ़ावा दिया जाएगा। इसके लिए उत्तर प्रदेश में 16 करोड़ 17 लाख रूपए, उत्तराखण्ड के लिए 9 करोड़ 97 लाख रूपए व पश्चिम बंगाल के लिए 3 करोड़ 50 लाख रूपए का प्राविधान किया गया है। केंद्रीय मंत्री खेल व युवा कल्याण सर्बानंद सोनोवाल ने राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन को युवा कल्याण मंत्रालय की ओर से पूरे सहयोग के प्रति आश्वस्त किया। उत्तराखण्ड के वन मंत्री दिनेश अग्रवाल ने भी कार्यक्रम को सम्बोधित किया।
बताया गया कि स्वच्छ गंगा मिशन के तहत पांच राज्यों के 118 शहरों को शामिल किया गया है। इसमें 14 एग्रो-क्लाईमेट, 45 फोरेस्ट डिविजन व 26 जिले हैं। दूसरे चरण में गंगा बेसिन के 11 राज्य शामिल किये जाऐंगे। गंगा इको टास्क फोर्स गठित की जाएंगी। 6 से आठ माह में विस्तृत परियोजना रिपोर्ट तैयार कर दी जाएगी। इसके तहत बायो फिल्टर्स के विकास पर बल दिया जाएगा। इसमें स्थानीय लोगों की सहभागिता सुनिश्चित की जाएगी। इको टूरिज्म, औषधीय पौधों के रोपण सहित आय सृजन की गतिविधियां विकसित की जाएंगी।
कार्यक्रम में जलसंसाधन मंत्रालय में अपर सचिव डा. अमरजीत सिंह, वन एवं पर्यावरण मंत्रालय के अपर महानिदेशक डा.एसएस नेगी, संयुक्त सचिव टीवीएसएन प्रसाद, डीजी आईसीएफआरई डा. अश्विनी कुमार, एफआईआई की निदेशक डा.सविता, सहित तमाम स्टेकहाल्डर्स मौजूद थे।

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