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लाल किले पर स्‍वतंत्रता दिवस समारोह

देश-विदेश

नई दिल्ली: प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी कल 69वां स्‍वतंत्रता दिवस समारोह मनाने के लिए लाल किले की प्राचीर से राष्‍ट्रीय ध्‍वज फहराएगें। तिरंगे को फहराने के बाद, श्री नरेन्‍द्र मोदी राष्‍ट्र को संबोधित करेंगे।

लाल किले के लाहौरी गेट पहुँचने पर, प्रधानमंत्री की अगवानी रक्षामंत्री श्री मनोहर पर्रिकर, रक्षा राज्‍य मंत्री इंद्रजीत सिंह और रक्षा सचिव श्री जी.मोहन कुमार द्वारा की जाएगी।

रक्षा मंत्री दिल्‍ली क्षेत्र के जनरल कमांडिंग ऑफिसर (जीओसी), लैफ्टिनेंट जनरल रंजन रविन्‍द्रन का प्रधानमंत्री से परिचय कराएंगे और दिल्‍ली क्षेत्र के जीओसी, प्रधानमंत्री को सलामी स्‍थल तक लेकर जाएंगे और वहां एक संयुक्‍त इंटर-सर्विसेज और पुलिस गॉर्ड प्रधानमंत्री को सलामी देंगे। इसके पश्‍चात, श्री नरेन्‍द्र मोदी गॉर्ड ऑफ ऑनर का निरीक्षण करेंगे।

प्रधानमंत्री के लिए गॉर्ड ऑफ ऑनर देने वाले दस्‍ते में एक अधिकारी और सेना, नौसेना, वायुसेना और दिल्‍ली पुलिस के 24 जवान शामिल होंगे। गॉर्ड ऑफ ऑनर किले की प्राचीन के एकदम नीचे के स्‍थल पर राष्‍ट्रीय ध्‍वज के बिल्‍कुल सामने दिया जाएगा।

इस वर्ष नौसेना, सेनाओं का प्रतिनिधित्‍व कर रही है, गार्ड ऑफ ऑनर का नेतृत्‍व भारतीय नौसेना के कमांडर योगेन्‍द्र शर्मा द्वारा किया जाएगा। प्रधानमंत्री के गार्ड के सैन्‍य दस्‍ते का प्रतिनिधित्‍व मेजर सुमिरन व्‍यास, नौसेना दस्‍ते का प्रतिनिधित्‍व लेफ्टिनेंट कमोडोर चानौरवीरसिंह यादव, जबकि वायुसेना के दस्‍ते का प्रतिनिधित्‍व स्‍कवॉर्डन लीडर शक्ति विघ्‍नेश्‍वर और दिल्‍ली पुलिस के दस्‍ते का प्रतिनिधित्‍व एसडीपीओ श्री रोहित मीणा करेंगे।

प्रधानमंत्री के गार्ड ऑफ ऑनर के लिए सेना के दस्‍ते का चयन आठवीं जम्‍मू-कश्‍मीर लाइट इंफेंट्री (सियाचिन) से किया गया है। इस बटालियन का गठन 18 दिसम्‍बर, 1947 को पूंछ में कबाइलियों की भारी घुसपैठ रोकने के लिए सांप्रदायिक जुनून के बाद विभाजन के सुलगते अंगारे की आंच के बाद हथियार उठाने वाले स्वयंसेवकों द्वारा प्रथम बटालियन सीमा स्काउट्स के रूप में किया गया था। युद्ध में जन्‍मी और रक्‍त में शुद्ध हुई इस बटालियन का 15 अप्रैल, 1948 को आठवीं जम्मू और कश्मीर मिलिशिया के रूप में पुन: नामकरण किया गया था।

1971 के युद्ध में बटालियन की संख्‍या में वृद्धि हुई लेकिन इसकी वीरता में कभी कमी नहीं आई। इसने छंब के लिए शत्रु के जुनून के बावजूद सफलतापूर्वक सुरक्षात्‍मक युद्ध लड़ा। इसके लिए बटालियन को युद्ध सम्मान – लालेली और पिकेट 707 से सम्मानित किया गया। 27 अप्रैल, 1976 को इस रेजिमेंट को जम्मू एवं कश्मीर लाइट इंफेंट्री का नाम दिया गया।

