34 C
Lucknow
Online Latest News Hindi News , Bollywood News

फिर से विकसित गांधीनगर कैपिटल रेलवे स्टेशन- भारत का गौरव

देश-विदेश

यह विकसित रेलवे स्टेशन, भारत के अन्य रेलवे स्टेशनों के लिए विकास के मानकों को रेखांकित करता है

एस.के. लोहियाएमडी और सीईओ आईआरएसडीसी

भारत का पहला पुनर्विकसित रेलवे स्टेशन है- गांधीनगर कैपिटल रेलवे स्टेशन, जो गुजरात राज्य में स्थित है और जिसे हाल ही में राष्ट्र को समर्पित किया गया है। फिर से विकसित गांधीनगर कैपिटल रेलवे स्टेशन को रेलवे स्टेशन पुनर्विकास कार्यक्रम की एक लम्बी छलांग के रूप में देखा जा रहा है।

नील आर्मस्ट्रांग ने कहा था, “यह मनुष्य के लिए एक छोटा कदम है, लेकिन मानव जाति के लिए एक विशाल छलांग है।” यह कथन, स्टेशन पुनर्विकास के सन्दर्भ में उपयुक्त है। गांधीनगर रेलवे स्टेशन के उद्घाटन के साथ, देश में सम्पूर्ण स्टेशन परिदृश्य पर सकारात्मक प्रभाव पड़ा है। जैसा कि सैंटियागो कालात्रावा ने कहा है, “स्टेशन एक ऐसी चीज है, जो एक शहर का निर्माण कर सकती है।” गांधीनगर कैपिटल रेलवे स्टेशन का पुनर्विकास शहर को बढ़ावा देने वाले घटकों के रूप में कार्य करेगा, निवेश चक्र का निर्माण करेगा, नौकरी के अवसरों का सृजन करेगा और मोटे तौर पर गुजरात राज्य की राजधानी, गांधीनगर की अर्थव्यवस्था को मजबूती प्रदान करेगा।

यह एक अनूठी परियोजना है, जिसमें आईआरएसडीसी (भारतीय रेलवे स्टेशन विकास निगम) के माध्यम से गुजरात सरकार और रेल मंत्रालय की साझेदारी में गरुड़ (गांधीनगर रेलवे और शहरी विकास निगम) नामक एक संयुक्त उद्यम कंपनी का गठन किया गया है।

इस पुनर्विकसित स्टेशन में पटरियों के ऊपर 318 कमरों वाला फाइव स्टार कन्वेंशन होटल है। यह भारत में अपनी तरह की पहली परियोजना है, जो मुंबई और बेंगलुरु जैसे भूमि की कमी झेल रहे शहरों में इस तरह के विकास का मार्ग प्रशस्त करेगी। गांधीनगर में पहले से ही “महात्मा मंदिर” है, जो विश्व स्तरीय सम्मलेन और प्रदर्शनी केंद्र है। इसे होटल और रेलवे स्टेशन के साथ जोड़ा गया है, ताकि ये सुविधाएं एक दूसरे के साथ तालमेल से काम कर सकें। यह होटल, कन्वेंशन सेंटर के लिए लॉजिस्टिक्स को आसान बनाएगा तथा इसके बेहतर उपयोग में मदद करेगा। ठीक इसी तरह कन्वेंशन सेंटर भी होटल के बेहतर उपयोग में सहायता प्रदान करेगा। कन्वेंशन सेंटर में अधिक आयोजनों से होटल उद्योग, खान-पान और पर्यटन के लिए अधिक अवसर पैदा होंगे। हेलीपैड प्रदर्शनी मैदान और राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को समर्पित दांडी कुटीर संग्रहालय निकट में ही स्थित हैं,जिन्हें इन नयी परियोजनाओं से प्रोत्साहन मिलने की उम्मीद है। गरुड़ और आईआरएसडीसी ने इस पुनर्विकसित स्टेशन के साथ-साथ आसपास के क्षेत्रों में और अधिक सुविधाएं जोड़ने की योजना बनाई है, ताकि स्थानीय क्षेत्र को और बढ़ावा मिल सके तथा इसे सभी क्षेत्र के लोगों के लिए एक सुरुचिपूर्ण गंतव्य बनाया जा सके।

दो नई ट्रेन 16 जुलाई 2021 से शुरू की जा रही हैं। पहली वाराणसी के लिए एक साप्ताहिक सुपरफास्ट और दूसरी वरेथा के लिए एक दैनिक मेमू ट्रेन सेवा की शुरुआत हो रही है। इस क्षेत्र के लिए रेल मंत्रालय के पास कई महत्वाकांक्षी योजनाएं हैं, और चूंकि गांधीनगर क्षेत्र को स्टेशन के पुनर्विकास की इन पहलों के कारण आर्थिक गतिविधियों को बढ़ावा मिलता है, इसलिए अधिक ट्रेन सेवाएं शुरू की जा सकती हैं।

