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उत्तराखंड में महामारी से प्रभावित लोगों को भोजन उपलब्ध कराने के लिए सीड्स और हनीवेल ने साझेदारी की

उत्तराखंड

देहरादून: प्रमुख समाजसेवी संगठन, सीड्स ने खाद्य किट वितरित करने के लिए हनीवेल के साथ समझौता किया है, जिसके तहत कोरोनोवायरस महामारी से प्रभावित नौ शहरों के लोगों को लगभग एक करोड 7 लाख भोजन उपलब्ध कराया जाएगा। इनमें दैनिक वेतनभोगी, अनुबंध वाले कर्मी, और प्रवासी आबादी शामिल हैं जो लॉकडाउन के कारण विस्थापित हो गए हैं।

हालांकि पहले चरण में पांच शहरों में लगभग 37 लाख भोजन वितरित किये गये थे,  लेकिन दूसरे चरण में, इस साझेदारी का उद्देश्य नौ शहरों दृ दिल्ली, गुरुग्राम, बेंगलुरु, पुणे, मदुरै, हरिद्वार, देहरादून, चेन्नई और हैदराबाद में अतिरिक्त 70 लाख भोजन वितरित करना है। कुल मिलाकर, यह मल्टी-सिटी आउटरीच 1.78 लाख लोगों को कवर करेगा।

देशव्यापी लॉकडाउन की शुरुआत में, विस्थापितों और हाशिए के लोगों के लिए काफी समर्थन प्रदान किया गया था। लेकिन देश में क्रियाकलाप फिर से शुरू होने और फिर से खुलने के बाद इन प्रयासों में काफी कमी आई है। हालांकि, यहां आबादी काफी अधिक है- विशेष रूप से यहां प्रवासी श्रमिक काफी अधिक हैं – जो कि नौकरी के चले जाने और बचत खत्म हो जाने के कारण लगातार परेशान हैं।

सीड्स के इस कार्यक्रम के प्रमुख येजदानी रहमान ने कहा, “सीड्स में हम उन लोगों तक पहुंचने के लिए प्रतिबद्ध हैं, जो शुरुआत से ही कोविड -19 महामारी का सामना कर रहे हैं। चूंकि यह संकट काफी बडा है, इसलिए जीवन को बनाए रखने की चुनौती बनी हुई है और हम इससे लड़ रहे लोगों के साथ मजबूती से खडे हैं। हनीवेल के समर्थन के साथ राशन वितरण के हमारे दूसरे चरण के माध्यम से, हमारा लक्ष्य पहले चरण की तुलना में संबंधित क्षेत्रों में अधिक से अधिक परिवारों तक पहुंचना है।

प्रत्येक खाद्य किट में चावल, गेहूं का आटा, चीनी, दालें, खाना पकाने का तेल और नमक शामिल हैं।

देहरादून और हरिद्वार को लोकप्रिय पर्यटन स्थल माना जाता है और अर्थव्यवस्था प्रमुख रूप से पर्यटन और धार्मिक संस्थानों के कामकाज पर निर्भर करती है। कोविड -19 मामलों में अत्यधिक वृद्धि के कारण, उत्तराखंड राज्य में सख्त नियम लागू किए गए, जिसके परिणामस्वरूप पर्यटन केंद्रों और मंदिरों को तुरंत बंद कर दिया गया और इस तरह नौकरी के अवसर कम हो गए। महामारी में तेजी से प्रसार के कारण इन शहरों ने बड़े पैमाने पर रिवर्स माइग्रेशन का भी सामना किया है, जिसने भी राज्य की वित्तीय प्रणाली को प्रभावित किया है।

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