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देश में जम्मू-कश्मीर से ‘बैंगनी क्रांति’ की शुरुआत, लैवेंडर की खेती में अग्रणी: डॉ. जितेंद्र सिंह

देश-विदेश

केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), पृथ्वी विज्ञान राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) पीएमओ, कार्मिक, लोक शिकायत, पेंशन, परमाणु ऊर्जा और अंतरिक्ष राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने आज कहा कि केंद्र शासित प्रदेश जम्मू और कश्मीर राज्य के लगभग सभी 20 जिलों में लैवेंडर की खेती में अग्रणी होकर भारत ‘बैंगनी क्रांति’ की शुरुआत कर रहा है। विशेष रूप से, कठुआ, उधमपुर, डोडा, रामबन, किश्तवाड़, राजौरी, श्रीनगर, पुलवामा, कुपवाड़ा, बांदीपोरा, बडगाम, गांदरबल, अनंतनाग, कुलगाम और बारामूला जिलों ने इस दिशा में बड़ी प्रगति की है।

भारत के 75वें स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) अरोमा मिशन पर विशेष वेबिनार में मुख्य भाषण देते हुए डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि जम्मू और कश्मीर और पूर्वोत्तर क्षेत्र में वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) के कार्यों के निशान दिखाई दे रहे हैं। यह दोनों ही क्षेत्र मोदी सरकार की प्राथमिकता में हैं।

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डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि भारत के 75वें स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर यह वेबिनार देश के किसानों के साथ-साथ प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के किसानों की आय दोगुनी करने के संकल्प को समर्पित है। उन्होंने कहा कि सीएसआईआर का अरोमा मिशन आत्म-आजीविका और उद्यमिता के नए रास्ते पैदा कर रहा है।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा, भारत एक विशाल देश है और इसके विभिन्न हिस्सों / क्षेत्रों में समान संसाधन व्यापत हैं। जिसका उपयोग सभी संबंधित पक्षों द्वारा सभी के लाभ के लिए किया जाना चाहिए। उन्होंने देश भर से सर्वोत्तम तरीकों को साझा करने के लिए राष्ट्रीय राजधानी में एक सम्मेलन आयोजित करने का भी सुझाव दिया। डॉ. सिंह ने कहा विभिन्न मंत्रालयों, जैसे कृषि, डोनर, शिक्षा और स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण के साथ मिलकर एक अंतर-मंत्रालयीय समितियां बनाने का विचार भी जारी किया।

नए जमाने के किसानों को ‘एग्री-टेक्नोक्रेट’ करार देते हुए डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि सीएसआईआर के अरोमा मिशन ने किसानों के लिए ग्रामीण रोजगार के अवसर पैदा किए हैं। उसके जरिए सुगंधित तेलों और अन्य सुगंधित उत्पादों के निर्माण में उद्यमशीलता को बढ़ावा मिला है। और आवश्यक उत्पादों और सुगंधित तेलों का आयात कम हुआ है। आज सीएसआईआर के अरोमा मिशन से 6,000 हेक्टेयर भूमि में महत्वपूर्ण औषधीय और सुगंधित पौधों की खेती की जा रही है। पिछले दो वर्षों के दौरान इस मिशन ने ग्रामीण रोजगार के 10-12 लाख मानव-दिवस सृजित किए गए हैं और 60 करोड़ रुपये मूल्य के 500 टन से अधिक जरूरी तेल का उत्पादन किया गया है।

बैठक के दौरान, डॉ. जितेंद्र सिंह ने जम्मू और कश्मीर में डोडा, पूर्वोत्तर में असम, महाराष्ट्र में शिरडी, उत्तर प्रदेश में बाराबंकी और हिमाचल प्रदेश में मंडी सहित देश भर में सीएसआईआर के माध्यम से अरोमा मिशन से जुड़े किसानों के साथ वर्चुअल माध्यम से बातचीत की।

वेबिनार को सीएसआईआर-हिमालयन बायोरिसोर्स टेक्नोलॉजी संस्थान (सीएसआईआर-आईएचबीटी) के निदेश डॉ. संजय कुमार ने अरोमा मिशन का विवरण देते हुए संबोधित किया। सीएसआईआर-राष्ट्रीय विज्ञान संचार और नीति अनुसंधान संस्थान (सीएसआईआर-एनआईएससीपीआर) के निदेशक डॉ रंजना अग्रवाल ने मिशन की उपलब्धियों के सामाजिक-आर्थिक प्रभाव पर भी विस्तारपूर्वक विचार व्यक्त किया। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, दिल्ली के प्रोफेसर वीरेंद्र कुमार विजय ने विज्ञान और प्रौद्योगिकी के हस्तक्षेप से ग्रामीण आजीविका को कैसे बदला जा सकता है, उस पर अपने विचार व्यक्त किए।

कार्यक्रम का मुख्य आकर्षण अरोमा मिशन के लाभार्थियों की भागीदारी थी। इसमें किसान भी मौजूद थे। इस मौके पर उन्होंने अपने अनुभव साझा किए और सहयोग  के लिए सीएसआईआर को धन्यवाद दिया।

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