पुनर्विकसित स्टेशन सात सी के सिद्धांतों का पालन करता है जो आईआरएसडीसी द्वारा पुनर्विकसित रेलवे स्टेशनों की योजना बनाने के लिए मूल सिद्धांत हैं।

यात्रियों को अलग-अलग करने के लिए, प्रस्थान करने वाले यात्रियों के लिए कॉनकोर्स और आने वाले यात्रियों के लिए दो सबवे तैयार करने की योजना बनाई गई है। स्टेशन भविष्य के लिए तैयार है, और स्टेशन पर यात्रियों की संख्या बढ़ने पर प्रस्थान करने वाले यात्रियों के लिए कॉनकोर्स का उपयोग किया जाएगा। हालांकि, निकट भविष्य में, यात्रियों के साथ-साथ स्थानीय जनता की मांगों को पूरा करने के लिए इस क्षेत्र में खुदरा, भोजन और मनोरंजन के आउटलेट खोलने की योजना है। बिग बाजार और शॉपर्स स्टॉप जैसे बाजार के संचालकों ने भी अपने मिनी आउटलेट खोलने में रुचि दिखाई है, जिससे यात्रियों और स्थानीय लोगों के लिए स्टेशन पर खरीदारी करना सुविधाजनक हो गया है। यह पुनर्विकसित स्टेशन एक “सिटी सेंटर रेल मॉल” की तरह काम करेगा जिसके विभिन्न कार्यों में से एक यात्रा से जुड़ी सुविधाएं प्रदान करना भी होगा।

दिव्यांगजनों के लिए स्टेशन, एक सुलभ वातावरण प्रदान करता है और सभी स्थानों पर लिफ्ट और रैंप उपलब्ध हैं। टैक्टाइल फ्लोरिंग जैसी अन्य सुविधाएं भी प्रदान की गई हैं। स्टेशन आधुनिक सुविधाओं जैसे पर्याप्त प्रतीक्षा स्थान, धूप/बारिश आदि से सुरक्षा प्रदान करने के लिए स्तंभ रहित छत के माध्यम से, वातानुकूलित बहुउद्देशीय प्रतीक्षालय, शिशु आहार कक्ष, उन्नत संकेत और आधुनिक शौचालय, आम आदमी के लिए अंतरधार्मिक प्रार्थना कक्ष आदि से सुसज्जित है। अन्य सुविधाएं जैसे आर्ट गैलरी, थीम आधारित प्रकाश व्यवस्था, अतिरिक्त आकर्षण प्रदान करेगी जो न केवल यात्रियों की संतुष्टि को बढ़ाएगी बल्कि सभी के लिए गर्व का विषय भी साबित होगी क्योंकि यह स्टेशन देश में कई मायनों में प्रथम होने का दावा कर सकता है। भीड़ के बिना, पुनर्विकसित स्टेशन को पीक ऑवर में 1,500 यात्रियों को संभालने के लिए डिज़ाइन किया गया है। इस कॉनकोर्स के साथ, पीक आवर में क्षमता 2,200 यात्रियों तक पहुंच जाएगी।

स्टेशन का उद्देश्य पोर्टलैंड पॉज़ोलाना सीमेंट, फ्लाई ऐश ईंटों आदि जैसी टिकाऊ सामग्रियों के उपयोग के माध्यम से प्राकृतिक निर्मित पर्यावरण का संरक्षण करना और ऊर्जा कुशल डिजाइनों, वर्षा जल संचयन और पानी के पुन:उपयोग के माध्यम से पानी, बिजली की आवश्यकताओं को कम करना है।

‘इंजीनियरिंग, प्रोक्योरमेंट एंड कंस्ट्रक्शन (ईपीसी)’ मॉडल पर बनाया गया, गांधीनगर रेलवे स्टेशन पुनर्विकास के लिए इस मॉडल को अपनाने वाला भारतीय रेलवे का पहला स्टेशन है। पुनर्विकसित स्टेशन पर अपनी तरह का अनूठा, स्तंभ मुक्त चिकना और किफायती स्पेस फ्रेम 99-मीटर (105 मीटर कर्विलिनियर) स्पैन ओवर प्लेटफॉर्म (भारतीय रेलवे में सबसे लंबा ऐसा स्पैन जिसमें केवल 120 किलोग्राम/वर्गमीटर इस्पात शामिल है) हर मौसम में सुरक्षित सीमलेस एल्युमिनियम शीटिंग के साथ प्रदान किया गया है। सबवे उपलब्ध कराना, ऊंची इमारत को सहारा देने के लिए बड़ी नींव और रूफ ट्रस के माध्यम से लॉन्च करना अद्वितीय इंजीनियरिंग चुनौतियां थीं जिन्हें कार्य के निष्पादन के दौरान सफलतापूर्वक पूरा किया गया था। वास्तव में, इस परियोजना से मिली सीख हमें शहरों के भीड़-भाड़ वाले इलाकों में ऐसी जटिल परियोजनाओं को पूरा करने में मदद करने वाली है और इस परियोजना का प्रभाव दूर-दूर तक होगा।