जून 1987 में सियाचिन कार्यकाल के दौरान इस बटालियन ने 21,153 फुट पर स्‍थित ‘कायदे पोस्ट’ पर सफलतापूर्वक कब्‍जा करके इतिहास रचा था। यह पोस्‍ट विश्व में सबसे ऊंचा युद्ध का मैदान है। इस पोस्ट को नायब सूबेदार बाना सिंह, परम वीर चक्र के सम्मान में’बाना टॉप’ का नाम दिया गया था। इस बटालियन को जम्मू-कश्मीर के पूंछ सेक्टर में अपने जबर्दस्‍त प्रदर्शन के लिए 2001 में सीओएएस यूनिट प्रशस्ति-पत्र प्रदान किया गया। बटालियन ने सूडान 2006 में संयुक्त राष्ट्र मिशन की स्थापना की और सूडान के इतिहास में अभूतपूर्व खूनी संघर्ष से निपटने के लिए वर्ष 2007 में संयुक्त राष्ट्र यूनिट प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया गया।

इस बटालियन ने एक बार फिर जम्मू-कश्मीर के कुपवाड़ा में अपने 2008 के कार्यकाल के दौरान अपनी वीरता का लोहा मनवाया, जब इस बटालियन के नायब सूबेदार चुन्‍नी लाल, वीर चक्र, सेना मेडल ने भारतीय सेना की सर्वोच्च परंपराओं का अनुसरण करते हुए आतंकवादियों से लड़ते हुए अपने प्राणों की आहुति दी। जिसके लिए उन्‍हें शांतिकाल के दौरान बहादुरी का सबसे बड़ा वीरता पुरस्कार, अशोक चक्र (मरणोपरांत) प्रदान किया गया। इस सम्‍मान के कारण यह बटालियन ‘बहादुरों में सबसे बहादुर’ के विशिष्ट समूह में शामिल हो गई। इसके अलावा, बटालियन को एक बार फिर जम्मू-कश्मीर में नियंत्रण रेखा पर अपने शानदार प्रदर्शन के लिए 2009 में सीओएएस यूनिट प्रशस्ति-पत्र से सम्‍मानित किया गया।

यह बटालियन वर्तमान में सेना की सबसे अधिक पुरस्‍कार प्राप्‍त बटालियनों में से एक है। नायब सूबेदार चुन्‍नी लाल (मरणोपरांत) अशोक चक्र, वीर चक्र, सेना मेडल सबसे अधिक पुरस्‍कारों से सुसज्‍जित सिपाहियों में से एक हैं। फिलहाल यह बटालियन भारत के राष्ट्रपति की रस्‍मी सेना गार्ड की प्रतिष्ठित ड्यूटी पर तैनात है।

गार्ड ऑफ ऑनर के निरीक्षण के बाद प्रधानमंत्री लाल किले की प्राचीर की ओर प्रस्‍थान करेंगे जहां रक्षा मंत्री श्री मनोहर पर्रिकर, रक्षा राज्‍य मंत्री श्री राव इंदरजीत सिंह, थल सेना अध्‍यक्ष जनरल दलबीर सिंह, वायु सेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल अरूप राहा और नौसेना प्रमुख एडमिरल आर. के. धोवन उनका स्‍वागत करेंगे। दिल्‍ली एरिया के जीओसी प्रधानमंत्री को राष्‍ट्रीय झंडा फहराने के लिए मंच की ओर ले जाने की अगुवाई करेंगे।

तिरंगा झंडा फहराने के समय ही प्रतिष्‍ठित 871 फील्‍ड रेजीमेंट के बहादुर गनर 21 तोपों की सलामी देंगे। रस्‍मी बैटरी का नेतृत्‍व लेफ्टिनेंट कर्नल आदित्य कुमार देवरानी, शौर्य चक्र, सेना मेडल करेंगे और गन पोज़िशन अधिकारी रेजीमेंट हवलदार मेजर (तोपखाना में सहायक प्रशिक्षक) सोनू यादव होंगे।

राष्ट्रीय ध्वज गार्ड में तीनों सेनाओं – थल सेना, नौ सेना, वायु सेना के 32-32 सिपाही और एक-एक अधिकारी शामिल होंगे। प्रधानमंत्री द्वारा राष्ट्रीय ध्वज फहराने के समय दिल्‍ली पुलिस राष्ट्रीय सलामी देगी। भारतीय नौसेना के कमांडर हरप्रीत सिंह अंतर-सेवा गार्ड और पुलिस गार्ड की कमान संभालेंगे। राष्ट्रीय ध्वज गार्ड के लिए नौसेना की टुकड़ी की कमान लेफ्टिनेंट कमांडर आदिल मोहिद्दीन, सेना के दस्‍ते की मेजर कुंदन सिंह, वायु सेना के दल की स्क्वाड्रन लीडर हिमांशु सिंह और दिल्ली पुलिस के दस्‍ते की कमान अतिरिक्‍त पुलिस उपायुक्‍त श्री दीपक गौरी संभालेंगे।

