नई दिल्ली: श्रीपद येसो नाइक ने शिलंग के मावडिंयानडियांग में पूर्वोत्तर आयुर्वेद एवं होम्योपैथी संस्थान (एनईआरएएच) में निर्माण कार्यों के दूसरे चरण की आधारशिला रखी।
10481.53 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में किये जाने वाले इस निर्माण कार्य पर करीब 40.80 करोड़ रुपये की लागत आएगी। संस्थान के इस नये परिसर में छात्रों, डॉक्टरों, कर्मचारियों और अतिथियों के लिए आवास भी होंगे।
श्री नाइक ने कहा कि संस्थान के दूसरे चरण का निर्माण होने से छात्रों, डॉक्टरों और कर्मचारियों की कई बुनियादी जरूरतें पूरी होंगी। उन्होंने 2016 से शुरू हो हुए इस संस्थान के प्रदर्शन पर संतोष जताते हुए कहा कि यह संस्थान ऐसा मानव संसाधन बल तैयार करेगा, जिससे पूर्वोत्तर क्षेत्र की स्वास्थ्य सेवाएं सीधे लाभान्वित होगी। उन्होंने कहा कि इससे स्थानीय लोगों को औषधीय पौधे लगाने और उनका संरक्षण करने के लिए प्रोत्साहित किया जा सकेगा। इससे पारम्परिक ज्ञान और चिकित्सा प्रणाली को संरक्षण मिलेगा।
श्री नाइक ने कहा कि एनईआईएएच समूचे दक्षिण-पूर्व एशिया में आयुर्वेद और पारम्परिक चिकित्सा प्रणाली से जुड़ी अनुसंधान गतिविधियों का बड़ा केन्द्र बन सकता है। उन्होंने कहा कि एनईएचयू, एनआईटी और आईआईएम जैसे बड़े संस्थानों का एनईआईएएच के करीब होना क्षेत्र में स्वास्थ्य सेवाओं की बेहतरी के लिए अनुसंधान कार्यों में काफी मददगार होगा। उन्होंने कहा कि आयुष के जरिए समूचे पूर्वोत्तर क्षेत्र में स्वास्थ्य सेवाओं, चिकित्सा पर्यटन, औषधीय पौधों के व्यापार तथा उनके प्रसंस्करण और विपणन को बढ़ावा मिल सकता है।
आयुष मंत्रालय में संयुक्त सचिव श्री रोशन जग्गी ने इस अवसर पर कहा कि आयुष पूर्वोत्तर क्षेत्र में अपनी संस्थाओं में चिकित्सा से जुड़ी बुनियादी ढांचागत सुविधाओं को मजबूत बनाना चाहता है, ताकि क्षेत्र के लोगों को गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवाएं आसानी से उपलबध हो सकें। उन्होंने बताया कि आयुष मंत्रालय पूर्वोत्तर के जैव विविधता संसाधन को दर्शाने के लिए औषधीय पौधों पर एक अंतर्राष्ट्रीय प्रदर्शनी आयोजित करने की योजना बना रहा है। इस प्रदर्शनी से लोगों को पूर्वोत्तर क्षेत्र के औषधीय पौधों के गुणों का पता चलेगा जिससे उनकी मांग बढ़ेगी और उनके लिए निर्यात् के अवसर भी खुलेंगे।