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भारतीय खेल प्राधिकरण के अलप्‍पुझा प्रशिक्षण केन्‍द्र में चार बालिका प्रशिक्षुओं की आत्‍महत्‍या की कोशिश के मद्देनजर किए गए सुधार के कुछ उपाय

देश-विदेश

नई दिल्ली: खेल और युवा मामलों के मंत्रालय ने भारतीय खेल प्राधिकरण के अलप्‍पुझा प्रशिक्षण केन्‍द्र में चार बालिका प्रशिक्षुओं की आत्‍महत्‍या की कोशिश के मद्देनजर प्राधिकरण के महानिदेशक से तुरंत निम्‍नलिखित सुधार के उपाय करने को कहा है, ताकि प्रशिक्षण केन्‍द्रों में प्रशिक्षण प्राप्‍त कर रहे खिलाड़ियों की हिफाजत सुनिश्चित की जा सके। इस घटना के बाद प्राधिकरण के महानिदेशक द्वारा मंत्रालय को भेजी गई रिपोर्ट की जांच के बाद मंत्रालय ने सुधार के उपायों का निर्धारण किया है।1. प्राधिकरण को प्रशिक्षुओं की सामूहिक काउंसिलिंग और अकेले-अकेले काउंसिलिंग के उद्देश्‍य से महीने या पखवाड़े में एक बार केन्‍द्रों के लिए मनोवैज्ञानिक परामर्शदाताओं का पैनल बनाना चाहिए।

2. सभी बालिका छात्रावासों में एक पूर्णकालिक महिला वार्डन का होना अनिवार्य बनाया जाए।

3. प्राधिकरण के सभी केन्‍द्रों का संचालन कम से कम सहायक निदेशक स्‍तर के अधिकारी करें। सहायक निदेशक के खाली पद निर्धारित भर्ती नियमों/मंत्रालय के दिशा-निर्देशों के अनुसार भरे जाने चाहिए। बाकी पदों के लिए नियमों के अनुसार पदोन्‍नति के पात्र अधिकारियों को वरिष्‍ठता के आधार पर केन्‍द्र के संचालन हेतु प्रतिनियुक्ति पर भेजा जाना चाहिए। सहायक निदेशक का कोई पद सृजित नहीं किया जाए, क्‍योंकि प्राधिकरण का इन पदों के काडर की समीक्षा करने का इरादा है। इसके अलावा प्राधिकरण इस पद के ग्रेड का मुद्दा मंत्रालय को भेजता रहा है, जो अभी विचाराधीन है। जहां तक संभव हो कोच को केन्‍द्र का प्रभारी न बनाया जाए।

4. प्राधिकरण के केन्‍द्रों में योग अनिवार्य गतिविधि बनाया जाए, क्‍योंकि इससे प्रशिक्षुओं के पूर्ण विकास और भावनात्‍मक कल्‍याण में मदद मिलती है। इस कार्य के लिए अंशकालिक योग प्रशिक्षक होने चाहिएं। योग पाठ्यक्रम सिखाने वाले संगठनों को भी इस काम के लिए लगाया जा सकता है।

5. अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्‍थान के परामर्श के साथ खेल मनोविज्ञान के बारे में दो दिन का मॉड्यूल तैयार कर इसे प्राधिकरण के केन्‍द्रों में लागू किया जाना चाहिए।

6. ख्‍याति प्राप्‍त खिलाड़ियों से प्राधिकरण के केन्‍द्रों को अपनाने का अनुरोध किया जाना चाहिए और वह युवा प्रशिक्षुओं को प्रेरित करने के लिए प्रशिक्षुओं के प्रवर्तक के रूप में काम करें और उनमें रोल मॉडल की विशेषताओं का संचार करें। खिलाड़ी अपनी पसंद के अनुसार केन्‍द्रों को अपना सकते हैं और कम से कम तीन महीने में केन्‍द्र का दौरा कर सकते हैं। प्रशिक्षुओं के साथ विचार-विमर्श के अलावा वे केन्‍द्रों में निरंतर सुधार के लिए प्राधिकरण को अपनी राय भी दे सकते हैं।

7. प्राधिकरण के केन्‍द्रों में शिकायत निवारण के लिए सातों दिन 24 घंटे की हेल्‍पलाइन शुरू की जाए, जिसमें यौन उत्‍पीड़न और रैगिंग की शिकायतों की सूचना दी जा सके।

8. प्राधिकरण के छात्रावासों के लिए अनुबंध पर सुरक्षा की व्‍यवस्‍था की जानी चाहिए।

9. कोच, प्रशासक और अभिभावकों की बैठक कम से कम तीन महीने में एक बार अवश्‍य आयोजित की जाए।

10. प्राधिकरण की शासी परिषद के सदस्‍यों को निरीक्षण के लिए कम से कम तीन महीने में एक बार प्राधिकरण के केन्‍द्र में आना चाहिए।

11. राज्‍यों के खेल विभाग के साथ तालमेल बनाए रखने के लिए एक मजबूत संस्‍थागत व्‍यवस्‍था बनाया जाना जरूरी है।

12. सभी पात्र प्रशिक्षुओं को नई शुरू की गई प्रधानमंत्री जीवन ज्‍योति बीमा योजना और प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना के दायरे में लाया जाना चाहिए। शेष प्रशिक्षुओं को सामान्‍य बीमा योजना के अंतर्गत लाया जाए। दिन में प्रशिक्षण प्राप्‍त करने वालों समेत सभी प्रशिक्षुओं को बैंक खाता खोलने में सहायता दी जाए।

13. प्राधिकरण के सभी केन्‍द्रों में मनोरंजन की समुचित सुविधाएं प्रदान की जा सकती हैं।

इन सभी उपायों पर होने वाला व्‍यय प्राधिकरण के बजट से आवंटित किया जाएगा।

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