प्रधानमंत्री जब राष्‍ट्रीय ध्‍वज फहराएंगे तो नौ सेना का बैंड राष्‍ट्रीय धुन बजाएगा और राष्‍ट्रीय गार्ड राष्‍ट्रीय सलामी देगा। यूनिफॉर्म पहने सभी सेनाकर्मी खड़े होकर सलामी देंगे। बैंड का नेतृत्‍व एस. जानकीरमन, मास्‍टर चीफ पेट्टी ऑफिसर म्‍यूज़िशियन सैकेंड क्‍लास करेंगे।

नौ सेना के दो अधिकारी लेफ्टिनेंट वीएसएसजी राव और लेफ्टिनेंट प्रमोद प्रधानमंत्री के लिए एडीसी की ड्यूटी के लिए सलामी मंच के दोनों ओर तैनात होंगे। लेफ्टिनेंट कमांडर दीपिका चौधरी राष्‍ट्रीय ध्‍वज फहराने में प्रधानमंत्री की सहायता करेंगी।

राष्ट्रीय ध्वज गार्ड के लिए सेना के दस्‍ते का चयन गढ़वाल राइफल्स की नौवीं बटालियन से किया गया है। इस बटालियन का गठन स्वर्गीय लेफ्टिनेंट कर्नल पीजीआर नायर द्वारा 1 जनवरी, 1965 में किया गया था। तब से यह बटालियन कई इलाकों में तैनात रही और इसने अनेक ऑपरेशनों में भाग लिया और सभी क्षेत्रों में खुद के लिए प्रतिष्ठा अर्जित की। बटालियन ने इस वर्ष 01 जनवरी को देश की विशिष्‍ट और समर्पित सेवा के 50 साल पूरे किए हैं। गढ़वाल राइफल्स की नौवीं बटालियन को 1985 में शांतिकाल के सबसे बड़े वीरता पुरस्कार अशोक चक्र से सम्मानित किया गया। यह बटालियन भारतीय सेना की ऐसी यूनिट है जिसे 1992 में सेना प्रमुख के यूनिट प्रशस्‍ति पत्र से सम्‍मानित किया गया है। इस बटालियन को अभी तक दो कीर्ति चक्र, तीन शौर्य चक्र, सात सेना पदक, एक विशिष्ट सेवा पदक, एक जीवन रक्षा पदक, दो मेंशन-इन-डिस्पैचिज पदक, 21 थल सेना प्रमुख प्रशस्‍ति कार्ड, एक उप सेना प्रमुख प्रशस्ति कार्ड और 27 के जीओसी-इन-सी प्रशस्‍ति कार्ड से सुशोभित किया जा चुका है।

राष्‍ट्रीय झंडा फहराने के बाद प्रधानमंत्री राष्‍ट्र को संबोधित करेंगे। प्रधानमंत्री के संबोधन के बाद स्‍कूलों के बच्‍चे और एनसीसी के कैडेट राष्‍ट्रीय गान गाएंगे।

सेना, नौ सेना और वायु सेना को मिलाकर दिल्‍ली निदेशालय के 20 स्‍कूलों से राष्‍ट्रीय कैडेट कोर के 700 कैडेट इस वर्ष के राष्‍ट्रीय ध्‍वजारोहण समारोह में भाग ले रहे हैं। ये कैडेट स्‍कूल के बच्‍चों के साथ देशभक्‍ति के गानों के गायन में भाग लेंगे। कुल-मिलाकर दिल्‍ली सरकार के शिक्षा निदेशालय के पूर्वी, उत्‍तर पूर्वी, उत्‍तरी, उत्‍तर पश्‍चिम और केन्‍द्रीय जोनों के 43 सरकारी स्‍कूलों से तीन हजार पांच सौ लड़कियां राष्‍ट्रीय गान गाएंगी। समारोह के दौरान ये लड़कियां विभिन्‍न क्षेत्रीय भाषाओं में देशभक्‍ति के गाने भी गाएंगी। इस अवसर पर स्‍कूली बच्‍चे जय भारत की रचना का प्रदर्शन भी करेंगे।

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