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राज्य सरकारों को आकांक्षी जिलों में शिक्षा परियोजनाओं/योजनाओं के त्वरित क्रियान्वयन में महत्वपूर्ण भूमिका निभानी होगीः प्रकाश जावड़ेकर

देश-विदेश

नई दिल्ली: प्रकाश जावड़ेकर ने आज सभी राज्यों से अनुरोध किया कि वे बराबरी, सुगम्यता एवं उत्कृष्टता के लक्ष्यों को प्राप्त करने से संबंधित प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के विजन के अनुरूप 117 आकांक्षी जिलों में शिक्षा की गुणवत्ता के साथ-साथ शिक्षा से जुड़ी बुनियादी ढांचागत सुविधाओं को भी बेहतर करने के लिए ‘रुसा’ और ‘समग्र शिक्षा’ के तहत विभिन्न विशेष एवं विशिष्ट योजनाओं का त्वरित क्रियान्वयन सुनिश्चित करें।

केंद्रीय शिक्षा मंत्री ने दिल्ली से वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए राज्यों के शिक्षा मंत्रियों और सचिवों को संबोधित करते हुए इस बात पर विशेष जोर दिया कि राज्यों को इन आकांक्षी जिलों में विशेष योजनाओं के त्वरित क्रियान्वयन में महत्वपूर्ण भूमिका निभानी है।

आकांक्षी जिलों में उच्च शैक्षणिक संस्थानों की स्थापना एवं विस्तारीकरण के लिए ‘रुसा’ के तहत उपलब्ध परियोजना-विशिष्ट वित्त पोषण तथा विभिन्न परियोजनाओं का उल्लेख करते हुए श्री जावड़ेकर ने कहा, ‘आकांक्षी जिलों में परियोजनाओं के त्वरित क्रियान्वयन में बहुत कुछ राज्य सरकारों पर ही निर्भर करेगा।’

उन्होंने यह बात रेखांकित कि 70 नए मॉडल कॉलेजों की स्थापना, मौजूदा डिग्री कॉलेजों का अद्यतन करके उन्हें मॉडल डिग्री कॉलेजों में तब्दील करने; नए निर्माण, अद्यतन/पुनरुत्थान एवं उपकरणों की खरीद के जरिए बुनियादी ढांचागत सुविधाओं को मजबूत करने और छात्रावासों, प्रयोगशालाओं एवं पुस्तकालयों के निर्माण/अद्यतन, इत्यादि हेतु अब तक आकांक्षी जिलों के लिए 1700 करोड़ रुपये से भी अधिक की राशि आवंटित की गई है। 29 कॉलेजों को अद्यतन करके उन्हें मॉडल डिग्री कॉलेजों में तब्दील करना, 7 नए प्रोफेशनल कॉलेज (यथा इंजीनियरिंग एवं प्रबंधन), 188 कॉलेजों एवं 9 विश्वविद्यालयों को बुनियादी ढांचागत अनुदान देना भी सहायता राशि में शामिल है।

मंत्री महोदय ने यह भी जानकारी दी कि बराबरी या इक्विटी संबंधी पहलों के तहत महिलाओं, एससी/एसटी और शिक्षा की दृष्टि से पिछड़े समुदायों पर फोकस करते हुए उच्च शिक्षा के मानक को बेहतर करने के उद्देश्य से 5 करोड़ रुपये की राशि का आवंटन किया जा रहा है।

स्कूली शिक्षा का उल्लेख करते हुए श्री जावड़ेकर ने कहा कि छात्राओं के लिए अलग शौचालयों के निर्माण  और उनके रखरखाव के लिए पर्याप्त प्रावधान किया गया है। इसके अलावा पेयजल तथा स्कूलों में स्वच्छता का प्रावधान भी किया गया है। केंद्र सरकार ने सरकारी स्कूलों में शौचालयों के रखरखाव और पीने के साफ पानी की व्यवस्था करने के लिए धनराशि का पहले ही प्रावधान कर दिया है तथा इसके लिए पंचायती राज संस्थाओं को अधिकृत किया गया है। उन्होंने कहा, ‘मैं राज्य सरकारों से आग्रह करता हूं कि वे पंचायती राज स्तर पर उचित समन्वय सुनिश्चित करें।’

उन्होंने राज्य सरकारों से आग्रह किया कि वे सरकारी स्कूलों में बिजली की उपलब्धता सुनिश्चित करें। इस संदर्भ में उन्होंने कहा कि कुछ स्कूलों में बिजली बिलों का भुगतान न होने के कारण उनकी बिजली काट दी जाती है। उन्होंने कहा कि हम लोगों ने समग्र शिक्षा के तहत दिया जाने वाला अनुदान 14000 रुपये से बढ़ाकर 25000 रुपये और 50,000 रुपये से बढ़ाकर 100,000 रुपये कर दिया है। राज्य सुनिश्चित करें की बिजली बिलों का भुगतान समय पर कर दिया जाए। मंत्री महोदय ने राज्य सरकारों से आग्रह किया कि वे बिजली वितरण कंपनियों को इस बात पर राजी करें वे वाणिज्यिक दर के बजाय घरेलू कनेक्शन की दर से बिजली आपूर्ति करें। वे इस बात का ध्यान रखें कि सरकारी स्कूल लाभ कमाने वाले संस्थान नहीं हैं और वे छात्रों को निशुल्क शिक्षा प्रदान करते हैं।

कुछ राज्यों में छात्रों को पाठ्यपुस्तकों के वितरण में विलंब की चर्चा करते हुए श्री जावड़ेकर ने कहा कि राज्य सरकारें सुनिश्चित करें कि जुलाई में ही छात्रों को पाठ्यपुस्तकें उपलब्ध करा दी जाएं।

उन्होंने यह भी कहा, ‘आकांक्षी जिलों के कुछ स्कूलों में अध्यापकों की उपलब्धता की समस्या है परंतु असलियत यह है कि देश में शिक्षकों की कोई कमी नहीं है। समस्या उनकी उचित तैनाती की है। हमारे पास हर 30 छात्रों पर एक शिक्षक उपलब्ध है। राज्य सरकारों को आकांक्षी जिलों के स्कूलों के शिक्षकों की उचित तैनाती सुनिश्चित करनी चाहिए और जहां आवश्यक हो वहां शिक्षकों की भर्ती की जाए।’

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