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ठोस एवं तरल आपशिष्ट प्रबंधन कार्यशाला आरम्भ

उत्तर प्रदेश
लखनऊ: पंचायती राज निदेशालय, उ.प्र., लखनऊ के प्रायोजन से एक राज्य स्तरीय कार्यशाला का आयोजन ठोस एवं तरल आपशिष्ट प्रबंधन – गाइड लाइन्स एवं आई.ई.सी. रणनीति पर उद्यमिता विकास संस्थान, उ.प्र., लखनऊ द्वारा दिनांक 8-10 जुलाई,2015 तक होटल माइराइड, लखनऊ में किया गया।

ठोस एवं तरल अपशिष्ट प्रबंधन – गाइड लाइन्स एवं आई.ई.सी. रणनीति पर राज्य गाइड लाइन्स तैयार करने का उद्देश्य से संस्थान द्वारा विभिन्न स्तरों पर कार्यशालाओं की श्रंृखला आयोजन किया जा रहा है। यह कार्यशाला श्रंृखला इस श्रृंखला की दूसरी कार्यशाला है। जिसमें संस्थान के निदेशक, श्री ए.एस. राठौर, निदेशक, पंचायती राज विभाग, श्री उदयवीर सिंह यादव एवं उप निदेशक, पंचायती राज, श्री एस.एन. सिंह ने अपने विचार व्यक्त किये।
इस कार्यशाला में मुख्य अतिथि के रूप में प्रतिभागियों को सम्बोधित करते हुए श्री उदयवीर सिंह यादव ने कहा कि इस विभाग के समस्त कार्यक्रम स्वच्छता से संबंधित है। स्वच्छता के क्षेत्र में काफी कुछ किए जाने के पश्चात् भी अभी बहुत किया जाना शेष है। श्री यादव ने यह भी कहा कि पंचायती राज निदेशालय द्वारा जो शौचालय बनाये गये हैं उनमें 70 फीसदी ही प्रयोग किये जा रहे हैं।
कार्यशाला में उप निदेशक, पंचायती राज विभाग श्री एस.एन. सिंह ने अपने भाव व्यक्त करते हुए कहा कि मांग और पूर्ति को समझते हुए कार्य करते हैं परन्तु यह कार्य ऐसा है कि जहां से मांग है वहीं से सप्लाई आयेगी यानि ग्रामों/ग्रामवासियों की मांग स्वच्छता की है, तो समाधान भी ग्रामों में ही हैं। उन्होेंने यह भी कहा कि जो प्रोडक्शन हो उसका निस्तारण कैसे हो? गाइइ लाइन्स में सोच का परिवर्तन हो इसके लिए तीन स्तर का ओरिएण्टशन होना चाहिए एवं तीनों में साजंजस्य, डिमाण्ड, सप्लाई टेक्नालाजी एवं स्वीकार्यता को बढ़ाना है। ग्राम पंचायत स्तर पर कम्पोस्ट खाद के गढ्डे का, लिक्विड वेस्ट क कार्य, भौगोलिक परिस्थितियों के अभाव में रखते हुए योजना बने।
संस्थान के निदेशक, श्री ए.एस.राठौर ने कहा कि स्वच्छ भारत मिशन में विभिन्न स्तरों पर सभी की भूमिका है। व्यवहारिक परिवर्तन की आवश्यकता है जिसमें आई.ई.सी. की महत्वपूर्ण भूमिका है। कार्यशाला का उद्देश्य राज्य की गाइड लाइन्स विकसित करना है। अलग-अलग स्थानों पर तौर तरीके अलग-अलग हो सकते हैं। गाइड लाइन्स को तैयार करने में सभी का अनुभव शामिल हो यह भी आवश्यक है। सभी को भावनात्मक पक्ष से जुड़ने की भी आवश्यकता है।
इस कार्यशाला में विभिन्न जनपदों कें 35 प्रतिभागियों ने भाग लिया। कार्यशाला में प्रमुख वक्ता के रूप में श्री वाई.डी. माथुर, कार्यपालक निदेशक, सुलभ इण्टरनेशनल, लखनऊ, श्री जितेन्द्र प्रताप सिंह, निदेशालय, पंचायती राज, उ.प्र., सुश्री ममता चैहान, कार्यक्रम संयोजिका, उद्यमिता विकास संस्थान,उ.प्र., लखनऊ ने ठोस एवं तरल अपशिष्ठ प्रबंधन की गाइड लाइन्स बनाने पर अपने मन्तव्य व्यक्त किये।

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