29 C
Lucknow
Online Latest News Hindi News , Bollywood News

सड़क सुरक्षा पर जागरूकता बढ़ाने के लिए सीड्स-हनीवेल ने दिलाराम चैक पर कार्यक्रम आयोजित किया

उत्तराखंड

देहरादूनसड़क सुरक्षा पर जागरूकता बढ़ाने के लिए सीड्स-हनीवेल ने दिलाराम चैक पर कार्यक्रम आयोजित किया। सीड्स ने अपने हनीवेल सेफ स्कूल्स प्रोग्राम के तहत सड़क सुरक्षा पर जागरूकता बढ़ाने के लिए अपने स्वयंसेवकों के साथ एक कार्यक्रम का आयोजन किया, जो शहर में दुर्घटनाओं की रोकथाम और प्रतिक्रिया तंत्र पर ध्यान केंद्रित करने के साथ- साथ सड़क यातायात में दुर्घटना के शिकार हुए लोगों के लिए विश्व स्मरण दिवस के सिलसिले में आयोजित किया गया।

यह कार्यक्रम चार बुनियादी मुद्दों का समाधान करने पर केंद्रित थे – गैर-जिम्मेदार पार्किंग प्रवृत्ति, यातायात संकेतों पर नियमों का पालन, उचित सुरक्षा गियर (हेलमेट, सीट बेल्ट) पहनना और दुर्घटना प्रतिक्रिया तंत्र। दिलाराम चैक, राजपूर रोड पर हनीवेल स्वयंसेवकों और सीड्स टीम ने सड़क सुरक्षा के संदेश को फैलाने के लिए शहर के यातायात अधिकारियों और निवासियों के साथ बातचीत की। हनीवेल स्वयंसेवकों और ट्रैफिक अधिकारियों की निगरानी में छात्र ट्रैफिक नियमों और सुरक्षा के बारे में फ्लैशकार्ड प्रदर्शित करते हुए एक फ्लैश माॅब (एक आवेगपूर्ण नृत्य) पेश करने के लिए एक व्यस्त ट्रैफिक सिग्नल पर इकट्ठा हुए।

कार्यक्रम के दौरान सड़क सुरक्षा जागरूकता पर एक नाटक का भी मंचन किया गया और लोगो को सड़क सुरक्षा के नियम का पालन करने का संदेश दिया गया।

भारत में दुनिया में सड़क दुर्घटनाओं में सबसे ज्यादा मौतें होती हैं। सड़क सुरक्षा 2013 की वैश्विक स्थिति रिपोर्ट का अनुमान है कि भारत में हर साल 2,31,000 से अधिक लोग सड़क दुर्घटनाओं में मारे जाते हैं। भारत में हर साल सड़क दुर्घटनाओं में मरने वाले लोगों में लगभग 50 प्रतिषत मोटरसाइकल चालक, पैदल यात्री और साइकिल चालक होते हैं।

उत्तराखंड ने सड़क दुर्घटनाओं की बढ़ती संख्या को कम करने के लिए 2016 में पहली सड़क सुरक्षा नीति पेश की थी। नीति में सड़क सुरक्षा समस्याओं के बारे में जागरूकता को बढ़ावा देने और सड़क सुरक्षा की योजना बनाने और बढ़ावा देने के लिए राज्य के विभिन्न हितधारकों को सुविधा प्रदान करने के लिए गंभीर प्रयास करने का वादा किया गया।

हनीवेल के स्वयंसेवकों ने प्रदर्शित किया कि हेलमेट सवारियों को गंभीर सड़क दुर्घटनाओं से किस प्रकार बचाता है। छात्रों ने एम्बुलेंस सेवाकर्मियों के साथ भी बातचीत की, जिन्होंने घायल सड़क दुर्घटना पीड़ितों को अस्पताल पहुंचाने में आने वाली कठिनाइयों के बारे में बात की क्यांेकि अन्य ड्राइवर भारी यातायात की स्थिति में एम्बुलेंस को रास्ता नहीं देते हैं। उसके बाद हनीवेल के स्वयंसेवकों ने अस्पतालों में जल्दी और सुरक्षित रूप से पहुंचने के वैकल्पिक तरीके बताए। स्वयंसेवकों ने यह प्रदर्शित करने के लिए कि नागरिक सड़क दुर्घटना के शिकार लोगों की मदद करने में क्यों हिचकते हैं और कोई दुर्घटना होने पर क्या करना चाहिए या किसी दुर्घटना के गवाह के रूप में क्या करना चाहिए, एक नाटक, ‘एक्सीडेंट रिस्पांस एक्ट’ का मंचन किया। अंत में स्वयंसेवकों और प्रतिभागियों को हेलमेट बांट कर इस कार्यक्रम का समापन हुआ।

Related posts

This website uses cookies to improve your experience. We'll assume you're ok with this, but you can opt-out if you wish. Accept Read More