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नेपाल से दिल्ली तक कांपी धरती, 618 लोगों की जानें जा चुकी

देश-विदेश

नई दिल्ली/ काठमांडू: नेपाल की राजधानी काठमांडू से लेकर दिल्ली तक आज दोपहर दो बार भूकंप के जोरदार झटके महसूस किए गए। आधे घंटे के अंतराल पर दो बार आए जलजले से अब तक करीब 618 लोगों के मरने की पुष्टि हो चुकी है और सैकड़ों लोग अलग-अलग जगहों पर फंसे हैं। नेपाल के गृह मंत्रालय के मुताबिक 618 लोगों की जानें जा चुकी हैं। अभी भी सैकड़ों लोग फंसे हैं जिनमें कम से कम 125 भारतीय हैं। भारत के अलग-अलग हिस्सों में 25 लोगों की मौत की खबर है। इसके अलावा उत्तर प्रदेश के कानपुर में दो बच्चे और बाराबंकी में तीन लोगों की मौत की खबर है। माउंट एवरेस्ट में दो बेस कैंप हिमस्खलन में बह गए हैं और नेपाल का ऐतिहासिक भीमसेन टावर गिर गया है। अकेले इस टावर में 400 से ज्यादा लोगों के फंसे होने की आशंका है।भूकंप का केंद्र काठमांडू के उत्तर-पश्चिम में 80 किलोमीटर दूर लामजुंग में स्थित था। अमेरिकी जियोलॉजिकल सर्वे ने भूकंप की तीव्रता रिक्टर स्केल पर 7.9 बताई है और कहा है कि यह भूकंप नेपाल के समय के अनुसार पूर्वाह्न 11 बजकर 56 मिनट पर आया। यह 11 किलोमीटर की गहराई पर स्थित था। नेपाल के साथ ही पाकिस्तान और पूरे उत्त भारत में भी भूकंप के झटके महसूस किए गए। भारत में नेपाल से लगे बिहार के जिलों में भूकंप का सबसे असर देखा गया। दरभंगा में 2 और सीतामढ़ी में तीन लोगों की मौत हुई है। दिल्ली समेत पूरे उत्तर भारत में पहला झटका 11 बजकर 41 मिनट पर महसूस किया गया, जबकि 12 बजकर 19 मिनट पर दूसरी बार झटके महसूस किए गए।
पुराने काठमांडू के हनमनढोका इलाका भूकंप में बुरी तरह तबाह हुआ है। इलाके में कई भवन और इमारतें ढह जाने से मलबे के नीचे लोगों के दबे होने की आशंका जताई जा रही है। अधिकारियों ने कहा है कि वे स्थिति का आकलन करने की कोशिश कर रहे हैं। ट्विटर पर जारी तस्वीरों में कई भवन पूरी तरह तबाह हो चुके हैं और उस स्थान पर मलबे का ढेर है, जहां कभी इमारत हुआ करती थी। एक पक्की सड़क पर खूब लंबी और बड़ी-सी दरार बन गई है। काठमांडू स्थित भारतीय वाणिज्य दूतावास परिसर में एक पुरानी इमारत के गिर जाने से एक व्यक्ति की मौत हो गई। काठमांडू के एक पत्रकार ने बताया कि मृतक नेपाली नागरिक है।

अधिकारियों ने बताया कि दर्जनों घायल लोगों को मध्य काठमांडू के मुख्य अस्पताल में लाया गया है। हताहत लोगों की अनुमानित संख्या के बारे में तत्काल कोई सूचना नहीं है। एक स्थानीय व्यक्ति प्रचंड सौल ने बताया कि राजधानी के बीचोंबीच सदियों पुराने मंदिरों समेत कई इमारतें ढह गईं। उन्होंने बताया कि दहशतजदा लोगों को उन्होंने गलियों में दौड़ते देखा। गलियों में ऐम्बुलेंसों के सायरन गूंज रहे थे और सरकारी हेलिकॉप्टर आसमान में चक्कर लगा रहे थे। राष्ट्रीय रेडियो ने और झटकों की आशंका के चलते लोगों को घरों से बाहर रहने का अलर्ट जारी किया है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्थिति का जायजा लेने के लिए दोपहर तीन बजे वरिष्ठ अधिकारियों की मीटिंग बुलाई है। इसके बाद नेपाल के लिए भारत की ओर से सहायता की घोषणा की जा सकती है। प्रधानमंत्री ने कहा कि देश और नेपाल में भूकंप प्रभावितों तक पहुंचने की कोशिश शुरू हो गई है। उन्होंने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और सिक्कम के मुख्यमंत्री पवन कुमार चामलिंग से बात करके स्थिति की जानकारी भी ली है।

नेपाल के करीब होने की वजह से बिहार में भूकंप की तीव्रता भारत के शेष भागों की अपेक्षा अधिक थी और रिक्टर स्केल पर 6 बताई गई है। मौसम विभाग ने जानकारी दी है कि भूकंप के और झटके (आफ्टरशॉक) महसूस किए जा सकते हैं। लोगों से सतर्क रहने की अपील की गई है।

भारतीय मौसम विभाग के ऑपरेशन्स सिस्मोलाजी के प्रमुख जे एल गौतम ने बताया कि भूकंप देश के पूर्व और उत्तरी हिस्सों में महसूस किया गया। विभाग द्वारा जारी बयान के अनुसार, ‘आज सुबह 11 बजकर 41 मिनट पर 7.5 तीव्रता का भूकंप आया।’ भूकंप के झटके दिल्ली, बिहार, उत्तर प्रदेश , राजस्थान, हरियाणा और पंजाब में करीब एक मिनट तक महसूस किए गए, जिससे लोगों में दहशत फैल गई और वे अपने घरों और कार्यालयों से बाहर निकल आए। दिल्ली और कोलकाता में मेट्रो की सेवा थोड़ी देर के लिए रोक दी गई है। देश के कई हिस्सों में स्कूलों में छुट्टी दे दी गई है।

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