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राहुल द्रविड़ ने बताया, भारतीय टीम में अपने विकेटकीपर बनने की कहानी

खेल समाचार

भारतीय टीम के पूर्व कप्तान राहुल द्रविड़ ने विश्व कप 2003 के दौरान विकेटकीपिंग की थी। उन्होंने उससे पहले इंग्लैंड में हुई नेटवेस्ट ट्रॉफी में भी कीपिंग की थी। द्रविड़ कीपर नहीं थे, लेकिन इसके बावजूद उन्हें कीपिंग करनी पड़ी थी। भारतीय टीम में उस समय ऐसे विकेटकीपर की कमी थी जो अच्छी बल्लेबाजी भी कर सकता था।

भारतीय टीम के पूर्व कप्तान राहुल द्रविड़ ने विश्व कप 2003 के दौरान विकेटकीपिंग की थी। उन्होंने उससे पहले इंग्लैंड में हुई नेटवेस्ट ट्रॉफी में भी कीपिंग की थी। द्रविड़ कीपर नहीं थे, लेकिन इसके बावजूद उन्हें कीपिंग करनी पड़ी थी। भारतीय टीम में उस समय ऐसे विकेटकीपर की कमी थी जो अच्छी बल्लेबाजी भी कर सकता था।

राहुल द्रविड़ की गिनती दुनिया के सबसे बेहतरीन स्लिप फील्डरों में की जाती थी। उन्होंने माना कि उनकी कैचिंग काफी अच्छी थी लेकिन विकेटकीपर बनने के लिए पैरों के चलना भी काफी जरूरी था। इस अनुभव के बारे में बताते हुए राहुल द्रविड़ ने कहा

‘मैं गेंद को पकड़ने में अच्छा था क्योंकि मैं स्लिप फील्डर था लेकिन मेरे पैरों का मूवमेंट काफी खराब थी। विकेटकीपर बनने के लिए आपके पैरों के बारे में बहुत कुछ है और आपके पैरों को सही जगह पर लाना है। यही कारण है कि मैं लेग साइड की गेंद पकड़ने में कैफ खराब था। लेकिन हाँ, यह अच्छा था और यह बहुत अच्छा था। हम इसके बाद एक अतिरिक्त बल्लेबाज को खेलने का मौका दे सकते थे।’

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