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राज्य सूचना आयुक्त ने प्रमुख सचिव लघु उद्योग को दिए मामले की जांच के आदेश

उत्तर प्रदेश
लखनऊ: छोटे उद्योग को बढ़ावा देने के लिए संचालित की जा रही क्लस्टर योजना भी जालसाजों का शिकार हो गई। इसका खुलासा संभल जिले में राज्य सूचना आयोग द्वारा कराई गई जांच से हुआ।

सूचना आयुक्त श्री हाफिज उस्मान ने इस  पूरे प्रकरण की जांच के लिए उद्योग विभाग के संयुक्त आयुक्त को आदेश दिया था कि प्रकरण की जांच करते हुए संबंधित अभिलेखों के साथ आयोग को अपनी रिपोर्ट पेश करें। उद्योग विभाग के संयुक्त आयुक्त की जांच से पता चला है कि जिले में क्लस्टर योजना के तहत जिन 144 यूनिटों के नाम पर 10 करोड़ रुपये का प्रस्ताव तैयार कर केन्द्र को भेजा गया था, उसमें 114 यूनिटें फर्जी है।
सूचना आयुक्त श्री हाफिज उस्मान की जांच के आदेश के बाद जिला उद्योग विभाग, मुरादाबाद से केन्द्र को जो प्रस्ताव भेजा गया था जिला उद्योग विभाग, मुरादाबाद को वापस लेना पड़ा है। आयोग ने इसे गंभीरता से लेते हुए ऐसी फर्जी यूनिटों पर प्रस्ताव पास करने वाले, उद्योग से जुड़े हुए अधिकारियों/कर्मचारियों व पूरे प्रकरण की जांच के लिए प्रमुख सचिव, उद्योग, उ0प्र0 शासन को आदेश दिया है कि जांच करने के बाद  30 दिन के अन्दर अपनी रिपोर्ट आयोग में पेश करें।
सूचना न मिलने पर वादी प्रार्थी साद उस्मानी ने राज्य सूचना आयोग में अपील की है जिस पर राज्य सूचना आयुक्त श्री हाफिज उस्मान ने जांच संयुक्त आयुक्त, उद्योग विभाग, मुरादाबाद मण्डल, मुरादाबाद को सौंपी। संयुक्त आयुक्त की जांच से पता चला कि 144 यूनिटों में से 114 फर्जी है। सिर्फ 09 यूनिट ही कार्यरत पाई गई। इनमें से 04 यूनिटें ऐसे लोगों के नाम निकली, जिनकी कई साल पहले ही मौत हो चुकी है, बाकी 17 यूनिटों जिन नामों पर थी, वह उनके मालिक नहीं बल्कि वहां के कारीगर पाये गए हैं।
वर्ष 2013 में संभल में जींस क्लस्टर बनाने के लिए 10 करोड़  रुपये का प्रस्ताव संयुक्त निदेशक, उद्योग विभाग, मुरादाबाद की ओर से केन्द्र को भेजा गया था। यह प्रस्ताव भारतल सिरसी, मुरादाबाद स्थित प्रयास जन सेवा समिति नामक एनजीओ की तरफ से था। इसमें कहा गया था कि  इस क्लस्टर में रेडीमेट गार्मेंटस की लघु इकाइयों की स्थापना होनी है। 144 यूनिटों की सूची भी साथ भेजी गई थी। इस प्रस्ताव को लेकर मुरादाबाद निवासी आर0टी0आई0 कार्यकर्ता ने महा-प्रबंधक, जिला उद्योग केन्द्र, मुरादाबाद/संभल से सूचना का अधिकार कानून के तहत जानकारी मांगी। उन्होंने इन यूनिटों के नाम, पते, उनके भौतिक सत्यापन से संबंधित जानकारी मांगी थी, लेकिन नहीं मिली, तब जाकर वादी नेे सूचना आयोग में अपील की जिस पर यह कार्रवाई की गई है।

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