32 थीम के साथ हर रोज एक थीम पर आधारित प्रकाश व्यवस्था का आयोजन गांधीनगर स्टेशन की प्रमुख विशेषताओं में से एक है। यह भारतीय रेलवे में इस तरह की सुविधा के साथ अब तक का पहला स्टेशन है। गांधीनगर रेलवे स्टेशन की योजना के अनुसार थीम आधारित प्रकाश व्यवस्था की विशेषता का उद्देश्य इस पुनर्विकसित स्टेशन का व्यापक रूप में उपयोग करना है। एलईडी लाइट्स का उपयोग स्टेशन की इमारत को खूबसूरत तरीके से दिखाने और सूर्यास्त के बाद इस इमारत की खूबसूरती में चार चांद लगाने के लिए हर रोज रंग बदलने के मुताबिक किया गया है। इस स्थल को आम आदमी के लिए एक गंतव्य स्थल बनाने के लिए डांसिंग लाइटों का उपयोग किया जाएगा। जब स्टेशन की लाइट इसके सामने स्थित दांडी कुटीर और इसकी पृष्ठभूमि में अहमदाबाद/गांधीनगर क्षेत्र की 77 मीटर की सबसे ऊंची इमारत को प्रकाशवान करेगी तो इसकी छटा देखने लायक होगी। गांधीनगर की जनता और दांडी कुटीर आने वाले पर्यटक इस पुनर्विकसित स्टेशन के आस-पास के क्षेत्र में विकसित की गई हरित पट्टी के विहंगम दृश्य का अवलोकन कर सकेंगे।

इसके साथ-साथ इन विकास कार्यों में, “क” रोड को “ख” रोड से जोड़ने के लिए बनाए गए नए 18 मीटर चौड़े अंडरपास के साथ-साथ गुजरात सरकार के सड़क और भवन विभाग द्वारा महात्मा मंदिर और रेलवे स्टेशन के निकट के होटल का निर्माण इस क्षेत्र का कायापलट कर देगा, जो अब तक अधिकांश तौर पर एक जीवंत स्थल की जगह एक निर्जन स्थान था। यह स्थल अब इस शहर का एक ऐसा केंद्र होगा जहां गांधीनगर के लोग न केवल घूमने अपितु अन्य विभिन्न उद्देश्यों के लिए जाना पसंद करेंगे। इस विकास का उद्देश्य स्टेशन के आसपास के पूरे क्षेत्र को शहर के एक ऐसे स्थल के रूप में परिवर्तित करना है जहां गांधीनगर के लोग जाना पसंद करेंगे, और जिस पर उन्हें गर्व होगा।

गांधीनगर कैपिटल रेलवे स्टेशन को राष्ट्र के प्रति समर्पित करने के साथ, स्टेशन के पुनर्विकास कार्यक्रम में समग्र रूप से तेजी आई है। कई और स्टेशनों का पुनर्विकास किया जाना हैं। इस अभियान के तहत 125 स्टेशनों के पुनर्विकास का कार्य प्रगति पर है। इसमें से, आईआरएसडीसी 63 स्टेशनों पर कार्य कर रहा है, और आरएलडीए 60 स्टेशनों पर कार्य कर रहा है, जिसमें दो स्टेशन क्षेत्रीय रेलवे द्वारा विकसित किए जा रहे हैं। रियल एस्टेट विकास के साथ-साथ 123 स्टेशनों के पुनर्विकास के लिए कुल निवेश 50,000 करोड़ रुपये से अधिक है। आईआरएसडीसी के तौर पर हम भारत सरकार के स्टेशन पुनर्विकास कार्यक्रम के लिए प्रतिबद्ध हैं और इस कार्य अत्यंत उत्साह और दृढ़ संकल्प के साथ संचालित करेंगे। इस कार्यक्रम में रेलवे से यात्रा करने वाले आम आदमी की सेवा के लिए अभिनव दृष्टिकोण और समाधान की आवश्यकता है, जिसे हाल ही में विकसित किए गए गांधीनगर कैपिटल और हबीबगंज रेलवे स्टेशन पुनर्विकास परियोजनाओं में प्रदर्शित किया गया है।

इस कार्यक्रम के लिए न केवल रेलवे स्टेशनों अपितु बड़े पैमाने पर शहरों और देश के आत्मानिर्भर भारत की ओर बढ़ने के संकल्प और कायाकल्प में सहायता के लिए सार्वजनिक और निजी साझेदारी परियोजनाओं में निर्माणकर्ताओं, निर्माता, अनुबंधकर्ताओं, योजनाकारों, वास्तुकारों, डिजाइनरों, खुदरा विक्रेताओं, विज्ञापनदाताओं, और सबसे महत्वपूर्ण, निवेशकों/डेवलपर्स के समर्थन और सक्रिय भागीदारी की आवश्यकता है।

Related posts

This website uses cookies to improve your experience. We'll assume you're ok with this, but you can opt-out if you wish. Accept Read More