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कोरोना वायरस के कहर के बीच बारिश बनी आफत, वेस्ट यूपी में खड़ी फसल जलमग्न

उत्तर प्रदेश

लखनऊ: कोरोना वायरस के संक्रमण के बीच में बेमौसम बारिश पश्चिमी उत्तर प्रदेश के किसानों पर कहर बनकर टूटी है। खेतों में खड़ी गेहूं तथा सरसों की फसल के जलमग्न होने के बाद से किसान सब्जी तथा अन्य फसलों को भी बचाने की आशा में बैठ गया है।

कोरोना वायरस के कारण लॉकडाउन में भी अपनी फसल की चिंता को लेकर परेशान पश्चिमी उत्तर प्रदेश के आधा दर्जन से अधिक जिलों का किसान रविवार को यहां पर बेमौसम बारिश के कहर से टूट गया। खेतों में खड़ी फसल बारिश के कारण जमीन पर गिर पड़ी है। सुबह अचानक हुई बारिश से किसानों के माथे पर चिंता की लकीरें खींच गईं। मुजफ्फरनगर, मेरठ, बागपत, सहारनपुर, बिजनौर आदि जिलों में रविवार की सुबह तेज हवा के साथ अचानक बारिश शुरू हो गई। घने बादलों के कारण कई जगह पर अंधेरा सा हो गया।

सहारनपुर के इस्लामनगर सुबह से छाए बादल गर्जना के साथ बरसे। इसके साथ किसानों के माथे पर चिंता की लकीरें खींच गई। यह बारिश उन किसानों के लिए बड़ी परेशानी बन गई जिनकी गेहूँ की फसल खेतों में कटी पड़ी है या तैयार खड़ी है। सरसावा में अचानक बादलों की गर्जन के साथ हो रही बारिश ने किसान के होश उड़ा दिए। उन्हें खेतों में खड़ी फसलों की चिंता सता रही है। वेस्ट यूपी के ही मुजफ्फरनगर में दिन निकलते ही आसमान में घने बादल छा गए। कड़कती आकाशीय बिजली के साथ बारिश से किसानों के माथे पर बल पड़ गए। गेहूं की फसल को लेकर किसान चिंतित है। अभी तक केवल 40 फीसदी गेहूं की कटाई और थ्रेसिंग कार्य हुआ है। 60 प्रतिशत फसल खेतों में है। यहां के चिलकाना में भी बारिश हुई।

बागपत में धूल भरी आंधी के बाद बारिश शुरू होने से जगह-जगह पर खेतों में कटा पड़ा गेंहूं फैल गया। इसके बाद का काम बारिश ने पूरा कर दिया। बिजनौर में रविवार सुबह बादल छा गए थे, समय आगे बढ़ते ही पानी बरसा और किसान को परेशान कर गया। बारिश के कारण खेतो में पड़ी गेंहू की फसल को नुकसान का अंदेशा है। गेहूं की फसल को लेकर किसानों की धड़कनें बढ़ गई है। शामली में बारिश के साथ ओलावृष्टि से गेहूं की फसल को सबसे पहले अधिक नुकसान हो गया जबकि सब्जियों की फसल भी प्रभावित हुई है। Source जागरण

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