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सार्वजनिक भवनों और जनोपयोगी सेवा स्थलों को दिव्यांगजनों के लिए सुविधाओं से सुसज्जित किया जाना चाहिए: उपराष्ट्रपति

देश-विदेश

उपराष्ट्रपति श्री एम. वेंकैया नायडू ने आज नेत्र स्वास्थ्य के बारे में जागरूकता फैलाने और ग्रामीण आबादी के लिए सुलभ लागत प्रभावी नेत्र देखभाल समाधान विकसित करके दृष्टिहीनता को रोकने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने कहा कि निजी क्षेत्र ग्रामीण इलाकों में विश्व स्तरीय स्वास्थ्य देखभाल सुविधाएं उपलब्ध कराकर इसमें अहम योगदान दे सकता है।

उपराष्ट्रपति श्री रामकृष्ण सेवाश्रम पावागड़ा के रजत जयंती समारोह और श्री शारदादेवी नेत्र अस्पताल एवं अनुसंधान केंद्र के नए ब्लॉक के उद्घाटन के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम को वर्चुअल माध्यम से संबोधित कर रहे थे। श्री नायडु ने ‘दृष्टि का उपहार देना’ को सबसे नेक कार्यों में से एक बताते हुए लोगों से अपनी झिझक को दूर करने तथा मृत्यु के बाद अपने नेत्रों का दान करने के लिए आगे आने का आह्वान किया। देश में कॉर्नियल डोनर की भारी मांग का जिक्र करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि कॉर्निया दान करने की पहल को बड़े पैमाने पर प्रोत्साहित करने की आवश्यकता है।

कॉर्नियल दृष्टिहीनता की प्रमुख स्वास्थ्य चुनौती की ओर ध्यान आकर्षित करते हुए, श्री नायडू ने राष्ट्रीय दृष्टिहीनता सर्वेक्षण (2015-19) का उल्लेख किया और कहा कि भारत में, लगभग 68 लाख लोग कम से कम एक आंख में कॉर्नियल दृष्टिहीनता से पीड़ित हैं और इनमें से लगभग 10 लाख लोग ऐसे हैं जिनकी दोनों आंखों में यह समस्या है। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय दृष्टिहीनता और दृश्य हानि सर्वेक्षण 2019 की रिपोर्ट के अनुसार कॉर्नियलदृष्टिहीनता भारत में 50 वर्ष से कम आयु के लोगों में दृष्टिहीनता का प्रमुख कारण था, जो 37.5% मामलों के लिए जिम्मेदार था और यह 50 वर्ष से अधिक आयु के रोगियों में दृष्टिहीनता की दूसरी मुख्य वजह था।

दृष्टिहीन लोगों के सामने आने वाली कठिनाइयों पर चिंता व्यक्त करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि ऐसे लोगों को अपने जीवन में कई चुनौतियों का सामना करना पड़ता है और प्रत्येक व्यक्ति को इन कठिनाइयों को कम करने तथा चुनौतियों का सामना करने में उनकी मदद करने के लिए हर संभव प्रयास करना चाहिए।

श्री नायडू ने सरकार और निजी क्षेत्र से दिव्यांगजनों के अनुकूल बुनियादी ढांचे का निर्माण करने की अपील की क्योंकि इससे दिव्यांगजनों को बड़े पैमाने पर लाभ होगा। उन्होंने कहा कि सार्वजनिक भवनों और जनोपयोगी सेवा स्थलों को दिव्यांगजनों के लिए सुविधाओं से सुसज्जित किया जाना चाहिए। उपराष्ट्रपति ने कहा, “दिव्यांगजनों के अनुकूल बुनियादी ढांचे बनाने के लिए दिशानिर्देश पहले से ही दिए गये हैं, इसलिए सभी स्थानीय निकायों और राज्य सरकारों को उन्हें लागू करना चाहिए।”

उपराष्ट्रपति ने निजी क्षेत्र से आरक्षण लागू करके दृष्टिहीन लोगों और अन्य दिव्यांगजनों को सक्रियता से रोजगार प्रदान करने का आह्वान किया।

मौजूदा महामारी के दौरान डिजिटल उपकरणों के उपयोग में वृद्धि को देखते हुए, उपराष्ट्रपति ने प्रौद्योगिकी के अत्यधिक इस्तेमाल के कारण स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं में वृद्धि पर भी चिंता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि बच्चों में ऐसे गैजेट की लत बढ़ रही है और माता-पिता तथा शिक्षकों को इस विषय पर ध्यान देने की जरुरत है। उपराष्ट्रपति ने कहा कि प्रौद्योगिकी का उपयोग करते समय यह भी सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि इससे स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं या अत्यधिक निर्भरता की समस्या उत्पन्न न हो। उन्होंने कहा, “हमें डिजिटल उपकरणों के अपने उपयोग को विनियमित करने और बच्चों के मामले में इसके प्रति विशेष रूप से सावधान रहने की आवश्यकता है।”श्री नायडू ने आगाह किया कि आगे चलकर अधिकांश चीजों का डिजिटलीकरण किया जाएगा और इसके लिए स्वास्थ्य पर डिजिटलीकरण के नकारात्मक प्रभावों को सीमित करने के तरीके अभी से खोजना अनिवार्य है।

श्री नायडु ने श्री रामकृष्ण सेवाश्रम के संस्थापक एवं अध्यक्ष स्वामी जपानंदा जी की गरीबों तक गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य देखभाल पहुंचाने के लिए सराहना की तथा समुदायिक स्तर पर क्षय रोग व कुष्ठ रोग को कम करने में उनकी और उनकी टीम द्वारा की गई निस्वार्थ सेवा की प्रशंसा की। उपराष्ट्रपति ने कहा, “मैंने अक्सर इस बात पर जोर दिया है कि निजी क्षेत्र, सहकारी क्षेत्र, नागरिक समाज संगठनों और गैर सरकारी संगठनों को भी हर क्षेत्र में सरकार के प्रयासों का पूरक होना चाहिए।”

इस अवसर पर श्री नायडु ने समाज सेवा के महत्व पर स्वामी विवेकानंद के आदर्शों और मूल्यों को याद किया। सेवा का मार्ग और अध्यात्म का मार्ग एक ही होने के उनके उपदेश का उल्लेख करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि स्वामी विवेकानंद ने हमारे प्राचीन सभ्यतागत मूल्य ‘सहभागिता और देखभाल’ के आधार पर एक आधुनिक भारत का निर्माण करने का आह्वान किया था।

श्री नायडू ने लोगों से ‘सेवा’ की भावना को आत्मसात करने तथा गरीबों और जरूरतमंदों के कल्याण के लिए जो कुछ भी किया जा सकता है, उसमें अपना योगदान करने की अपील की। उन्होंने कहा कि ऐसी भावना जो सभी का कल्याण चाहती है, वह हमारे सदियों पुराने वाक्यांश ‘वसुधैव कुटुम्बकम’ का अंतर्निहित संदेश है।

उपराष्ट्रपति ने नए एकीकृत ब्लॉक के निर्माण में वित्तीय सहायता प्रदान करने के लिए इंफोसिस फाउंडेशन की अध्यक्ष श्रीमती सुधा मूर्ति की भी सराहना की।

अदम्य चेतना फाउंडेशन की चेयरपर्सन श्रीमती तेजस्विनी अनंत कुमार, बैंगलोर इंफोसिस केंद्र के प्रमुख श्री गुरुराज देशपांडे भी इस कार्यक्रम में उपस्थित थे।

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